Jammu Blood Bank: जीएमसी सहित कई अस्पतालों के ब्लड बैंक हुए खाली, डोनर जुटाना भी चुनौती
बड़ी बात यह है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने के कारण ब्लड बैंकों में पहले से मांग कम हुई है इसके बावजूद ब्लड नहीं है।
जम्मू, रोहित जंडियाल: सावधान, अगर आपको ब्लड की जरूरत है और यह उम्मीद है कि अस्पताल में ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड मिल जाएगा तो आपको खाली हाथ लौटना पड़ेगा। राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल जम्मू सहित अधिकांश अस्पतालों के ब्लड बैंक में इस समय ब्लड की जबरदस्त कमी है। कैंसर से लेकर थैलीसीमिया तक के मरीज ब्लड के लिए दरबदर हो रहे हैं। ब्लड बैंक के डॉक्टर समेत स्टाफ भी असहाय है। वहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो ब्लड देना तो चाहते हैं लेकिन वह कोरोना के खौफ के चलते अस्पतालों में आने से कतरा रहे हैं।
वर्तमान में जम्मू संभाग में राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल, श्री महाराजा गुलाब ङ्क्षसह अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, गांधीनगर अस्पताल में ब्लड बैंक हैं। जिला अस्पतालों में भी यह सुविधा है, मगर 26 दिनों के लॉकडाउन ने ब्लड बैंकों की तस्वीर ही बदल डाली है। जीएमसी, एसएमजीएस और सुपर स्पेशलिटी जैसे अस्पतालों में स्थित ब्लड बैंकों में निगेटिव ग्रुप समेत सबसे अधिक मिलने वाला ओ पाजिटिव और बी पाजिटिव ब्लड भी नहीं है। ब्लड बैंक के डॉक्टरों और स्टाफ सदस्यों की मानें तो इन ग्रुपों का एक यूनिट ब्लड भी नहीं है। ये पूरी तरह खाली हो चुके हैं, जबकि इन ब्लड बैंकों पर पूरा जम्मू संभाग निर्भर है। विशेषतौर पर कैंसर और थैलीसीमिया के मरीज, जिन्हें बार-बार ब्लड की जरूरत पड़ती है, उन्हें भी निराश होना पड़ रहा है।
डोनर हैं तो पर अस्पताल जाने से कतरा रहे: बड़ी बात यह है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने के कारण ब्लड बैंकों में पहले से मांग कम हुई है, इसके बावजूद ब्लड नहीं है। इससे मरीज मायूस हैं। उन्हें एक यूनिट ब्लड जुटाने के लिए भटकना पड़ रहा है। अगर किसी के पास कोई डोनर है भी तो शहर में जगह-जगह पर बंद सड़कें और पास न होने के कारण वह अस्पताल में ही नहीं पहुंच पाते हैं। कोरोना का खौफ अलग से है। कुछ चाहकर भी अस्पताल इसीलिए नहीं आ रहे हैं कि उन्हें यह डर सता रहा है कि कहीं अस्पताल में आकर वे भी संक्रमित न हो जाएं।
थैलीसीमिया के मरीज दर-दर भटक रहे: थैलीसीमिया के मरीजों को हर एक से लेकर दो सप्ताह बाद ब्लड की जरूरत पड़ती है। ऐसे मरीजों की संख्या सौ के पार है। इनमें तीस से अधिक बच्चे हैं। इनके अलग-अलग ब्लड ग्रुप हैं। थैलीसीमिया सोसायटी जम्मू के प्रधान सुधीर सेठी का कहना है कि इस समय रक्तदान कैंप आयोजित करने की इजाजत नहीं है। लॉकडाउन से पहले उन्होंने जम्मू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ कैंप आयोजित करने का फैसला किया था लेकिन अचानक लॉकडाउन होने के बाद कैंप आयोजित नहीं हो सका। अब मरीज खुद ही ब्लड जुटा रहे हैं। इसमें बहुत परेशानी है। अगर लॉकडाउन जारी रहता है तो परेशानी और बढ़ेगी।
कैंसर के मरीजों का यही दर्द: कैंसर के मरीजों का भी ऐसा ही दर्द है। उन्हें भी बार-बार ब्लड की जरूरत पड़ती है लेकिन जब ब्लड बैंक में जाते हैं तो वहां ब्लड ही नहीं मिलता। कैंसर पीडि़त मरीज के परिजनों ने बताया कि कुछ दिनों से बहुत परेशानी हो रही है। घर में कोई ऐसा नहीं है जिसने ब्लड नहीं दिया हो। अब कोई आगे आ नहीं रहा है। ऐसे में ब्लड के लिए कहां जाएं।
गांधीनगर अस्पताल का ब्लड बैंक बंद: गांधीनगर अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाने के बाद इसका ब्लड बैंक ही बंद कर दिया गया है। इस ब्लड बैंक में जितने यूनिट ब्लड था, उसे जीएमसी के ब्लड बैंक में भेज दिया गया था। वह ब्लड अब खत्म हो चुका है। इस कारण भी ब्लड की कमी है।
नहीं है कई ग्रुपों का ब्लड: जीएमसी में ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की एचओडी डॉ. मीना सिद्धू का कहना है कि लॉकडाउन के कारण स्वैच्छिक रूप से रक्तदान करने वाले भी नहीं आ रहे हैं। इस कारण ब्लड बैंकों में ब्लड ही नहीं है। उनका कहना है कि ओ पाजिटिव और पी पाजिटिव जैसे सामान्य ग्रुप भी पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं।