डरा है दुश्मन, हमारे पास है भेदक शक्ति; बीएसएफ को मिली बैरेट एम 95.50, .338 लापुआ मैग्नम स्नाइपर राइफ, जानिए क्या है इनकी खासियत! Jammu News
इन दोनों स्नाइपर राइफलों की खरीद पर भारतीय सेना ने बीते साल गंभीरता से प्रयास शुरू किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्मित बैरेट एम 95.50 बीएमजी एंटी मैटेरियल राइफल है।
जम्मू, नवीन नवाज। अंतरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अक्सर भारतीय सैनिकों को स्नाइपर शूटिंग से निशाना बनाने वाली पाकिस्तानी सेना अब घबराई हुई है। पिछले दो-तीन माह से सीमा पर हमारे जवानों को निशाना बनाने के लिए उसने स्नाइपर शूटिंग, घुसपैठ या बैट (बार्डर एक्शन टीम) के हमले की कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। मार्च की शुरुआत में जरूर पुंछ सेक्टर में बैट ने हमले का प्रयास किया था, लेकिन उसे मुंह की खाकर वापस भागना पड़ा था। दुश्मन में यह खौफ भारतीय सेना की सजगता के साथ नई बैरेट एम 95.50 बीएमजी और ब्रेटा स्कार्पियो टीजीटी विक्ट्रिक्स .338 लापुआ मैग्नम स्नाइपर राइफलों से आया है। जब से हमारे स्नाइपरों के हाथों में (भेदक शक्ति) ये स्नाइपर राइफलें आईं हैं, दुश्मन थर्राया हुआ है।
एम 95.50 का कारतूस किसी भी कठोर धातु को भेदने में सक्षम :
इन दोनों स्नाइपर राइफलों की खरीद पर भारतीय सेना ने बीते साल गंभीरता से प्रयास शुरू किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्मित बैरेट एम 95.50 बीएमजी एंटी मैटेरियल राइफल है। इसे एएमआर भी कहते हैं। इसमें इस्तेमाल होने वाले कारतूस किसी भी कठोर धातु को पार कर सकते हैं। यह अधिकतम दो किलोमीटर तक मार करती है और डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक स्टीक निशाना साधती है।
.338 राइफल ढाई किमी दूर स्टीक मार करने में समर्थ :
.338 लापुआ मैगनम की प्रहार शक्ति को अफगानिस्तान और इराक युद्ध में देखा जा चुका है। यह ढाई किलोमीटर की दूरी तरह स्टीक मार करने में समर्थ है। इसके अलावा यह एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित किसी भी स्टैंडर्ड सैन्य बख्तरबंद वाहन अथवा शील्ड को भेद सकती है।
पूरे सेक्टर स्नाइपर राइफलों से लैस :
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना ने अब जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर तैनात अपने स्नाइपरों को बैरेट एम 95.50 बीएमजी और ब्रेटा स्कार्पियो टीजीटी विक्ट्रिक्स .338 लापुआ मैग्नम जैसी अत्याधुनिक राइफलों से लैस करना शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया गत मार्च माह में शुरू की गई और इस समय पूरे सेक्टर में सभी चिन्हित जगहों पर स्नाइपर इन राइफलों से लैस हो चुके हैं। एक अन्य वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के कुछ स्नाइपरों को भी यह राइफलें दीी गई हैं।
पाक सेना के स्नाइपर एम 4 सीरीज करते हैं इस्तेमाल :
भारतीय सेना के स्नाइपर परंपरागत रूप से रूस निर्मित द्रागनोव स्नाइपर राइफल इस्तेमाल करते आए हैं। इसकी मार मात्र 800 मीटर तक ही है और यह गैस आप्रेटिंग रोटेटिड बोल्ट है। इसके विपरीत पाकिस्तानी सेना के स्नाइपर अमेरिकी फौज द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली एम4 सीरीज की स्नाइपर इस्तेमाल करते हैं, जो डेढ़ से दो किलोमीटर तक मार करती है।
जवाबी प्रहार के डर से दुस्साहस नहीं करेगा पाकिस्तान :
सैन्य अधिकारी ने बताया कि पुंछ और गुलमर्ग सब सेक्टर के अलावा गुरेज में भी इन राइफलों से लैस हमारे स्नाइपरों ने पाकिस्तानी सेना की उन चौकियों व निगरानी पोस्टों को प्रभावी तरीके से निशाना बनाया है, जहां से आतंकियों को हमारे इलाके में घुसपैठ कराई जाती है। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कहते कि पाकिस्तानी सेना के स्नापर हमेशा शांत बैठेंगे या बैट कारवाई भविष्य में कभी नहीं होगी, लेकिन अब वह पहले की तरह इस तरह की हरकतें नहीं करेंगे, क्योंकि वह अच्छी तरह समझ चुके हैं कि हमारा जवाबी प्रहार उन्हें भारी जानी नुकसान पहुंचाएंगे।
डेढ़ साल में हमारे 15 जवान बने निशाना :
सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2019 के अंत तक पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कशमीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सेना और बीएसएफ के करीब 15 जवानों को स्नाइपर शूटिंग से ही निशाना बनाया है, लेकिन मार्च के बाद से इस तरह की कोई बड़ी उल्लेखनीय घटना नहीं हुई है।
अमेरिका और इटली से बुलाए गए विशेषज्ञ ट्रेनर व इंस्ट्रक्टर :
सैन्य अधिकारी ने बताया कि बैरेट एम 95.50 बीएमजी और .338 लापुआ मैगनम को इस्तेमाल किए जाने के बारे में जानकारी देने के लिए अमेरिका और इटली से विशेषज्ञ ट्रेनर व इंस्ट्रक्टर भी यहां बुलाए गए थे। पहले चरण में एलओसी पर तैनात विभिन्न सैन्य यूनिटों के स्नाइपरों को ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद अन्य स्नाइपरों को उनके क्रमानुसार इनकी जानकारी दी जा रही है।
300 अत्याधुनिक राइफलें खरीद के अंतिम चरण में :
भारतीय सेना ने करीब छह हजार अत्याधुनिक स्नाइपर राइफलों से अपने स्नाइपरों को लैस करने की प्रक्रिया बीते साल के अंत में शुरू की थी। एक सूचना के मुताबिक, करीब 300 अत्याधुनिक राइफलें खरीद के अंतिम चरण में हैं, लेकिन 5700 अन्य राइफलों की प्रक्रिया फिलहाल अधर में लटकी हुई, क्योंकि इन राइफलों को उपलब्ध कराने के लिए आवेदन करने वाली करीब 20 देशी- विदेशी कपंनियों में से एक भी मानकों पर पूरा नहीं उतरती।
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