Move to Jagran APP

हाई कोर्ट ने फिल्म शिकारा की रिलीज पर रोक लगाने की दायर याचिका को खारिज किया

कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर बनी फिल्म आज हो रही रिलीज-डिवीजन बेंच ने कहा मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जरूरत फिल्म पर रोक के लिए दायर है याचिका

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 01:05 PM (IST)
हाई कोर्ट ने फिल्म शिकारा की रिलीज पर रोक लगाने की दायर याचिका को खारिज किया
हाई कोर्ट ने फिल्म शिकारा की रिलीज पर रोक लगाने की दायर याचिका को खारिज किया

श्रीनगर, जेएनएफ। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कश्मीरी पंडितों के वादी से पलायन पर अाधारित फिल्म शिकारा की रलीज पर रोक लगाने संबंधी जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस अली मोहम्मद मागरे और जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर की डीविजन बैंच ने आज इस मामले की सुनवाई की।

loksabha election banner

केंद्र व केंद्र शासित जम्मू कश्मीर राज्य प्रशासन के वकीलों द्वारा अदालत काे यकीन दिलाया गया कि फिल्म की रलीज से किसी भी तरह से कानून व्यवस्था का संकट पैदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी स्थिति को टालने के लिए सभी प्रबंध हैं। अदालत ने सभी संबधित पक्षों की दलीलों का संज्ञान लेते हुए याचिका को निरस्त कर दिया।

निर्माता-निदेशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म शिकारा पर रोक लगाने के लिए कश्मीर के तीन लोगों पत्रकार माजिद हैदरी, इफ्तिखार अहमद मिसगर और इरफान हाफिज ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय श्रीनगर में दो दिन पहले एक जनहित याचिका दायर की थी। वीरवार को इस याचिका पर हाईकोर्ट में जस्टिस अली मोहम्मद मागरे और जस्टिस धीरज ठाकुर की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया कि जब तक समर्थ प्राधिकरण द्वारा फिल्म की समीक्षा कर उसमें आवश्यक संशोधन नहीं किए जाते तब तक इसके प्रदर्शन पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि फिल्म से वह सभी दृश्य और डॉयलाग हटाए जाएं जिनसे देश में विशेषकर जम्मू कश्मीर में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि जब याचिका पर अंतिम फैसला नहीं होता तब तक संबंधित पक्ष को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए।

वहीं, याचिका दायर करने वाले माजिद हैदरी, इफ्तिखार मिसगर और इरफान हाफिज लोन के मुताबिक, फिल्म में कश्मीर मुस्लिमों को नकारात्मक तरीके से पेश किया गया है। समूचे कश्मीरी मुस्लिम समुदाय को कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। फिल्म का जो ट्रेलर रिलीज किया गया है, वह बताता है कि यह फिल्म सांप्रदायिक सदभाव को बिगाड़ सकती है। फिल्म में जिस तरह से कश्मीरी मुस्लिमों को दिखाया गया है, वह सच्चाई से दूर है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से अदालत में पैरवी कर रहे एडवोकेट शफकत अहमद ने कहा कि अदालत ने फिल्म निर्माता, केंद्र सरकार व सूचना मंत्रालय को भी नोटिस जारी कर उन्हें अदालत में अपना पक्ष रखने का कहा है। हमें पूरी उम्मीद है कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाएगी। 

डिवीजन बेंच ने संज्ञान लेते हुए कहा कि इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अंतरिम राहत के आग्रह को देखते हुए इस मामले में अधिकारिक पक्षकारों का पक्ष जानना जरूरी है। इसलिए इस मामले की आज शुक्रवार सुबह दोबारा सुनवाई हुइ। आज सरकार का पक्ष सुनने के बाद फिल्म शिकारा की रिलीज पर रोक लगाने की मांग पर दायर याचिका को खारिज कर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.