ट्रैफिक रूट से उतरा बसंत का 'रथ'
अपने दबंग अंदाज और विवादों के कारण सुर्खियों में रहने वाले राज्य पुलिस
राज्य ब्यूरो, जम्मू : अपने दबंग अंदाज और विवादों के कारण सुर्खियों में रहने वाले राज्य पुलिस की ट्रैफिक ¨वग के आइजीपी बसंत रथ को भाजपा के समर्थन से श्रीनगर नगर निगम के मेयर बने जुनैद अजीम मट्टू के साथ ट्विटर पर उलझना महंगा पड़ा। मंगलवार को रथ का तबादला कर उन्हें कमांडेंट होमगार्ड के कार्यालय में अटैच कर दिया गया। बसंत ने ट्विटर पर मट्टू को इशारों ही इशारों में कैबेज (बंदगोभी) तक कह दिया था। हालांकि बसंत रथ के तबादले को एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया कहा जा रहा है, लेकिन स्थानीय हल्कों में इसे नौकरशाही और सियासत में टकराव और पुराने विवाद का नतीजा बताया जा रहा है। बसंत रथ की जगह आइजीपी सिक्योरिटी अलोक कुमार को ट्रैफिक ¨वग का प्रभार सौंपा गया है।
बसंत रथ को आइजीपी ट्रैफिक के पद से हटाने की अटकलें गत सोमवार को ही शुरू हो गई थीं, लेकिन मंगलवार दोपहर को राजभवन के अनुमोदन के बाद गृह विभाग ने रथ के तबादले का आदेश जारी कर दिया।
ऐसे शुरू हुई थी ट्विटर वार :
जुनैद मट्टू ने मेयर बनने के बाद श्रीनगर और उसके साथ सटे इलाकों में वेटलैंड पर अतिक्रमण संबंधी सवाल पर कथित तौर पर कहा था कि वेटलैंड पर निर्माण से अगर रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, तो एतराज की क्या बात है। इस पर बसंत रथ ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था कि वेटलैंड्स हमारे पारिस्थितिक संतुलन का एक अहम हिस्सा हैं। इनकी अहमियत को कोई कैबेज (बंदगोभी) ही नकार सकता है। इसके अगले दिन जुनैद मट्टू ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था कि उनके पास श्रीनगर शहर में ट्रैफिक की अव्यवस्था और अराजकता को लेकर कई शिकायतें आ रही हैं। इस पर बसंत रथ ने लिखा था कि यह आपका कार्यक्षेत्र नहीं है। रथ ने आगे लिखा था कि आपको महाराजाबाजार, जहांगीर चौक व उसके साथ सटे इलाकों में रेहड़ी फड़ी वालों ने जो अराजकता पैदा की है, उससे निपटना चाहिए। इसके बाद रथ ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, भूमाफिया कभी भी अच्छा पालिसीमेकर नहीं हो सकता। रथ के इन तीखे ट्वीट के बाद से ही स्थानीय हल्कों में चर्चा शुरू हो गई थी कि अब वह ज्यादा दिन ट्रैफिक विभाग में नहीं रहेंगे। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन की राज्यपाल के साथ हुई बैठक में भी इस विषय पर चर्चा हुई थी। मट्टू पीपुल्स कांफ्रेंस के ही सदस्य हैं।
विवादों से रहा है पुराना नाता
जागरण संवाददाता, जम्मू : ओडिशा में जन्मे और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़े 2000 बैच के आइपीएस ऑफिसर बसंत रथ का जम्मू और विवादों से पुराना नाता रहा है। बसंत रथ किसी के हीरो हैं तो किसी के लिए विलेन। जम्मू-कश्मीर में जब कभी भी उन्हें किसी महत्वपूर्ण स्थान पर तैनात किया गया, उन्होंने अपने अलग अंदाज की छाप छोड़ी। सोमवार को जब उनके तबादले का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो प्रतिक्रियाओं का सैलाब आ गया। कुछ ने इसे अच्छा बताया तो कुछ ने इसे राजनीति। 1. बसंत रथ का नाम जम्मू में पहली बार वर्ष 2005 में चर्चा में आया। तब वह एसपी रूरल थे और उन्होंने दोमाना के पुरखू में नाका लगाया था। मोटरसाइकिल सवार दो युवकों ने नाके पर गाड़ी नहीं रोकी तो वहां तैनात एसपीओ ने गोली चला दी, जिससे दसवीं के छात्र अनीष की मौत हो गई। आरोप लगे कि बसंत रथ के कहने पर एसपीओ ने गोली चलाई, लेकिन जांच में एसपीओ दोषी पाया गया। 2. वर्ष 2009 में अमनदीप हत्याकांड में तत्कालीन एसएसपी मनोहर ¨सह पर सुबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगा तो बसंत रथ एसपी पुंछ थे। बसंत रथ को ट्रांसफर करके एसएसपी जम्मू बनाया गया और मनोहर ¨सह को उनके स्थान पर पुंछ भेजा गया। बतौर एसएसपी बसंत रथ ने हिरासत के दौरान चौधरी नागर ¨सह से पूछताछ की तो उसका वीडियो इस कदर वायरल हुआ कि बसंत रातों-रात सोशल मीडिया पर छा गए। 3. फरवरी 2018 में बसंत रथ एक बार फिर जम्मू की सड़कों पर लौटे और इस बार आइजी ट्रैफिक बनकर। सुनने में आया कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सीधी नियुक्ति करते हुए बसंत रथ को जम्मू व श्रीनगर की सड़कों से ट्रैफिक जाम की समस्या को खत्म करने का निर्देश दिया। बसंत रथ सबसे पहले वीवीआइपी गाड़ियों पर बरसे और युवाओं के हीरो बन गए। इसके कुछ दिनों बाद ही उन्होंने बुलेट मोटरसाइकिल जब्त करने शुरू किए तो यहीं हीरो विलेन बन गया। श्रीनगर के अमीराकदल में अतिक्रमण हटाने गए तो रेहड़ी-फड़ी वालों ने जेहलम में कूद कर जान देने की धमकी दे दी। 4. वर्दी न पहनने के कारण भी बसंत रथ सुर्खियों में रहे। यहां तक कि तत्कालीन डीजीपी डॉ. एसपी वैद ने भी आइजी को नियमों का पालन करने की हिदायत दे दी, लेकिन बसंत रथ के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। पिछले दिनों बसंत रथ मीडिया कर्मी के साथ मारपीट करने को लेकर फिर सुर्खियों में आए। हालांकि बाद में उन्होंने अपने व्यवहार पर खेद जताया।