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जम्मू कश्मीर के सीमा चौकीदारों को नहीं मौत का कोर्इ खौफ

गांवों में रहने वाले लोगों में जरा भी मौत का खौफ नहीं है। ये सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटे हैं आैर वे किसी भी कीमत पर पीछे हटने की बजाय अपने गांवों में ही डटे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 12:07 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 12:11 PM (IST)
जम्मू कश्मीर के सीमा चौकीदारों को नहीं मौत का कोर्इ खौफ
जम्मू कश्मीर के सीमा चौकीदारों को नहीं मौत का कोर्इ खौफ

राजौरी, [ गगन कोहली ]। पाक सेना भारतीय वायु सेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद से सीमा पार से लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रही है। इस गोलाबारी में राजौरी व पुंछ के एक सौ से अधिक गांव प्रभावित हो रहे हैं। इन गांवों में रहने वाले लोगों में जरा भी मौत का खौफ नहीं है। ये सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटे हैं आैर वे किसी भी कीमत पर पीछे हटने की बजाय अपने गांवों में ही डटे हैं।

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हालांकि पाक सेना की गोलाबारी से सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जान हमेशा ही अटकी हुई है। सीमांत क्षेत्रों के लोगों को हमेशा ही पाक सीमा से आने वाले गोलों से खतरा बना रहता है कि किस समय पाक सेना द्वारा दागा गया गोला आकर सीधे हमारे घरों के ऊपर गिरेगा और सब कुछ खत्म हो जाएगा। सीमांत क्षेत्रों के रहने वाले लोग न तो सही ढंग से खेती बाड़ी कर पाते है और न ही अन्य कोई भी कार्य। अगर किसी भी शादी भी करनी हो तो उसका प्रबंध भी उस जगह पर किया जाता है जो पाक फायरिंग रेंज में न आती हो। सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन भी सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवान की तरह ही कटता है क्योंकि हर समय मौत सिर पर मंडराती रहती हैं।

हमेशा ही मौत के साए में रहते है सीमांत क्षेत्रों के निवासी

सीमांत क्षेत्रों के निवासी हमेशा ही मौत के साए में रहते है। क्योंकि किसी भी समय पाक सेना गोलाबारी को शुरू कर देती है और पाक सेना के निशाने पर हमेशा ही सैन्य चौकियों के साथ साथ रिहायशी इकाले होते है। पाक सेना का गोला किस घर के ऊपर या फिर किस क्षेत्र में आकर गिरेगा इसका कोई पता नहीं होता। दिन हो या फिर रात गोलों की आवाज से ही सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहम जाते है।

एक गोली की आवाज से घरों में कैद हो जाते हैं

सीमा पर पाक सेना जैसे ही अपनी गोलाबारी को शुरू करती है जैसे ही पहले फायर की आवाज सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को लगती है तो वह उसी समय घरों के अंदर कैद हो जाते है। परिवार का कोई भी सदस्य घर से बाहर नहीं निकलता। जिन गांवों में सामुदायिक व व्यक्तिगत बंकर बने हुए है वह लोग बंकरों में शरण ले लेते है और जब तक गोलाबारी थमती नहीं लोग बंकरों के अंदर ही कैद रहते है। कई बार तो दो दो दिन लोगों का बंकरों के अंदर गुजारने पड़ते है। क्योंकि गोलाबारी ही इतनी तेज होती है कि जान बचाना ही मुश्किल हो जाता है।

खेतों में काम नहीं कर पाते सीमांत क्षेत्रों के लोग

सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने खेतों में सही ढंग से काम नहीं कर पाते। सीमांत क्षेत्रों में अधिकतर किसान गेहूं व मक्के की फसल की खेती करते है, लेकिन पाक सेना उस समय अधिक गोलीबारी करती है जब फसल पक्क कर तैयार हो जाती है। पाक सेना द्वारा दागे के गोले खड़ी फसल के ऊपर आकर गिरते है तो किसानों की फसल आग की भेंट चढ़ जाती है। जिससे सीमांत क्षेत्रों के किसानों का काफी नुकसान होता है।

सीमांत क्षेत्रों में मोबाइल का सिग्नल भी नहीं

सीमांत क्षेत्रों में सुरक्षा कारणों से किसी भी मोबाइल कंपनी का सिग्नल नहीं है। लोगों को अगर किसी से कोई बात करनी हो तो वह कई किलोमीटर का सफर तय करके उस क्षेत्र में आते है यहां पर मोबाइल नेटवर्क हो और फिर अपने रिश्तेदारों से बातचीत करने के बाद वापस अपने घरों को लौट जाते है। मोबाइल सिग्नल न होना भी सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की बड़ी समस्या है।

किन किसान क्षेत्रों में होती है अधिक गोलाबारी

पाक सेना पुंछ जिले के गुलपुर, खड़ी, करमाड़ा, झलास, कृष्णा घाटी, साब्जियां, लोरन, हमीरपुर, बालाकोट, बीजी, मनकोट, मेंढर, शाहपुर किरनी सेक्टर में गोलाबारी करती है। इन सेक्टरों में पाक सेना भारतीय सैन्य चौकियों को निशाना बनाने के साथ साथ रिहायशी क्षेत्रों को भी निशाना बनाकर गोलाबारी करती है। इसी तरह राजौरी जिले के लाम, झंगड़, कलाल, दादल, मल्ला, केरी, नौशहरा, कलसियां, भवानी, शेर मकड़ी, तरकुंडी, मंजाकोट व गंभीर सेक्टर शामिल है। इन सेक्टरों में आबादी सीमा के काफी करीब है जिस कारण से अकसर पाक सेना गोलाबारी करती ही रहती है।

घायलों को अस्पतालों तक पहुंचाना बड़ी समस्या

पाक सेना की गोलाबारी में अगर कोई व्यक्ति घायल हो जाए तो उसे उपचार के लिए अस्पतालों तक पहुंचाना गोलाबारी के बीच बहुत बड़ी समस्या है। सीमांत क्षेत्रों के लोग बुलेटप्रुफ एंबुलेंस की मांग पिछले कई वर्षों से करते आ रहे है, लेकिन आज तक सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बुलेंट प्रुफ एंबुलेंस नहीं आई है। जबकि कई बार सीमांत क्षेत्रों के लोगों से वादे किए गए कि जल्द ही आप लोगों को बुलेंट प्रुफ एंबुलेंस दी जाएगी।

जान को खतरे में डालकर करते है पीने के पानी का प्रबंध

सीमांत क्षेत्रों में घर दूर दूर होने के कारण लोगों के घरों में पानी के कनेक्शन नहीं है। लोगों को प्राकृतिक जल स्रोतों से ही पीने के पानी का प्रबंधा करना पड़ता है। जिस समय पाक सेना की गोलाबारी हो रही होती है तो उस समय घर में पीने का पानी पहुंचाना अपनी जान को खतरे में डालने के बराबर होता है। इस लिए सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोग अनाज की तरफ ही पीने के पानी को घरों में जमा करके रखते है ताकि अगर दो तीन दिन गोलाबारी लगातार जारी रहे तो घर के अंदर जो पानी मौजूद हो उससे गुजारा हो सके।

बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित

हर रोज पाक सेना द्वारा की जा रही गोलाबारी से अकसर स्कूलों को बंद रखा जाता है जिस कारण से बच्चों की पढ़ाई भी काफी हद तक प्रभावित होती जा रही है। गोलाबारी के दौरान अगर स्कूल खुल जाते है तो पाक सेना स्कूलों के आसपास गोले दागना शुरू कर देती है। जिससे बच्चों की जान पर भी बन आती है। बच्चों को सुरक्षित घरों तक पहुंचाना काफी मुश्किल भरा काम होता है और अभिभावक भी काफी परेशान रहते है।

राजौरी व पुंछ में अधिक होता है संघर्ष विराम उल्लंघन

राजौरी व पुंछ में लगभग दो सौ किलोमीटर का क्षेत्र पाक सीमा के साथ लगता है। अधिकतर क्षेत्रों में पाक सेना ऊंचाई पर है और हम डाउन में है। जिस कारण से पाक सेना बड़ी आसानी से हमारे गांव, लोगों की आवाजाही को देख सकती है और इस लिए ही पाक सेना सैन्य चौकियों के साथ साथ रिहायशी क्षेत्रों को निशाना बनाकर गोलाबारी करती है। जिससे लोगों का नुकसान हो रहा है और यही कारण है कि पाक सेना राजौरी व पुंछ के अधिकतर क्षेत्रों में गोलाबारी करती है।

जवाबी कार्रवाई से सीमांत क्षेत्रों के लोग होते हैं खुश

जैसे ही भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई को शुरू करती है उससे सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में खुशी देखने को मिलती है। सीमांत क्षेत्रों के लोगों का कहा है कि जैसे ही भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई शुरू करती है उस समय हमें पता चल जाता है। अगर जवाबी कार्रवाई के बाद पाक सेना गोलाबारी बंद कर दे तो समझा जाता है कि वहां पर भी नुकसान हुआ है।

हमारे खेतों में गेहूं की फसल पक्क कर तैयार हो चुकी है। हम लोग अपने खेतों में जाकर फसल नहीं काट पा रहे है क्योंकि जैसे ही हम लोग अपने खेतों में जाते है उसी समय पाक सेना की गोलाबारी शुरू हो जाती है। जिससे हमें सुरक्षित स्थानों की तरफ भागना पड़ता है। हम लोग इस गोलाबारी से तंग आ चुके है। केंद्र की सरकार सेना को एक बार आरपार का निर्देश जारी कर दे तो रोज रोज की गोलाबारी से छुटकारा मिल जाएगा।

- रोमेश कुमार सरपंच डींग, कलाल सेक्टर, नौशहरा

 रोज रोज की गोलाबारी से हमारे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। कई कई दिन गोलाबारी के कारण स्कूल बंद रहते है। बच्चे सहीं ढंग से पढ़ नहीं पाते इस गोलाबारी के कारण परीक्षाओं की तिथि को भी आगे कर दिया गया था। जिस कारण से बच्चे भी परेशान हो रहे है। अगर एक ही बार पाक सेना को सबक सिखाया जाए तो रोज रोज की गोलाबारी बंद हो जाएगी।

- सरपंच योगेश शर्मा, तुंडीतरार पंचायत, ब्लाक पंजग्राई।

सीमा पर बंकरों का निर्माण कार्य चल रहा है जल्द ही इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। जिससे सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोग पाक सेना की गोलाबारी में अपने आप को सुरक्षित रख पाएंगे। इसके अलावा बुलेट प्रुफ एंबुलेंस के लिए उच्च अधिकारियों से बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही हमारे पास बुलेटप्रुफ एंबुलेंस भी पहुंच जाएगी। गोलाबारी के दौरान हमारे अधिकारी लोगों के बीच जाकर उनकी मदद करते है अगर जरूरत पड़े तो उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भी पहुंचाया जाता है।

- एजाज अहमद जिला आयुक्त राजौरी।

हम सीमांत क्षेत्रों के स्कूलों के साथ साथ स्वास्थ्य केंद्रों में भी सामुदायिक बंकरों का निर्माण किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इस बंकरों का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा सीमांत क्षेत्रों के रहने वाले लोगों की जो भी समस्याएं है उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

- राहुल यादव जिला आयुक्त, पुंछ

किसी भी स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तैयारी में है। हमने सीमांत क्षेत्रों में नियुक्त स्टाफ को अलर्ट पर रखा हुआ है। इसके अलावा सीमांत क्षेत्रों में एंबुलेंसों को भी तैयार रखा गया है। अगर जरूरत पड़ेे तो उसी समय एंबुलेंसों को भेज कर घायलों को अस्पतालों तक लाया जा सके।

- मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर सुनील शर्मा।  


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