केबल कार हादसे के कारणों की जांच से इन्कार
जागरण संवाददाता, जम्मू : बहुप्रतीक्षित केबल कार परियोजना को लोगों को समर्पित करने में अभी देर
जागरण संवाददाता, जम्मू : बहुप्रतीक्षित केबल कार परियोजना को लोगों को समर्पित करने में अभी देर लग सकती है। कारण, सेंट्रल फॉरें¨सक साइंस लेबोरेटरी चंडीगढ़ ने ने यह कहकर जांच से इन्कार कर दिया कि उनके पास पहले से ही कई मामले लंबित हैं।
उल्लेखनीय है कि तीन फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्घाटन करना था, लेकिन 20 जनवरी को केबल कार हादसा हो गया। राज्यपाल के सलाहकार खुर्शीद अहमद गनई ने मामले की जांच डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सौंप दी, लेकिन 17 दिन बीत जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। केबल कार पर से मजदूरों से लदी ट्रॉली टूट कर जमीन पर गिर गई थी। प्रथम दृष्टयता यह बात सामने आई थी कि ट्रॉली कमजोर होने के कारण वजन सह नहीं पाई और हादसा हो गया। रॉड की मजबूती जांचने के लिए जम्मू एफएसएल में कोई विशेषज्ञ नहीं
ट्रॉली की टूटी रॉड की मजबूती जांचने के लिए जम्मू एफएसएल में कोई विशेषज्ञ नहीं है। इसलिए रॉड की जांच के लिए इसे सेंट्रल फॉरें¨सक साइंस लेबोरेटरी चंडीगढ़ भेजा गया, लेकिन लैब ने यह कह कर जांच से इन्कार कर दिया कि उनके पास पहले से ही कई मामले लंबित हैं। गुजरात के सेंट्रल फॉरेंसिक लैब भेजी, लेकिन रिपोर्ट कब तक आएगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। कमेटी ने मामले की जांच गुजरात के सेंट्रल फॉरेंसिक लैब भेजी, लेकिन रिपोर्ट कब तक आएगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। इससे लगता है कि मामले की जांच में एक माह और लग सकता है। एडिशनल डिप्टी मजिस्ट्रेट पंकज कटोच का कहना है कि मामले की जांच जल्द पूरी कर ली जाएगी। दरअसल ट्रॉली एल्यूमीनियम की बनी हुई है। इसमें मात्र दो लोगों के बैठने की जगह है। हादसे में दो मजदूरों की मौत हो गई थी, जबकि चार अन्य घायल हो गए थे। मुफ्ती मोहम्मद सईद ने देखा था केबल कार परियोजना का सपना
महामाया जंगलों में केबल कार परियोजना का सपना वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने देखा था, लेकिन वर्ष 2004 में फारूक अब्दुल्ला ने इसका नींव पत्थर रखा। कोलकाता की दामोदर रोप वे एंड इंफ्रा लिमिटेड कंपनी निर्माण में लगी है। कंपनी को हर दिन एक लाख रुपये का हो रहा नुकसान
कंस्ट्रक्शन कपनी के एग्जीक्यूटिव रंजीत पकारासी का कहना है कि केबल कार परियोजना बन कर तैयार है, लेकिन जांच रिपोर्ट में देरी होने से कंपनी को हर दिन एक लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।