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अस्त होते सूर्य देवता को अ‌र्घ्य देकर मनायी छठ

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By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 02:21 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 06:43 AM (IST)
अस्त होते सूर्य देवता को अ‌र्घ्य देकर मनायी छठ
अस्त होते सूर्य देवता को अ‌र्घ्य देकर मनायी छठ

जागरण संवाददाता, जम्मू : आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन शनिवार को व्रतियों ने शाम को बहते जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना कर ढलते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। बाद में बाहर आकर व्रती घंटों धूप-दीप करते रहे। श्रद्धालु पूजा सामग्री सिर पर उठाएं विभन्न घाटों पर पहुंचे और पूरी आस्था के साथ सूर्य देव की पूजा की। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने नदी, नहरों के अलग-अलग घाट पर जाकर घंटों पूजा-अर्चना कर सूर्य देवता को अ‌र्घ्य दिया। सूर्य उपासना के महापर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर छठ मईया का गीत गाते हुए श्रद्धालु शहर के विभिन्न घाट पर पहुंचे। नाक तक सिदूर लगाए व प्रसाद की टोकरी सिर लिए जब व्रती घरों से निकले तो शहर का माहौल छठमय हो गया। दीपों की पवित्र ज्योति, पारंपरिक भजन गाती महिलाएं और संध्या वंदना के साथ नहर के ठंडे पानी में खड़े होकर सूर्य देवता को अ‌र्घ्य देते श्रद्धालु, छठ पूजा के दौरान शहर के विभिन्न घाट बिहार व पूर्वांचल की संस्कृति के रंग में रंगे नजर आ रहे थे। बहुत से श्रद्धालु बैंड बाजों के साथ नृत्य करते हुए घाटों पर पंहुचे। व्रती महिलाओं का तीन दिन के व्रत के बावजूद उत्साह देखते ही बनता था।

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सूर्य पुत्री तविषी नदी सहित गंग्याल, डिग्याना, छन्नी हिम्मत, त्रिकुटा नगर आदि छठ घाट पर मेले जैसा माहौल था। व्रतियों ने नदी के ठंडे पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को पहला अ‌र्घ्य देकर पूजा-अर्चना कर समाज में शांति, परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूजा की।

डिग्याना पावर हाउस घाट, गणेश मंदिर शास्त्री नगर की नहर, बिक्रम चौक तवी तट या फिर हर की पौड़ी सभी जगह हजारों की संख्या में निर्जला व्रत रखने वाली महिलाओं ने सूर्य देवता की पूजा की। समूहों में बैठी महिलाएं गीत गाकर परिवार की मंगल कामना की प्रार्थनाएं कर रही थीं। गुलाब और गुट्टे के फूल, मौसमी फलों, गन्ने, नारियल, ताजा सब्जियों को लेकर घाट पर पहुंची हुई थीं।

पूजन सामग्री से सजे थाल हाथ में लिए महिलाएं नहर के पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य की संध्या वंदना कर रही थीं। नहर के बहते हुए जल में खड़े होकर हाथों में पूजन सामग्री लेकर सूर्य देव को प्रणाम कर श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव से घंटों मन की बातें कहीं। नवविवाहिताओं ने भगवान भास्कर से औलाद प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। सभी घाटों पर उत्सव सा माहौल बना रहा। व्रती महिलाओं के अलावा बच्चों, बुजुर्गो ने भी बढ़चढ़ कर पूजा-अर्चना में भाग लिया। बिहार छठ समिति डिग्याना की ओर से विशेष रूप से आतिशबाजी भी करवाई गई।

---------- पूरी होती है हर कामना : जीवानंद मिश्रा

समिति के अध्यक्ष जीवानंद मिश्रा ने बताया कि छठ महापर्व को मन्नतों और मुरादों का पर्व कहा गया है। छठ पर्व में मान्यता है कि इस पर्व में गलती की कोई जगह नहीं है। इसलिए इस पर्व में शुद्धता का बेहद खास ख्याल रखा जाता है। छठ में डूबते और उगते दोनों समय सूर्य देव को अ‌र्घ्य दिया जाता है। वर्ष 1985 से लगातार वह जम्मू में इस पर्व को मनाते आ रहे हैं। लोगों की आस्था इस पर्व के प्रति बढ़ती ही जा रही है। आयोजन में जम्मू के लोगों का शुरू से ही पूरा सहयोग रहा है।

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जम्मू में अब काफी लोग मनाते हैं छठ

बिहार के छपरा के राजनाथ प्रसाद ने बताया कि वह वर्ष 1984 से बिहार जाने के बजाय जम्मू में ही छठ पूजा करते आ रहे हैं। शुरू में बहुत कम लोग यहां छठ पूजा किया करते थे पर अब मंदिरों के इस शहर में हजारों की संख्या में लोग छठ मनाते हैं। छठ पर्व की मान्यता के विषय में पुराणों में ऐसी कई कथाएं हैं। जिसमें मां षष्ठी के साथ-साथ सूर्यदेव की पूजा की बात कही गई है। फिर चाहे वो त्रेतायुग में भगवान राम हों या फिर सूर्य के समान पुत्र कर्ण की माता कुंती। छठ पूजा की परंपरा रही है।

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बच्चों की रक्षा करती हैं छठ माता

गोरखपुर निवासी दुर्गेश जयसवाल ने बताया कि वह पिछले कई वर्ष से व्रत रखते आ रहे हैं। इससे पहले वह सिक्किम में रहते थे। वहां भी व्रत रखते रहे हैं। वेद-पुराणों के मुताबिक छठ पर्व पर भगवान सूर्य देव के साथ उनकी बहन छठी माता की पूजा की जाती है। छठी माता बच्चों की रक्षा करती हैं। इस व्रत को विधि-विधान पूर्वक करने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ हर मनोकामना पूरी होती है। छठ पूजा के दिन भगवान भास्कर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सूर्य देव की कृपा से ही इस पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है। जो हमें आरोग्य प्रदान करते हैं। आस्था से जुड़ा यह पर्व मेरे जीवन का हिस्सा है। आज संपन्न होगा व्रत

छठ पूजा समिति डिग्याना के सदस्य भोला गुप्ता ने कार्यक्रम के भव्य आयोजन करने वाले सभी संगठनों का आभार जताते हुए बताया कि रविवार सुबह उदीयमान भगवान भास्कर को दूसरा अ‌र्घ्य देने के साथ ही 36 घंटे का छठ व्रत संपन्न हो जाएगा। कार्यक्रम इस तरह से आयोजित किया गया है कि सभी छठी एक साथ पूजा-अर्चना कर सकें।

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भोजपुरी गीतों पर झूमे

मंदिरों का शहर जम्मू इन दिनों छठ पूजा के रंग में रंगा हुआ है। शहर का शायद ही कोई मोहल्ला होगा, जहां पूर्वाचल के लोग न रहते हों और उन्होंने व्रत न रखा हो। व्रत के साथ विभिन्न बस्तियों में इन दिनों छठ पूजा के भजन दिन रात गूंज रहे हैं। इससे माहौल भक्तिमय बना हुआ है। शनिवार को ढलते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए विभन्न घाटों पर आयोजित सामूहिक कार्यक्रमों में भोजपुरी गीत गूंज रहे थे। जिन पर जगह-जगह बच्चे, युवा झूमते रहे।


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