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जमीन के रिकार्ड में किसानों के नाम को सुधारने से पहले कर दिया गया डिजिटलाइज, किसानों की बढ़ेगी परेशानी

गिरदावरी करते समय कर्मियों की गलती से कई किसानों के नाम ही बदल चुके हैं। चूंकि नाम ठीक करवाना आसान काम नहीं इसलिए किसान चुप रहे। मगर अब सब रिकार्ड कंप्यूटर पर चढ़ रहा है इससे किसानों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 07:30 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 07:30 PM (IST)
जमीन के रिकार्ड में किसानों के नाम को सुधारने से पहले कर दिया गया डिजिटलाइज, किसानों की बढ़ेगी परेशानी
राजस्व विभाग के कर्मियों की गलतियों का खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा।

जम्मू, जागरण संवाददाता : बिना नाम को दुरुस्त किए ही सरकार किसानों के जमीनी रिकार्ड को डिजिटलाइज कर पासबुक जारी करने की ओर बढ़ रही है। लेकिन इस प्रक्रिया में कई किसानों के नाम कंप्यूटर पर गलत चढ़ जाने से किसानों की दिक्कतें बढ़ जाएंगी। क्योंकि राजस्व विभाग की फाइलों में कई किसानों के नाम आज भी गलत हैं। गिरदावरी करते समय कर्मियों की गलती से कई किसानों के नाम ही बदल चुके हैं। चूंकि नाम ठीक करवाना आसान काम नहीं, इसलिए किसान चुप रहे। मगर अब सब रिकार्ड कंप्यूटर पर चढ़ रहा है, इससे किसानों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं।

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राजस्व विभाग के कर्मियों की गलतियों का खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा। कंप्यूटर पर किसानों के नाम गलत होंगे और ऐसे में यह लोग तमाम सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो जाएंगे। मंडाल तहसील के गांव सौहांजना के किसान कुलभूषण का नाम कुलदीप राज, जगतर का जगतरी, बलवंत सिंह का नाम ब्यंत सिंह, प्रेम सिंह का नाम वरेयाम सिंह लिखा गया है। किसानों का कहना है कि जब गिरदावरी की जाती है, उसी समय पेन गलत चल जाने से नाम गलत होते गए। अब गलत नाम को लेकर किसान परेशान है। सरकार बिना जांच पड़ताल किए ही नाम कंप्यूटर पर चढ़ाने में लगी हुई है। ऐसे में किसानों का ब्योरा गलत होता जाएगा और आने वाले समय में किसानों की यह दिक्कतें सुलझाना आसान नहीं होगा। पूरे मामले को लेकर किसान जम्मू-कश्मीर किसान सलाहकार बोर्ड को भी इसकी शिकायत कर रहे हैं।

क्या कहते हैं किसान : कुलभूषण खजुरिया ने बताया कि उनका कुलदीप राज लिख दिया गया है। संभवत: गिरदावरी करते समय कर्मचारियों ने यह गलती की होगी। इसको ठीक कराना पहले भी मुश्किल काम था, लेकिन अब तो और जटिल है। जमीनों के रिकार्ड को डिजिटल करने के इस दौर में सरकार को कम से कम एक नोटिस जारी कर लोगों को नाम दुरुस्त कराने का एक अवसर देना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। अब किसानों को आने वाले समय में बहुत ही परेशानियों के दौर से गुजरना पड़ेगा।

वहीं अरनिया के किसान यश सैनी का कहना है कि जमीन के रिकार्ड में कई किसानों के नाम कर्मचारियों की लापरवाही से गलत हुए हैं। एक बार फाइल में नाम गलत हो जाए तो उसको ठीक करना बहुत मुश्किल होता है। क्षेत्र में कई किसान ऐसे हैं जो कि जमीन के रिकार्ड में नाम गलत दर्ज होने के कारण परेशान है। इसलिए हमारी सरकार से गुजारिश है कि इन लोगों की बात को समझा जाना चाहिए। विभाग की गल्तियों को दुरुस्त करने के लिए किसानों को मौका दिया जाना चाहिए।

किसान जनी राम ने कहा कि जिन कर्मचारियों के कारण किसानों के नाम गलत चढ़े हैं, उन कर्मचारियों को दंड देने का समय आ गया है। सरकार पहले इन कर्मचारियों को उनकी गलती की सजा दे। फिर किसानों के नाम अगर कहीं गलत दर्ज हैं, तो उसे ठीक किया जाए।

नाम दुरुस्त करने की दिशा में काम कर सकते हैं : तहसीलदार पंकज भऊ ने कहा कि अगर कहीं किसानों के नाम जमीनी रिकार्ड में गलत है तो हम उसे ठीक करने की दिशा में काम कर सकते हैं। किसानों को चाहिए कि वे तुरंत सामने आएं ताकि पता चल सके कि कितने ऐसे मामले हैं। इनकी जांच कर नाम को दुरुस्त करने की दिशा में काम किया जा सकता है। किसान प्रतिनिधि मुलाकात कर जानकारी दें ताकि नाम दुरुस्त किए जा सकें।


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