चुनावी चौपाल: समस्याएं तो हैं पर पाक को फिर मिले मुंह तोड़ जवाब
आरएसपुरा सेक्टर के जीरो लाइन पर बसे सुचेतगढ़ चंगिया त्रेवा अरनियां में जागरण टीम ने चुनावी माहौल का जायजा लेकर लोगों की राय जानी।
सुचेतगढ़, अवधेश चौहान। बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत-पाक सीमा पर माहौल तनावपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे सुचेतगढ़ सेक्टर में जागरण टीम चुनावी माहौल को भांपने पहुंची तो ग्रामीणों में अलग सा उत्साह था। कई पार्टियों के नेता भी प्रचार को पहुंचे थे। वे ग्रामीणों को लोक लुभावने वादे करने से पीछे नहीं थे। इसी बीच जागरण टीम ने चुनावी बातें शुरू कर दी। तो वहां मौजूद बुजुर्गो बताया कि सीमा से सटे गांवों में समस्याओं का तो ढेर है, लेकिन हम उसी नेता को चुनेंगे जो पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकतों का करारा जवाब देने की हिम्मत रखता हो।
आरएसपुरा सेक्टर के जीरो लाइन पर बसे सुचेतगढ़, चंगिया, त्रेवा, अरनियां में जागरण टीम ने चुनावी माहौल का जायजा लेकर लोगों की राय जानी। बेशक गांवों की सड़कों, शिक्षा, स्वास्थ्य के विकास पर ही चुनाव लड़ा जाता है, लेकिन बार्डर वासियों ने कहा कि इस बार न तो राम मंदिर कोई मुद्दा है और न केंद्रीय योजनाओं के जमीनी स्तर पर इन्हें लागू करने का। केवल गांव के 90 प्रतिशत अतंरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वालों को एक ही मलाल है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने पाकिस्तान की चालों को हल्के से लिया लेकिन इस बार उनके वोट का पैमाना उस नेता पर निर्भर करेगा जो दुश्मन मुल्क पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम होगा। कुछ लोगों ने विकास पर बात की तो उन्होंने कहा कि सड़कों की हालत खस्ता है।
बंकरों का आधा अधूरा हुआ निर्माण
बंकरों का आधा अधूरा निर्माण हुआ है। किसी बंकर में मांउटी नहीं डाली गई, तो किसी में वाशरूप की सुविधा नहीं। किसी में कीचड़ भरा हुआ है। इससे तो वे घरों में दुबककर अपनी जान बचा लेगें। सुचेतगढ़ में चुनावी चौपाल के दौरान वरियाम दास का मानना हैं, हम गोलाबारी सह लेंगे। वर्षो से गोलाबारी का दंश ने हमारे अपनों को छीना हैं, उस गम को हम एक बार भुला देंगे, लेकिन पाकिस्तान से जो बदला लेने की जुर्रत रखेगा वही हमारा उम्मीदवार होगा। जोग राज का कहना है कि सरकार ने बालाकोट हमला कर पाक को छठी का दूध याद कराया है, उससे सीमावर्ती लोगों का विकास हो या न हमारा एक ही मकसद है कि किसी देश की तरफ जो भी दुश्मन आंख उठाए उसका मुंह तोड़ जवाब दिया जा।
जो हमारे दर्द को समझेगा, उसी को देंगे वोट
सोमनाथ का कहना है कि चार दशकों में अपनों को खोने का दर्द वहीं जानता है, जिसका कोई अपना बिछुड़ा हो। सरकार किसी की भी बने बार्डर पर बसने वालों के दर्द को जो समझेगा उसी को हम चुनेंगे। कुंती देवी का कहना है कि दो बेटियां है। गोलाबारी से उनकी पढ़ाई बर्बाद हो जाती है। साल में तीन बार बार्डर से भाग कर रिश्तेदारों के जहां जाना पड़ता है। सरकार ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मारा है, उससे कुछ हद तक अपने कष्ट को हमने भुला दिया है। नरेंद्र शर्मा का कहना है कि अगर दुश्मनों से सख्ती से निपटा जाए तो गोलाबारी करने से पहले पाकिस्तान दो बार सोचेगा?
80 फीसद लोगों को नही मालूम कौन है हमारे उम्मीदवार
इस बार का चुनाव काफी अजीब सा है। गांव वालों को नही मालूम कि जम्मू पुंछ लोक सभा सीट से पार्टियों के कौन कौन से उम्मदवार उतरे हैं। उन्हें सिर्फ इतना मालूम है कि जो व्यक्ति पाकिस्तान से आंख तरेरी कर चुका है, वही हमारा नेता है। चाहे भाजपा या कांग्रेस के नेता विकास के लिए यहां आए या न आए। उनका मकसद पाकिस्तान को समय समय पर मुंह तोड़ जवाब देने में जो सक्षम होगा वही उनका नेता होगा। पाक से ही बॉर्डर के लोगों को परेशानी है।