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Jammu Kashmir: बहनों ने प्यार के दो तार से सारा संसार बांधा है

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाले इस पर्व पर बहुत सी बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र के लिए उपवास भी रखा हुआ है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 12:50 PM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 12:50 PM (IST)
Jammu Kashmir: बहनों ने प्यार के दो तार से सारा संसार बांधा है
Jammu Kashmir: बहनों ने प्यार के दो तार से सारा संसार बांधा है

जम्मू, जेएनएन। देश के दूसरे राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस की खुशियों के साथ रक्षा और जिम्मेदारी निभाने का बचन देता रक्षा बंधन का पर्व धूमधाम एवं पारंपरिक तरीके से मनाया जा रहा है। श्रावण पूर्णिमा पर मनाए जाने वाले इस पर्व का बहनों को बेसब्री से इंतजार रहता है। आज इस पर्व की खुशियां दोगुनी हो गई हैं जब स्वतंत्रता दिवस के साथ जम्मू वासी रक्षाबंधन का पर्व भी मना रहे हैं। भाई-बहनों में इस त्यौहार का उत्साह सुबह तड़के से ही देखने को मिल रहा है। कहीं भाई बहनों के घर तो कहीं बहने भाई घर राखी बांधने पहुंची। इस त्यौहार को बहन-भाई के प्यार का पर्याय माना जाता है।

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भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाले इस पर्व पर बहुत सी बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र के लिए उपवास भी रखा हुआ है। दिन भर राखी बांधने का मूहर्त होते हुए भी अधिकतर बहने सुबह ही भाइयों को राखी बंधवाने पहंची थी। बाजारों में उपहारों की दुकानों, हलवाइयों की दुकानों पर भी सुबह से ही काफी रश दिख रहा है। फलों की रेहड़ियों, दुकानों पर भी खासा रश रहा। बहनों ने प्यार की तार बांधी तो भाइयों ने भी बहनों को दिल खोलकर उपहार दिये।

क्या है रक्षाबंधन के पर्व का महत्व

ज्योतिषाचार्य रोहित वशिष्ठ ने पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा इस दिन बहनें जो भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का सूचक है। यही नहीं बंधन और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है। रक्षा बंधन त्यौहार के पीछे कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। बहुत समय पहले की बात है कि देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ा हुआ था। लगातार 12 साल तक युद्ध चलता रहा। आखिरकार असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया। इसके बाद इंद्र देवताओं के गुरु ग्रह बृहस्पति के पास के गये। उनसे सुझाव मांगा।

बृहस्पति ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा विधान करने को कहा। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरू बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया। इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने इस रक्षा पोटली के देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए। रक्षा बंधन का उत्साह दिन भर बना रहा। छोटे बच्चों में राखी को लेकर कुछ खास ही उत्साह देखा गया।


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