चांद की धरती से उम्मीद की रोशनी बने दो भाई, सुनिए उनकी कोरोना से जीत की कहानी
Corona Fighters अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद दोनों सगे भाई लेह के चोगलमसर में होटल में क्वारंटाइन हैं। सुनिए उन्हीं की जुबानी कोरोना से जीत की कहानी
जम्मू, विवेक सिंह। Corona Fighters: वैश्विक महामारी कोरोना पर सख्त जान लद्दाखी भारी पड़ गए। कोरोना को मात देकर लेह के चुशौत गांव के दो भाई भी इस जीत के नायक बने हैं। इन भाइयों के बीमारी से लड़ने के जज्बे ने अन्य मरीजों, डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ में भी कोरोना से जीत की उम्मीद जलाई। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद दोनों सगे भाई लेह के चोगलमसर में होटल में क्वारंटाइन हैं। सुनिए उन्हीं की जुबानी कोरोना से जीत की कहानी:
रिश्तेदार के संपर्क में आने से हुआ संक्रमण : लद्दाख में मार्च माह के आरंभ में ही कोरोना का संक्रमण पहुंच गया था। पिता में संक्रमण के बाद हम दोनों भाइयों में भी संक्रमण की पुष्टि हुई। हमें यह संक्रमण ईरान से जियारत कर लौटे एक करीबी रिश्तेदार के संपर्क में आने से हुआ था। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पहले तो बहुत डर लगा लेकिन संक्रमितों के ठीक होने के किस्सों से हिम्मत बंधी फिर हमने भी खुद पर विश्वास दिखाया और जज्बे से जंग लड़ी।
शुरुआत में सख्ती से मिले नतीजे : पहला मामला आने के बाद ही गांव को सील कर दिया गया था। सख्ती से सुनिश्चित किया गया कि मेल-मिलाप से यह संक्रमण आगे न फैले। फिर हमें अस्पताल में पता चलता था कि बहुत कम नए। मरीज आ रहे हैं। इससे हौसला बढ़ता गया। डॉक्टरों व स्टाफ ने भी दिन रात मेहनत की। इसके नतीजे सामने हैं। एक महीने से यहां सख्ती है, लोगों ने भी पूरा सहयोग दिया, इसके नतीजे सामने हैं। बस इंतजार है कि पिताजी भी ठीक होकर जल्दी आ जाएं और एक बार फिर हम सभी लोग पहले जैसी जिंदगी बिताएं। अभी पिताजी अस्पताल में हैं तो मां और बहन गांव में क्वारंटाइन हैं।
अभी कुछ दिन और क्वारंटाइन में : अस्पताल में जो डॉक्टरों ने कहा, उनकी सारी सलाह मानी। एक विश्वास हमेशा मन में रहता था कि ठीक होना है और जल्द से जल्द घर पहुंचना है। दवाओं ने शरीर स्वस्थ रखा तो विश्वास से मन को। अब जब तक परिस्थितियां सामान्य नहीं हो जातीं तब तक क्वारंटाइन में रहेंगे।