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किसी ने नहीं जाना भारत-पाक सीमा पर बसे लोगों का दर्द पर वोट करना इनकी मजबूरी

हर बार चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि व विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी सीमावर्ती ग्रामीणों से विकास करवाने के साथ उनकी सीमा समस्या का भी हल करने का वादा कर उनका वोट हासिल कर लेते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 12:23 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 12:23 PM (IST)
किसी ने नहीं जाना भारत-पाक सीमा पर बसे लोगों का दर्द पर वोट करना इनकी मजबूरी
किसी ने नहीं जाना भारत-पाक सीमा पर बसे लोगों का दर्द पर वोट करना इनकी मजबूरी

आरएसपुरा। उपजिला आरएसपुरा के दर्जनों गांव भारत-पाक सीमा से बिलकुल सटे हुए हैं। आजादी के बाद शायद ही ऐसा कोई साल गया हो जब इन गांव वासियों को तीन से चार बार सीमा पर गोलीबारी के कारण अपने घरों को छोड़ कर सुरक्षित जगहों पर ना जाना पड़ा हो। गोलीबारी से जान माल का नुकसान भी कई बार इन ग्रामीणों को उठाना पड़ता है। पर बावजूद इसके आज दिन तक उनकी इस गोलीबारी की समस्या का हल किसी सरकार व किसी भी राजनीतिक पार्टी नहीं कर पाई है। हर बार चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि व विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी सीमावर्ती ग्रामीणों से विकास करवाने के साथ उनकी सीमा समस्या का भी हल करने का वादा कर उनका वोट हासिल कर लेते हैं। चुनाव के बाद उधर मुड़कर भी नहीं देखते।

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सीमांत लोगों से फिर होंगे लुभावने वायदे

एक बार फिर से देश में लोकसभा चुनाव का डंका बज चुका है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों प्रत्याशी गांवों में मतदाताओं से वोट मांगने के लिए प्रचार प्रसार करने में जुट गए हैं। प्रत्याशी गांवों में जाकर ग्रामीणों से लुभावने वादे करने में जुट गए है। ऐसा भारत पाक सीमा से सटे गांव के ग्रामीणों का कहना है। उनकी इस समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया पर बावजूद इसके वो वोट अवश्य करेंगे। सीमांत गांव चंदू चक के सौ साल के खजान चंद का का कहना है कि देश की आजादी के बाद उन्होंने ना जाने कितनी ही बार अपने मत का इस्तेमाल किया। हर बार यही आस रही की शायद इस बार जीतने वाला उनके दुख दर्द को जान कर उनकी समस्या का हल करेगा। पर कुछ नहीं हुआ।

सरकार बनाने में ग्रामीणों का अहम योगदान

सीमा पर गोलीबारी के दौरान पिछले साल ही अपने भाई-भाभी को खो चुके कृष्ण लाल का कहना है कि देश में सरकार बनाने में ग्रामीणों का अहम योगदान रहता है। अफसोस इस बात का है कि सत्ता में आते ही सरकार ग्रामीणों की ओर ध्यान नहीं देती है। सीमा पर रहने वाले लोग पिछले सत्तर सालों से नरक जैसी जिंदगी जी रहे है। पर कोई हल नहीं निकाला जा रहा है। पर बावजूद इसके वो अपने मत का इस्तेमाल अवश्य करेंगे। सीमा पर सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला युवा वर्ग भी इस बार वोट करने को लेकर उत्साहित है। युवा नरेश कुमार का कहना है कि जो उम्मीदवार सीमांत क्षेत्र के युवा वर्ग की समस्या पर ध्यान देने के एजेंडे के साथ आएगा उसको ही इस बार वोट देंगे। जो प्रत्याशी सीमांत समस्या के हल के प्रति वादा करेंगे उसे ही ग्रामीण वोट देंगे। इस बार झूठे वायदे करने वालों पर विश्वास नहीं करेगा युवा वर्ग।


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