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Jammu Kashmir: कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर हो रहा विचार

कश्मीर वैली फ्रूट ग्रौअर्ज कम डीलर्ज यूनियन केवीएफजी के मुताबिक सात नवंबर को हिमपात के दौरान वादी में 80 प्रतिशत बागों को नुक्सान पहुंचा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 11:05 AM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 11:05 AM (IST)
Jammu Kashmir: कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर हो रहा विचार
Jammu Kashmir: कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर हो रहा विचार

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। घाटी में सात नवंबर को हुए भीषण हिमपात के बाद से हताश किसानाें को जल्द ही बड़ी राहत मिलने वाली है। राज्य प्रशासन के आग्रह पर केंद्र सरकार ने सात नवंबर के हिमपात को राष्ट्रीय अापदा घोषित करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार शुरु कर दिया है। राष्ट्रीय आपदा घोषित होने पर हिमपात से प्रभावित किसानों,बागवानों व अन्य लोगों को उनके नुक्सान का पर्याप्त मुआवजा मिलने के अलावा क्षतिग्रस्त अवसंरचना की मुरम्मत व पुनर्निर्माण के लिए भी केंद्र से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।

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यहां यह बताना असंगत नहीं हाेगा कि गत सात नवंबर को कश्मीर घाटी समेत केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश के सभी उच्च पर्वतीय इलाकों में भीषण हिमपात हुआ था और जम्मू प्रांत के नीचले इलाकों में मूसलधार बारिश हुई थी। हिमपात से वादी में कई बागों में खड़े फलदार पेड़ जड़ों से ही उखड़ गए या बीच में से टूट गए। मंडियों के लिए तैयार बागों में जमा सेब की फसल भी खराब हो गई। जम्मू प्रांत के अधिकांश इलाकों में बारिश व ओलावृष्टि ने धान का जबरदस्त नुक्सान पहुंचाया है। इसके अलावा कई जगह सड़क और पुलों के साथ साथ पेयजल परियोजनाओंं और बिजली ढांचे को भी भारी क्षति पहुंची है। सात नवंबर के बाद से वादी में कई इलाकों में करीब एक सप्ताह तक बिजली आपूर्ति को बहाल नहीं किया जा सका। करीब एक दर्जन लाेगों को हिमपात और बारिश के दौरान अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी।

80 प्रतिशत बागों को नुकसान पहुंचा

कश्मीर वैली फ्रूट ग्रौअर्ज कम डीलर्ज यूनियन केवीएफजी के मुताबिक, सात नवंबर को हिमपात के दौरान वादी में 80 प्रतिशत बागों को नुक्सान पहुंचा है। सेब, खुबानी, चेरी और नाशपति के ज्यादातर जवान पेड़ टूटे हैं। कई जगह पेड़ जड़ों समेत उखड़ गए हैं। यह बर्फ हमारे लिए तबाही लेकर आयी है। केसर के खेतों को भी भारी नुक्सान पहुंचा है। अलबत्ता,बागवानी विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, शुरुआती आकलन के आधार पर कश्मीर में बागवानी क्षेत्र को 2250करोड़ का नुक्सान पहुंचा है,लेकिन फ्रूट ग्रौअर्ज ऐसोसिएशन इस अांकड़े से इत्तेफाक नहीं रखती और दावा करती है कि नुक्सान इससे कहीं ज्यादा है।

बिजली ढांचे को पहुंचा नुकसान

बिजली विभाग के कश्मीर प्रांत के चीफ इंजीनियर काजी हशमत के मुताबिक, बिजली ट्रांसमिशन लाइन के करीब तीन दर्जन टावर क्षतिग्रस्त हुए हैं। कई जगह पेड़ों के गिरने से बिजली कीतारें टूटी हैं। बिजली के ट्रांसफार्मर भी इस हिमपात में तबाह हुए हैं। नुक्सान बहुत ज्यादा है। फिलहाल, हम अपने संसाधनों से इसकी भरपायी का प्रयाास कर रहे हैं।

नुकसान की अंतिम रिपोर्ट आज आने की उम्मीद

मंडलायुक्त कश्मीर बसीर अहमद खान ने कहा कि हमने सभी संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को नुकसान का आकलन कर अंतिम रिपोर्ट देने को कहा है। यह रिपोर्ट 30 नवंबर तक आने की उम्मीद है। इस संबंध में कश्मीर के सभी जिला उपायुक्तों और सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की है। उन्होंने बताया कि जिला उपायुक्तों की अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद ही नवंबर सात के हिमपात को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की अंतिम कार्यवाही होगी। राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने के बाद ही प्रभावित लोगों को एसडीआरएफ के तहत वित्तीय मदद की जा सकती है।

राज्यसभा में भी उठा मुद्दा

जम्मू कश्मीर में हिमपात से हुए नुकसान का मुद्दा राज्यसभा में उठाया गया है। राज्यसभा में पीडीपी के सांसद नजीर अहमद लावे ने राज्य में हिमपात से किसानों और बागवानों को पहुंचे नुकसान के बारे में बताया है। उन्होंने केंद्र सरकार से स्थानीय किसानों के लिए पर्याप्त मुआवजे और कर्जमाफी का एलान करने का आग्रह किया है। 


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