लोक लुभावन नहीं, विकास पर केंद्रित है बजट
राज्यपाल प्रशासन ने वोट आन एकाउंट के बजाए अगले वित्त वर्ष 2019-20 का फुल बजट पेश करने में ही समझदारी दिखाई
जम्मू, सतनाम सिंह । जम्मू कश्मीर को विकास के पंथ पर ले जाने वाले बजट में लोक लुभावन घोषणाएं नहीं है। चूंकि इस समय राज्यपाल शासन है और चुनाव कब होगे, इसका लेकर कोई समय तय नहीं है। राज्यपाल प्रशासन ने वोट आन एकाउंट के बजाए अगले वित्त वर्ष 2019-20 का फुल बजट पेश करने में ही समझदारी दिखाई ताकि किसी भी तरह की असमंजस की स्थिति को दूर किया जा सके। लोकप्रिय सरकारों के बजट में लोक लुभावन घोषणाएं तो हर हाल में होती है लेकिन राज्यपाल प्रशासन तो समय समय पर लोगों के मसलों को हल करने और जनहित में अहम फैसले लेता जा रहा है ऐसे में बजट में भी विकास पर अधिक ध्यान दिया गया है।
विकास ओर सामाजिक ढांचे पर 30469 करोड़ रूपये रखे गए ह। राज्य के आर्थिक विकास को तेज गति देने वाले बजट में पंचायतों, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलों, कृषि, बिजली, पानी पर अधिक ध्यान दिया गया है। रहबर-ए-तालीम योजना को बंद करके जिस तरह से राज्यपाल ने सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त अध्यापकों के सातवें वेतन आयोग या वेतन जारी करने के सालों के मसले का निपटा कर उन्हें राज्य के टीचिंग कैडर में शामिल कर दिया है उससे पता चलता है कि वह कर्मचारियों के हितों की तरफ ध्यान देने में पीछे नहीं रहते। इस कड़ी में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने और बकाया राशि जारी करने के लिए नौ हजार करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है।
केएएस, केपीएस कैडर देने के मामले का समाधान होगा
बजट में केएएस और केपीएस अधिकारियों के लंबित पड़े मसलों का समाधान तो होगा ही साथ में ही नान गजटेड सविर्स के अधिकारियो को भी केएएस व केपीएस कैडर देने के मामले का समाधान होगा। विकास के कार्य निचले स्तर पर भी प्रभावित न हो, इसके लिए जिला विकास आयुक्तों को एक एक करोड़ रूपये दिए जाएंगे। एक एक करोड़ रूपये तो पहले ही जारी हो चुके है और अगले वित्त वर्ष में भी एक एक करोड़ मिलेंगे। बारामुला और कुपवाड़ा जिलों को भी एक एक अतिरिक्त मिलेंगे।
बताते चले कि साल 2018-19 का वार्षिक बजट पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने पेश किया था। टैक्सों को बढ़ाने, घटाने या स्कूटी योजना लांच करने जैसी घोषणाएं महबूबा सरकार में ही नहीं पिछली सरकारों में हो चुकी है। जम्मू विवि में बिजेनस स्कूल के प्रो. केशव शर्मा का कहना है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विकास पर अधिक ध्यान दिया है। कर्मचारियों के हितों की रक्षा की गई है। यह बहुत ही अच्छा कदम है कि स्कूलों में डेस्कों और बैंचों के लिए एक सौ करोड़ रूपये उपलब्ध करवाए जा रहे है।
युवाआें के लिए कुछ भी नहीं है
राज्यपाल प्रशासन की तरफ से पारित किए अगले वित्त वर्ष के बजट में युवाओं के लिए कुछ नहीं है। बजट में 42376 नए पद सृजित किए जाने का जिक्र किया गया है जिसमें स्थायी हो चुके रहबर-ए-तालीम अध्यापकों को टीचिंग कैडर में लाए जाने वाले 27000 पद भी शामिल है। इस समय बेराेजगार की समस्या काफी गंभीर है। जम्मू कश्मीर में छह लाख से अधिक बेरोजगार है। काेई राजगार की नीति नहीं बनाई गई है। जम्मू कश्मीर में प्राइवेट सेक्टर न के बराबर है इसलिए अधिकतर युवा सरकारी नौकरियों के बारे में ही सोचते है। कई युवा प्राइवेट सेक्टर के लिए बाहरी राज्यों का रूख करते है। आतंकवादग्रस्त जम्मू कश्मीर में बेरोजगारी की समस्या से निजात पाने के लिए एक कारगर नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि पूर्व सरकार भी रोजगार के लिए कोई नीति नहीं बना पाई।