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जीएमसी अग्निकांड मामले पर उठे सवाल, आखिर वित्त वर्ष खत्म होने पर ही क्यों लगती है आग

मेडिकल कालेज के इस स्टोर में कुछ वर्ष में ही दो बार आग लगने के कारण कई प्रश्नचिन्ह भी लगे हैं। कुछ वर्ष पहले जब स्टोर में आग लगी थी तब भी फरवरी का महीना था और वित्त वर्ष खत्म होने जा रहा था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 10:59 AM (IST)
जीएमसी अग्निकांड मामले पर उठे सवाल, आखिर वित्त वर्ष खत्म होने पर ही क्यों लगती है आग
जीएमसी अग्निकांड मामले पर उठे सवाल, आखिर वित्त वर्ष खत्म होने पर ही क्यों लगती है आग

जम्मू, रोहित जंडियाल। राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल में आने वाले समय में दवाइयों व अन्य सामान की किल्लत हो सकती है। इसका कारण अस्पताल के लिए आई दवाइयों की सप्लाई आग में जलकर राख हो गई है। हालांकि जीएमसी प्रशासन ने तत्काल हरकत में आते हुए अभी से ही संकट से जूझने की कवायद जरूर शुरू कर दी है। मगर करोड़ों रुपयों के नुकसान से पूरा अस्पताल प्रशासन हिल कर रह गया है।

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रविवार को जीएमसी के मुख्य स्टोर में आग लगी। इस स्टोर में कुछ दिन पहले ही अगले छह महीनों के लिए आई सप्लाई को रखा गया था। मरीजों के लिए इस स्टोर में पंद्रह लाख सीरिंजों के अलावा पट्टियां, दवाइयां, एंटी स्नेक वेनम और अन्य सामान पड़ा हुआ था। यह सप्लाई छह महीनों के लिए थी। अस्पताल में आग लगने के बाद कुछ दवाइयां तो बाहर निकाल ली गई, परंतु अधिकांश जलकर राख हो गई हैं।

चार से पांच करोड़ रुपयों की दवाइयां जलकर राख हुई है। अभी अगला वित्त वर्ष शुरू भी नहीं हुआ है। ऐसे में अगर अब अतिरिक्त बजट नहीं मिलता तो पूरे साल मरीजों को दवाइयां व अन्य सामान उपलब्ध करवाना आसान नहीं होगा। जीएमसी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. दारा सिंह का कहना है कि कुछ दवाइयां व सामान आग से बचा दिया गया है। अभी पूरा सामान मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन से उठाया नहीं है। ऐसे में मरीजों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए जरूरी कदम अभी से उठाए जा रहे हैं।

स्टोर में आग लगने से लगे कई प्रश्नचिन्ह

मेडिकल कालेज के इस स्टोर में कुछ वर्ष में ही दो बार आग लगने के कारण कई प्रश्नचिन्ह भी लगे हैं। कुछ वर्ष पहले जब स्टोर में आग लगी थी तब भी फरवरी का महीना था और वित्त वर्ष खत्म होने जा रहा था। इस बार भी फरवरी महीने में ही आग लगी और वित्त वर्ष खत्म होने को अब एक महीना ही शेष रह गया है। पिछली बार मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन के स्टोर में आग लगी थी और लाखों रुपयों की दवाइयां, ग्लूकोज व अन्य सामान जल गया था। तब शार्ट सर्किंट के कारण आग लगने की बात कह कर पूरा मामला शांत हो गया था। इस बार भी शार्ट सर्किंट की बात की जा रही है। परंतु हर बार आगजनी की घटना वित्त वर्ष खत्म होने पर ही क्यों लगती है, इसकी निष्पक्ष जांच करवाने की जरूरत है।

आग बुझाने के तरीके से खफा

जीएमसी व अन्य अस्पतालों में आग की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। परंतु इस बार आग बुझाने में चौदह घंटे लग गए। अस्पताल के कर्मचारी आग बुझाने के तरीके से संतुष्ट नजर नहीं आए। उनकी दमकल कर्मियों से बहस भी हुई थी। उनका कहना है कि जब दमकल कर्मी पहुंचे तो आग बहुत कम थी। परंतु वे समय रहते आग पर काबू नहीं पा सके।

क्राइम ब्रांच करेगी स्टोर में आग लगने की जांच

जम्मू। राजकीय मेडिकल कालेज के स्टोर में लगी आग के कारणों की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने सोमवार को आग के कारणों की जांच क्राइम ब्रांच से करवाने को कहा। आग की इस घटना में चार से पांच करोड़ रुपयों की दवाइयां व अन्य सामान खाक होने की अाशंका है। मेडिकल कालेज के स्टोर में आग बीते रविवार देर शात आठ बजे के करीब लगी थी। आग इतनी भीषण थी कि इसे बुझाने में दमकल विभाग के कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। एक जगह से आग बुझाते थे तो दूसरी जगह आग लग जाती थी। बीस से अधिक दमकल की गाड़ियों ने करीब चौदह घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। मगर तब तक स्टोर में रखी गया सामान लगभग जल चुका था। पहले फ्लोर पर स्थित मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन के कार्यालय में भी नुकसान हुआ है। हालांकि इसमें आग तो नहीं लगी, परंतु पूरे कार्यालय में धुंआ भरने के कारण रिकार्ड खराब होने की सूचना है। वहीं घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने जीएमसी की प्रिंसिपल डा. सुनंदा रैना, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. दारा सिंह को भी बुलाया। उन्होंने घटना के बारे में विस्तार से जानकारी ली अौर आग के कारणों की जांच क्राइम ब्रांच से करवाने के निर्देश दिए। जीएमसी की प्रिंसिपल डा. सुनंदा रैना ने भी मामले की जांच क्राइम ब्रांच से करवाने की पुष्टि की है।


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