Ban Toll Plaza Militant Attack: बन टोल प्लाजा हमले की जांच भी एनआइए को सौंपने की तैयारी
ट्रक चालक समीर डार ने पूछताछ में कई अहम पर्दाफाश किए हैं। उसने बीते दो साल से पाकिस्तान में छिपे आशिक नेंगरू का भी कथित तौर पर जिक्र किया है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर नगरोटा में बन टोल प्लाजा पर 31 जनवरी को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ के मामले की जांच का जिम्मा भी अब एनआइए को सौंपा जा सकता है। झज्जर कोटली मुठभेड़ और पुलवामा हमले के तार नगरोटा मुठभेड़ के साथ जुड़ते देखकर यह फैसला लिया जा रहा है। इस संदर्भ में जल्द ही सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा कर लिया जाएगा।
31 जनवरी को जम्मू से श्रीनगर की तरफ जा रहे एक ट्रक में जैश-ए-मोहम्मद के तीन पाकिस्तानी आतंकी छिपे हुए थे। जम्मू से करीब 25 किलोमीटर दूर बन टोल प्लाजा के पास जांच के दौरान ट्रक में छिपे आतंकियों का पता चला। इस दौरान हुई मुठभेड़ में तीनों पाकिस्तानी आतंकी मारे गए थे। ट्रक चालक समीर अहमद डार व उसके दो अन्य साथी सरताज मंटू और आसिफ अहमद को जिंदा पकड़ लिया गया था। समीर अहमद डार दक्षिण कश्मीर में जिला पुलवामा में गुंडीपोरा गांव का रहने वाला है। उसका एक भाई वर्ष 2016 में आतंकी बना था और मारा गया। उसका दूसरा भाई तौसीफ वर्ष 2018 में आतंकी बनने के बाद मुख्यधारा में लौटा था। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ की बस को आत्मघाती हमले में उड़ाने वाला जैश का आत्मघाती आतंकी आदिल डार समीर का चचेरा भाई था। इसके अलावा दक्षिण कश्मीर में सक्रिय जैश ए मोहम्मद का आतंकी समीर भी उसका ही चचेरा भाई है।
पूछताछ में आशिक का भी नाम आया सामने
सूत्रों ने बताया कि ट्रक चालक समीर डार ने पूछताछ में कई अहम पर्दाफाश किए हैं। उसने बीते दो साल से पाकिस्तान में छिपे आशिक नेंगरू का भी कथित तौर पर जिक्र किया है। आशिक नेंगरू ने ही सितंबर 2018 में पाकिस्तान से आए जैश के तीन आतंकियों को ट्रक में छिपाकर जम्मू से कश्मीर पहुंचाने की योजना तैयार की थी। यह तीनों आतंकी झज्जर कोटली में मारे गए थे। इस मुठभेड़ के बाद आशिक नेंगरु पाकिस्तान भाग गया था। बीते साल लखनपुर में पंजाब के रास्ते ट्रक के जरिए पहुंची हथियारों की खेप भी उसने ही पाकिस्तान से भेजी थी। आशिक भी जिला पुलवामा का रहने वाला है।
कई आतंकी साजिशों से जुड़ रहे तार
सूत्रों ने बताया कि लखनपुर में हथियारों की बरामदगी, झज्जर कोटली मुठभेड़ और पुलवामा कांड के तार भी बन टोल प्लाजा के साथ किसी न किसी तरीके से जुड़े नजर आते हैं। उन्होंने बताया कि झज्जर कोटली, लखनपुर और पुलवामा कांड की जांच पहले ही एनआइए के पास है। इसलिए बन टोल प्लाजा पर हुई मुठभेड़ से जुड़े हर पहलू का पता लगाने के लिए जांच का जिम्मा एनआइए को सौंपने पर संबंधित प्रशासन गंभीरता से विचार कर रहा है। उन्होंने बताया कि एक ही एजेंसी के पास जांच होने से पूरी साजिश का पता लगाने में आसानी रहेगी।