पैनल डिस्कशन : बदल रहा है देश, अब देना होगा हर सवाल का जवाब
देश अब बदल रहा है। आज भारत युवाओं का देश है। अब लुभावने घोषणा पत्र जारी करके मतदाताओं को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।
जम्मू, जागरण संवाददाता। देश अब बदल रहा है। आज भारत युवाओं का देश है। अब लुभावने घोषणा पत्र जारी करके मतदाताओं को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। अब देश का मतदाता अपने हर सवाल का जवाब चाहता है। आज उसे सत्ता में रहे नेताओं के पिछले पांच साल का हिसाब चाहिए और जो सत्ता पाने के लिए वोट मांगने आ रहे हैं, उनसे भी यह जवाब चाहिए कि सत्ता में आने के बाद मतदाताओं के लिए क्या किया जाएगा?
आज देश का एक प्रमुख दल देश से राष्ट्र विरोधियों को खत्म करने की बात करती है तो दूसरी प्रमुख पार्टी यह कहती है कि वो उस कानून को ही समाप्त कर देगी जिसके तहत देशद्रोह के मुकदमे चलते है। आज एक दल सब्सिडी खत्म करने की बात करता है तो दूसरा कहता है कि घर में बैठे छह हजार रुपये महीना आपके खाते में डाल देंगे। आज जनता, विशेषकर व्यापारी वर्ग यह सवाल कर रहा है कि आखिरकार हर गरीब परिवार के लिए छह हजार रुपये महीना कहां से आएगा? इसके लिए तो जनता पर ही टैक्स का बोझ बढ़ेगा।
यानि एक तरफ से जनता की जेब काटी जाएगी और दूसरी तरफ उनकी जेब में कुछ पैसे डालकर अपनी पीठ थपथपाई जाएगी। वोट खरीदने की इस राजनीति का दौर अब खत्म हो चुका है। आज देश की जनता जमीनी मुद्दों पर अपना वोट देने का मन बना चुकी है और वोट उसी उम्मीदवार को मिलेगा, जो बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पर्यटन, युवाओं में कौशल विकास, उद्योग, सड़कें-गलियों जैसी बुनियादी सुविधाएं दिलाने में सक्षम हो और देश को विकास की राह पर आगे ले जाने का मादा रखता हो। यह चर्चा "सभी चुने, सही चुने' अभियान के दौरान आयोजित पैनल डिस्कशन में वक्ताओं ने की
जम्मू के व्यापार जगत से जुड़े इन वक्ताओं का मानना है कि झूठे वादे करके अपना जनता को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। जहां तक अफसपा पर विचार करने व धारा 370 को संरक्षित करने संबंधी घोषणाएं है, जम्मू ऐसी पार्टी को कभी स्वीकार नहीं करेगी जो अलगाववादियों या देशद्रोहियों को खुश करने का प्रयास करेगी। कश्मीर की हिंसा को जम्मू की बर्बादी का कारण मानने वाले इन वक्ताओं का कहना है कि आज कश्मीर के कारण कोई जम्मू आना नहीं चाहता। कश्मीर की राजनीति ने जम्मू की आवाज को सालों तक दबा रखा। दिल्ली ने जब भी सुनी कश्मीर की सुनी और जम्मू के दर्द को कभी नहीं समझा लेकिन कश्मीर घाटी में अलगाववादियों व देशद्रोहियों के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई से उम्मीद की एक किरण जागी है।
ऐसा लग रहा है कि जम्मू का वक्त आने वाला है और जम्मू ने जो खोया है, वो सूद समेत वापस लिया जाएगा। अब जम्मू भी उसी को वोट देगा जो जम्मू की बात दिल्ली में रखेगा, जो कश्मीरी नेताओं के सामने सिर नहीं झुकाएगा और जो जम्मू को मजबूत करते हुए विकास की राह पर आगे ले जाने में सक्षम होगा।