Jammu Kashmir: कश्मीरी पंडितों के राहत राशि में कथित घोटाले की नहीं होगी सीबीआइ जांच
इस मामले को सबसे पहले वर्ष 2013 में उजागर किया था और सात साल बाद 2020 में भी यह लोग राहत राशि ले रहे हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के राहत निधि में हुए तथाकथित 2340 करोड़ रुपये के घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग की है, लेकिन प्रदेश सरकार इससे इन्कार कर दिया है। हालांकि, मामले की जांच के लिए प्रशासन ने जांच समिति बनाई है।
रिकांसिलिएशन, रिटर्न एंड रिहैबिलीटेशन ऑफ कश्मीरी पंडित नामक संगठन के अध्यक्ष सतीश महालदार ने कहा कि हम 2340 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए प्रदेश प्रशासन द्वारा जारी निर्देश व गठित समिति को नहीं मानते। हम इसे खारिज करते हैं। हमने इस पूरे घोटाले को 17 मई को उजागर किया था। दस्तावेज भी दिखाए और बताया कि विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए आने वाली राहत का एक बड़ा हिस्सा नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेता औेर कार्यकर्ता डकार रहे हैं। उन्हें हर माह सहायता राशि दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि हमने इस मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो या फिर सीबीआइ से कराने की मांग की थी। प्रदेश प्रशासन ने हमारी मांग को पूरा करने के बजाय एक जांच समिति बनाई है। समिति में वह अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्होंने नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कार्यकर्ताओं के नाम विस्थापितों की राहत सूची में शामिल किए। ऐसा लगता है कि यह समिति इस घोटाले पर पर्दा डालने के लिए ही बनाई गई है।
आरटीआइ के तहत मांगी थी जानकारी
सतीश महालदार ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी में हमें पता चला कि विस्थापित कश्मीर पंडितों को राहत राशि सुरक्षा संबंधी व्यय निधि से दी जाती है। इस राहत राशि से 2340 करोड़ रुपये तीन प्रमुख राजनीतिक दलों नेकां, पीडीपी और कांग्रेस के कुछ नेताओं व कार्यकर्ताओं को दिए गए हैं। इन लोगों की संख्या करीब 500 है और यह सभी जम्मू स्थित राहत एवं पुनर्वास आयुक्त कार्यालय में पंजीकृत हैं। प्रत्येक राजनीतिक कार्यकर्ता को 13 हजार रुपये की नकद सहायता राशि मिल रही है। इस मामले को सबसे पहले वर्ष 2013 में उजागर किया था और सात साल बाद 2020 में भी यह लोग राहत राशि ले रहे हैं। राहत राशि पाने वाले यह लोग कश्मीर में अपने घरों में रह रहे हैं और खुद को विस्थापित कश्मीरी बताते हैं।