चंचल डोगरा के कविता संग्रह का विमोचन
जागरण संवाददाता, जम्मू : 30 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद प्रो. चंचल डोगरा का दूसरा कविता संग्रह
जागरण संवाददाता, जम्मू : 30 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद प्रो. चंचल डोगरा का दूसरा कविता संग्रह 'रूह तक पहुंचती है कविता' का ¨हदी साहित्य मंडल जम्मू हीरक जयंती श्रृंखला-कड़ी छह में विमोचन किया गया। केएल सहगल हाल में आयोजित इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के पूर्व सचिव रमेश मेहता, वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. आरएल शांत, अकादमी के अतिरिक्त सचिव डॉ. अर¨वद्र ¨सह अमन, वरिष्ठ साहित्यकार मनोज शर्मा ने सामूहिक रूप से किया। इससे पहले उनका उनका कविता संग्रह अपने से अलग वर्ष 1992 में प्रकाशित किया गया था। कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं व आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। वह उच्च शिक्षा विभाग से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हैं, रेडियो, टीवी से जुड़ी हुई हैं।
कार्यक्रम में प्रो. चंचल डोगरा ने पुस्तक में प्रकाशित कुछ चु¨नदा कविताओं का कविता पाठ किया। जिन्हें पसंद किया गया। पत्र वाचन के लिए उन्होंने मनोज शर्मा का आभार जताया। इस पुस्तक के विमोचन पर मैं कहूंगी की कविता का विस्तार हुआ है। मेरी कविताएं सब की कविताएं हो गई हैं, पाठकों की हो गई हैं। उन्होंने कविता लेखन से जुड़े अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके पहले श्रोता उनके पति है। प्रो. चंचल डोगरा ने कहा कि कवियों, लेखकों, युवा साहित्यकारों का मिल बैठकर साहित्यिक चर्चाए करना अति आवश्यक है। उन्होंने पुस्तक प्रकाश के लिए अपने साथी कवियों का भी आभार जताया, जिन्होंने उन्हें पुस्तक लिखने के लिए प्रेरित किया।
अध्यक्षीय मंडल में शामिल प्रो. आरएल शांत ने मनोज शर्मा के पेपर की सराहना करते हुए कहा कि कविताओं का मूल्यांकन बहुत बढि़या था। उन्होंने प्रो. चंचल डोगरा की रचनाओं के शब्दों के चयन की सराहना करते हुए कि हर शब्द चुन-चुन कर पिरोया गया है।
अध्यक्षता करते हुए जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के पूर्व सचिव वरिष्ठ साहित्यकार रमेश मेहता ने कहा कि प्रो. चंचल डोगरा के पास भाषा का सौष्ठव भी है और कल्पना की अनंत उड़ान भी। उनकी कविताएं नाना रूपों में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए आपको नारी मन की दुनिया की सैर करवाती है।
मनोज शर्मा ने पेपर पढ़ते हुए कहा कि प्रो. चंचल डोगरा की पुस्तक में प्रकाशित कविताएं अनुभव के आधार पर लिखी कविताएं हैं, जो हमसे रागात्मक संबंध जोड़ती है। कवयित्री सामाजिक सरोकारों के साथ प्रकृति से भी जुड़ी हुई है। उनका पेपर कविताओं के चित्र उकेरता दिखा। उन्होंने कहा कि यह कविता संग्रह उपलब्धियों में चिन्हित किया जाता रहेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के अतिरिक्त सचिव डॉ. अर¨वद्र ¨सह अमन ने कहा जितनी अच्छी कविताएं थी उससे भी अच्छे तरीके से मनोज ने अपने पेपर के मध्यम से उपस्थित तक पहुंचाया। शायर सदा सुर में होता है और दूसरों को भी सुर में रंग लेता है। उन्होंने इस बात पर ¨चता जताई की युवा पीढ़ी प्रकृति से टूट चुकी है। मिट्टी की खुशबू से दूर होती जा रही है। हवाई दुनिया से निकल कर उन्हें मिट्टी से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने मनोज शर्मा के पेपर एवं प्रो. चंचल डोगरा की रचनाओं की जम कर सराहना की।
मंच संचालन कर रहे डॉ. पवन खजूरिया ने प्रो. चंचल डोगरा की कविताओं के शीर्षक जोड़ कर एक कविता पढ़ी। जिसे पसंद किया गया। हिन्दी साहित्य मंडल की उपाध्यक्ष ने धन्यवाद ज्ञापित किया।