ये दवा ही नहीं, रक्त भी देते हैं
रोहित जंडियाल, जम्मू डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। कुछ डॉक्टर अपने पेशे से
रोहित जंडियाल, जम्मू
डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। कुछ डॉक्टर अपने पेशे से ईमानदारी नहीं बरतते, लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो मरीजों की जान बचाने के लिए अपना खून तक दे देते हैं। इन डॉक्टरों ने एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार खून देकर मरीजों को नई जिंदगी दी है। कुछ डॉक्टरों का नेगेटिव ब्लड ग्रुप है। राज्य में इसकी काफी कमी है। ये डॉक्टर कभी रक्तदान करने में पीछे नहीं हटे हैं। रक्तदान में बने मिसाल
राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू के ब्लड ट्रासफ्यूजन विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. टीआर रैना का नाम रक्तदान करने वालों में हमेशा सबसे आगे रहता है। वह 60 से अधिक बार रक्तदान कर मरीजों की जिंदगी बचा चुके हैं। कई बार जब अस्पताल में रक्त की कमी होती थी और किसी को इसकी जरूरत होती थी तो वह स्वयं ही रक्तदान कर देते थे। वह राज्य में कई वर्ष से लोगों को रक्तदान के बारे में जागरूक भी कर रहे हैं। डा. रैना देश और राज्य के कई प्रतिष्ठित संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं। उन्हें कई संगठन सम्मानित कर चुके हैं। डॉ. किरण कर चुकी हैं 53 बार रक्तदान
दो दशक तक आतंकवाद झेलने वाले डोडा जिले के भद्रवाह में जन्मी डॉ. किरण अब तक 53 बार रक्तदान कर चुकी हैं। वर्ष 1987 में रोहतक में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने पहली बार रक्तदान किया। उसके बाद रक्तदान करना डॉ. किरण का जुनून बन गया। जब किसी को कहीं पर भी खून की जरूरत हो, वह रक्तदान करने में पीछे नहीं हटी। उनका कहना है कि एक फोन काल पर वह जरूरतमंद को ब्लड देने आ जाती हैं। रक्तदान करते समय यह नहीं देखा जाता कि कौन, किस धर्म या जाति से है। डॉ. किरण का कहना है कि जम्मू-कश्मीर आतंकवाद ग्रस्त है और सड़क हादसे भी होते हैं। सभी को चाहिए कि वे रक्तदान के लिए आगे आएं ताकि जरूरतमंदों की जान बच सके। डॉ. किरण को कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। कुछ दिन पहले ही उन्हें रीजनल रेडक्रॉस सोसायटी ने भी उनके इस कार्य के लिए सम्मानित किया है। डॉ. किरण का कहना है कि रक्तदान से शाति मिलती है। इस समय वह ऑल इंडिया वूमेन काफ्रेंस के साथ भी काम कर रही हैं।
जरूरत हो तो हर समय हाजिर
इस समय हिमाचल प्रदेश के एक निजी अस्पताल में काम कर रहे कठुआ शहर के रहने वाले डॉ. आदर्श भार्गव का नेगेटिव ब्लड ग्रुप है। वह अभी तक 20 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। आचार्य श्री चंद्र कॉलेज ऑफ मेडिकल साइसेज से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने कुछ देर के लिए मेडिकल कॉलेज जम्मू, फिर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और नारायणा सुपर स्पेशिलटी अस्पताल में काम किया। इस दौरान कई बार मरीजों को नेगेटिव ब्लड ग्रुप की जरूरत पड़ती थी मगर राज्य में नेगेटिव ग्रुप अस्पतालों में बहुत कम मिलता था। ऐसे में डॉ. आदर्श हमेशा से ही ऐसे लोगों के लिए हाजिर रहते थे। उनका कहना है कि नेगेटिव ग्रुप में कई बार एक महीने में ही आपको दो-दो लोग भी ब्लड देने के लिए कहते हैं। ऐसे में किसी को मना करना बहुत मुश्किल होता है। उनका कहना है कि अब भी उन्हें जब अवसर मिलता है, वह ब्लड देने से पीछे नहीं हटते हैं।
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रक्तदान से पहले यह रखें ध्यान
आयु : 18 से 60 वर्ष के बीच
वजन : 45 किलोग्राम या उससे अधिक
रक्तचाप : सिस्टोलिक 100 से 180 मि.मि (पारे की) डायस्टोलिक 50 से 100 मिमि (पारे की)
नब्ज : 60 से 100 धड़कन प्रति मिनट,
हीमोग्लोबिन : न्यूनतम 12.5 ग्राम.