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सवा लाख आबादी को स्वास्थ्य सुविधा देने वाला बिश्नाह उपजिला अस्पताल खुद बीमार

बिश्नाह विधानसभा क्षेत्र में 150 गांव हैं जिनकी आबादी कुल 125000 के करीब है। उन्हें उपचार के लिए बिश्नाह के उपजिला अस्पताल में ही आना पड़ता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 02:41 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 02:41 PM (IST)
सवा लाख आबादी को स्वास्थ्य सुविधा देने वाला बिश्नाह उपजिला अस्पताल खुद बीमार
सवा लाख आबादी को स्वास्थ्य सुविधा देने वाला बिश्नाह उपजिला अस्पताल खुद बीमार

बिश्नाह, सतीश शर्मा। करीब सवा लाख आबादी को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाला बिश्नाह उपजिला अस्पताल खुद बीमार है। वर्तमान में यहां एक्सरे की सुविधा है ही नहीं, अल्ट्रासाउंड भी सिर्फ दो ही दिन होता है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट व ऑर्थो के डॉक्टर भी मौजूद नहीं हैं। ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को इलाज के लिए दरबदर होना पड़ रहा है और निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रही है।

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बिश्नाह विधानसभा क्षेत्र में 150 गांव हैं, जिनकी आबादी कुल 1,25000 के करीब है। उन्हें उपचार के लिए बिश्नाह के उपजिला अस्पताल में ही आना पड़ता है। कहने को तो बिश्नाह विधानसभा क्षेत्र में एक कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर यानी उपजिला अस्पताल बिश्नाह है और दो प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं। एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर रेहाल में है और दूसरा सीमावर्ती कस्बा अरनिया में है, जिसके तहत 4 न्यू टाइप प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं, जबकि 39 के करीब सब सेंटर मौजूद हैं। लेकिन 1,25,000 लोगों की उम्मीदों का बोझ उठाने में ये सक्षम नहीं हैं। बिश्नाह उपजिला अस्पताल में एक ओर जहां चाइल्ड स्पेशलिस्ट और हड्डी के डॉक्टर नहीं हैं, वहीं यहां सुविधाओं का भारी अभाव है।

रेगुलर अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं, एक्स-रे मशीन भी खराब

यहां पर रेगुलर अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं है। सप्ताह में सिर्फ दो दिन सोमवार व शनिवार को मरीजों का अल्ट्रासाउंड होता है। इसका कारण यह है कि जो महिला डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करती थी, वह लंबी छुट्टी पर गई हैं। उनके छुट्टी पर जाने के बाद करीब चार महीने अल्ट्रासाउंड बिल्कुल बंद रहा। इधर अप्रैल से सिर्फ दो दिन अल्ट्रासाउंड की सुविधा मरीजों को मिल रही है। वहीं, 150 गांवों के मरीजों के लिए लगाई गई एक्सरे मशीन बाबा आदम के जमाने की है। उसके खींचे एक्सरे में न तो कुछ दिखाई देता है न बीमारी पकड़ में आती है। अब वह एक्सरे मशीन भी तीन महीने से बंद पड़ी है। कुछ दिन पहले अस्पताल में आए हेल्थ सेक्रेटरी पवन कोतवाल ने भी इस एक्सरे मशीन को बदलने की सिफारिश की थी, पर अभी तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया। लेबोरेटरी में किट व अन्य सुविधाएं नहीं हैं, ऐसे में तकनीशियन क्या करेगा। मरीजों को अस्पताल में 100 रुपये में होने वाला अल्ट्रासाउंड निजी क्लीनिकों में 800 रुपये में करवाना पड़ रहा है। एक्सरे व अन्य जांच भी बाहर से महंगे दाम पर करानी पड़ रही है।

अस्पताल की नई इमारत को उद्घाटन का इंतजार

अस्पताल की इमारत इतनी खस्ताहाल हो चुकी है कि उसके अंदर जाने से डर लगता है। लगभग 20 से 25 किलोमीटर में फैले विधानसभा क्षेत्र की आठ पंचायतें बॉर्डर के साथ सटी हैं। वहां पाकिस्तान द्वारा गोलाबारी की जाती है तो उसमें घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। जब अस्पताल पहुंचते हैं तो वहां पर दर्द निवारक दवाएं भी नहीं होती हैं। बिश्नाह उपजिला अस्पताल की नई इमारत करोड़ों रुपए की लागत से बनी है, लेकिन इसे उद्घाटन का इंतजार है। हालांकि कुछ डॉक्टर अपनी मर्जी से नई इमारत में ओपीडी चला रहे हैं, लेकिन जिसके लिए यह इमारत बनाई गई थी उसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। प्रशासन को चाहिए कि जल्दी से जल्दी इस इमारत को ब्लॉक मेडिकल अधिकारी को सौंपी जाए, ताकि उसका सही उपयोग हो सके।

12 एंबुलेंस में से सात ही काम करती हैं

इस पूरे विधानसभा क्षेत्र में कुल 12 एंबुलेंस हैं, जिनमें से सात ही काम करती हैं। बाकी 5 एंबुलेंस रिजेक्ट पड़ी हुई हैं। बोधराज ने कहा कि रिजेक्ट पड़ी एंबुलेंसों को ठीक करवाना चाहिए। सीमावर्ती जीरो लाइन की पंचायत जब्बोवाल के पूर्व सरपंच अवतार सिंह ने कहा है कि यूं तो हर जगह एक एंबुलेंस होनी चाहिए। खासकर बॉर्डर के लोगों को गोलाबारी के बीच जो लोग घायल होते हैं, उन्हें उठाने के लिए एक बुलेट प्रूफ एंबुलेंस होनी चाहिए, जिससे लोग निडर होकर घायलों को उठाकर हॉस्पिटल पहुंचा सकें।

एक्सरे मशीन के लिए निदेशक हेल्थ विभाग को लिखा है : बीएमओ

ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर राकेश मगोत्र ने कहा कि हमारे ब्लॉक में डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है। वे शत-प्रतिशत सेवाएं दे रहे हैं। रही बात एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की तो एक्सरे मशीन ठप पड़ी है। हमने निदेशक हेल्थ विभाग को लिखा है। जब मशीन मिलेगी तभी एक्सरे होंगे। हम हफ्ते में दो दिन अल्ट्रासाउंड भी कर रहे हैं। अस्पताल की नई इमारत औपचारिक उद्घाटन होने के बाद ही हमें मिल पाएगी। जब उनसे पूछा गया कि लेबर रूम को दूसरे माले पर बनाए जाने से काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि गर्भवती महिलाएं कुछ ऐसी हालत में होती हैं जो सीढिय़ां चढ़कर लेबर रूम तक नहीं पहुंच पातीं, तो बीएमओ ने कहा कि नई इमारत में सभी वर्कर की सुविधाए नीचे रखी गई हैं, ताकि किसी को असुविधा न हो।

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