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Jammu Kashmir : बिना वर्दी में सरहद के रखवाले हैं सीमावर्ती किसान

जम्मू की सीमा पर रहने वाले करीब चार लाख किसान बिना वर्दी सुरक्षाबल के जवानों की भूमिका निभा रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 03:15 PM (IST)Updated: Sun, 29 Dec 2019 03:15 PM (IST)
Jammu Kashmir : बिना वर्दी में सरहद के रखवाले हैं सीमावर्ती किसान
Jammu Kashmir : बिना वर्दी में सरहद के रखवाले हैं सीमावर्ती किसान

जम्मू, अवधेश चौहान । भारत-पाकिस्तान के बीच करीब 210 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बसे किसान किसी प्रहरी से कम नहीं हैं। बीएसएफ के जवान भी किसानों के बगैर खुद को अधूरा समझते हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1965, 1971 और कारगिल युद्ध के दौरान भी बार्डर पर रहने वाला किसान भारतीय सेना के साथ हमसाये की तरह देश की रक्षा के लिए खड़ा रहा।

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जम्मू जिले के कठुआ से लेकर प्लांवाला तक सैकड़ों कनाल भूमि में फैले इस बार्डर पर चार लाख के करीब किसान प्रहरी के रूप में सुरक्षाबलों के साथ मिलकर सरहदों की हिफाजत में लगे हुए हैं। सीमा पर रहने वाले करीब चार लाख किसान बिना वर्दी सुरक्षाबल के जवानों की भूमिका निभा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले किसानों में शायद ही ऐसा कोई घर हो, जिसने आतंकवाद या भारत पाकिस्तान युद्धों के दौरान अपने करीबी को न खोया हो। इतना ही नहीं, ज्यादातर परिवार ऐसे हैं, जिनका कोई न कोई सदस्य देश की सुरक्षा में तैनात सेना या बेल्ट फोर्स में सेवाएं दे रहा है। आरएसपुरा के किसान रमेश कुमार का कहना है कि बार्डर पर दुश्मनों की फायरिंग और घुसपैठ को चुनौती समझते हैं फिर भी वे खेतीबाड़ी से पीछे नहीं हटेंगे। आरएसपुरा राइस ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रधान देवराज चौधरी का मानना है कि आइबी पर बासमती धान के खेतों में चिनाब और रावी दरिया का पानी लगता है।

आरएसपुरा के बासमती चावल की शौकीन हैं सोनिया और आजाद

अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर करीब पांच हजार गांवों में करीब चार लाख किसान हैं, जिनका मुख्य पेशा खेतीबाड़ी है। बासमती धान के लिए मशहूर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हर साल 2.90 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार होती है। इसमें 1.30 लाख मीट्रिक टन बासमती धान की पैदावार होती है। इसकी खुशबू और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। कांग्रेस की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राज्यसभा सांसद गुलाम नमी आजाद भी इन चावलों के दीवाने हैं।

बहादुरी के किस्से

वर्ष 2012 में आइबी पर बसे अरनियां सेक्टर के कठार गांव में ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों को घुसपैठ की सूचना दी, जिसके बाद तीन आतंकी मारे गए।

वर्ष 1992 में सीमा पार से बिश्नाह कस्बे में मिनी बस में सवार आतंकवादियों की सूचना देने पर सुरक्षा बलों ने चार आतंकवादियों को जिंदा पकड़ लिया। बिश्नाह के राकेश कुमार को उनकी सूझबूझ के लिए जीवन रक्षक अवार्ड से सम्मानित किया। परमवीर चक्र विजेता बाना सिंह भी आरएसपुरा के रहने वाले हैं।


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