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कश्मीर की बेटी की काबिलियित लाई रंग, बरीक मंजूर ने इग्नू में स्नातक में कॉमर्स में पूरे देश में टॉप किया

10वीं में 95 फीसद अंक व 12वीं में 96.4 फीसद अंक लेकर छठे स्थान पर रहीं। जब मुझे मुझे इग्नू प्रबंधन से आमंत्रण पत्र मिला जिसमें यह लिखा था कि मैंने कॉमर्स में ऑल इडिया में टाप किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 10:54 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 10:54 AM (IST)
कश्मीर की बेटी की काबिलियित लाई रंग, बरीक मंजूर ने इग्नू में स्नातक में कॉमर्स में पूरे देश में टॉप किया
कश्मीर की बेटी की काबिलियित लाई रंग, बरीक मंजूर ने इग्नू में स्नातक में कॉमर्स में पूरे देश में टॉप किया

श्रीनगर, रजिया नूर। श्रीनगर शहर का डाउनटाउन पत्थरबाजी और अन्य देशद्रोही गतिविधियों के लिए नहीं मेधावी बेटी की काबलियित के कारण सुर्खियों में है। रैनावाड़ी की 20 वर्षीय मीर बरीक मंजूर ने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नो) से स्नातक में कॉमर्स में पूरे देश में टॉप किया। दिल्ली में इग्नो के 33वें दीक्षांत समारोह में उसे स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया। कश्मीर के इतिहास में पहली बार है कि जब राष्ट्रीय स्तर की इग्नो की परीक्षा में किसी विद्यार्थी ने पहला स्थान प्राप्त किया हो और वह भी विपरीत परिस्थितियों में।

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बारीक मंजूर कहती हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में चुनौतियों का तो सामना करना पड़ा मुुझे। कश्मीर में जरा सी भी कोई सियासी उथलफुथल हुई तो सबसे पहला प्रभाव हमारे डाउनटाउन पर पड़ता है। आए दिन कभी उग्र प्रदर्शन-हड़ताल तो कभी बंदिशें, इस माहौल के बीच पढ़ाई करना कठिन था। मैं दिन में नहीं पढ़ती थी। तड़के या देर रात पढ़ाई का मुफीद समय था। मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती हूं। घाटी के लोगों के लिए कुछ करना चाहती हूं। प्रशासिनक सेवा बेहतर माध्यम है। लिहाजा मैं भी इसी प्रशासनिक सेवा में भविष्य बनाना चाहती हूं। मैं इन दिनों कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) की परीक्षा की भी तैयारी कर रही हूं।

10वीें से 12वीं में भी टॉपर रहीं : 10वीं में 95 फीसद अंक व 12वीं में 96.4 फीसद अंक लेकर छठे स्थान पर रहीं। जब मुझे मुझे इग्नो प्रबंधन से आमंत्रण पत्र मिला जिसमें यह लिखा था कि मैंने कॉमर्स में ऑल इडिया लेवल पर टाप किया है। 17 फरवरी को होने वाले 33वें दीक्षांत समारोह में मुझे गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा। कामयाबी का श्रेय मैं माता-पिता और बड़ी बहन को दूंगी। उन्होंने बहुत हौसला बढ़ाया। कभी मुझ पर किसी किस्म का दबाव नहीं डाला।

मैं किताबी कीड़ा नहीं : मैं किताबी कीड़ा होने में यकीन नहीं रखती हूं। हर समय किताबों में सिर खपाना मुझे पसंद नहीं है। मेरा मानना है कि कनसेप्ट साफ होने चाहिए। फिर आपको किताबी कीड़ा बनने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसी फार्मूला को अपनाकर हमेशा टापरों की लिस्ट में रही।

माता-पिता को बेटा बन दिखाया : बरीक ने कहा कि मेरा भाई नहीं है। हम दो बहनें। मैं अपने माता-पिता को बेटे की कमी महसूस नहीं कराना चाहती थी। घर या बाहर का कोई काम हो तो मेरी कोशिश रहती कि मेरे माता-पिता को दूसरे की मदद न लेनी पड़े। इसलिए मैंने सोचा मुझे डिस्टेंस मोड़ ऑफ एजुकेशन अपनाना चाहिए ताकि में दोनों चीजों के साथ इंसाफ कर सकूं।

आगे बढ़ो, रुको नहीं : बरीक ने कहा कि कश्मीर के युवाओं से यह कहना चाहती हूं कि आगे बढ़ो, रुको नहीं। हमें अपने अंदर की प्रतिभा को खुद तलाशना होगा। कम सुविधाओं के बावजूद चाहे वह पढ़ाई हो, खेलकूद या अन्य कोई क्षेत्र। कोशिश करो, आगे बढ़ो कामयाबी जरूर मिलेगी।


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