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जम्मू में भी है पीवी सिंधू और गोपीचंद

सुमित शर्मा, जम्मू : उम्र महज नौ व 14 साल। ..और पुरस्कारों का अंबार। 20 बाया 44 फुट के बैड

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 02:18 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 02:18 AM (IST)
जम्मू में भी है पीवी सिंधू और गोपीचंद
जम्मू में भी है पीवी सिंधू और गोपीचंद

सुमित शर्मा, जम्मू :

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उम्र महज नौ व 14 साल। ..और पुरस्कारों का अंबार। 20 बाया 44 फुट के बैडमिंटन कोट में जब ये दोनों भागते हैं तो बिजली की रफ्तार मंद पड़ जाए। वे खुद रणनीति बनाते हैं और प्रतिद्वंद्वी को आंख झपकने तक का भी मौका नहीं देते। हाल ही में संपन्न हुई जिला जम्मू बैडमिंटन प्रतियोगिता में इन दोनों भाई-बहन ने अंडर-10, अंडर-13, अंडर-15, अंडर-17 और मेंस सिंगल के सभी खिताब अपने नाम कर लिए। जी हां हम बात कर रहे हैं जम्मू के उभरते बैडमिंटन खिलाड़ी स्नोई गोस्वामी और ऐश गोस्वामी की। इस छोटी सी उम्र में पुरस्कारों की झड़ी लगाने वाली स्नोई व ऐश महान बैडमिंटन खिलाड़ी गोपीचंद व सिंधू को अपना आदर्श मानते हैं। स्नोई के खेल से प्रभावित लोग उसे प्यार से छोटी पीवी सिंधू भी कहते हैं। स्नोई व ऐश पिछले चार साल से लगातार अपने-अपने वर्गो में राज्य चैंपियन हैं।

दोनों भाई-बहन अब तक कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। जम्मू कश्मीर के चमकते इन दोनों खिलाड़ियों को अब आगे अपने खेल को और निखार देने की जरूरत है। इन दोनों का सपना है कि यदि उन्हें हैदराबाद स्थित गोपीचंद अकेडमी में दाखिला मिल जाए तो वे राज्य और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। चूंकि अकेडमी में दाखिले के लिए फीस आड़े आ रही है। इसके लिए उन्हें किसी ऐसी एजेंसी की जरूरत है, जो उन्हें स्पांसर कर सके। घर में एक कमरा पुरस्कारों से भरा : शहर के एक्सटेंशन-डी, जानीपुर इलाके में रहने वाले स्नोई व ऐश के घर पर एक कमरा पुरस्कारों से भरा पड़ा है। पुरस्कारों की गिनती करने लगें तो समय कम पड़ जाए। स्नोई व ऐश ने बताया कि वे एमए स्टेडियम में अभ्यास करने जाते हैं, लेकिन वहां केवल दो ही कोट हैं और सीखने आने वाले खिलाड़ियों की संख्या कहीं ज्यादा। ऐसे में अभ्यास करने को समय कम मिलता है। इसके बावजूद बैडमिंटन कोच सतपाल शर्मा ने उन्हें कड़ा अभ्यास व मौका देकर यहां तक पहुंचाया है। आठ से नौ घंटे कर रहे अभ्यास :

स्नोई ने बताया कि वह ढाई साल की थी, जब उसने रैकेट हाथ में पकड़ा था। स्नोई व ऐश ने बताया कि वह तड़के साढ़े चार बजे जगते हैं। घर से स्टेडियम थोड़ा दूर है, इसलिए सुबह पास स्थित सीआरपीएफ कैंप के हाल में पहले कसरत और उसके बाद छह से दोपहर 12 तक कड़ा अभ्यास करते हैं। घर आकर पढ़ाई और शाम छह बजे से रात आठ बजे फिर एमए स्टेडियम में कड़ा अभ्यास करते हैं। रात को नौ बजे तक फिर सो जाते हैं, ताकि सुबह जल्द उठ सकें। सर्दी हो या गर्मी, बारिश हो या कोई त्योहार। किसी भी दिन छुट्टी नहीं करते। स्कूल नहीं जाते, डिस्टेंस में कर रहे पढ़ाई : स्नोई और ऐश पूरी तरह खेल को समर्पित हैं। वे स्कूल नहीं जाते, लेकिन पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने देते। डिस्टेंस से पढ़ाई कर रही स्नोई पिछले वर्ष तीसरी कक्षा में प्रथम आई और ऐश ने आठवीं में केवी स्कूल से ए-1 रैंक हासिल किया था। अब ऐश भी डिस्टेंस में पढ़ रहे हैं। मैंने पापा को सिखाया, अब वह हमें सिखा रहे :

बैडमिंटन का इंडिया कैंप लगा चुके ऐश ने कहा कि हमारे घर से पहले किसी का खेल से कोई नाता नहीं रहा। पहले मैंने एमए स्टेडियम में सीखा और घर आकर पापा को सिखाया। अब पापा काम पर जाने से पहले हम दोनों को सिखाते हैं। बच्चों के लिए अपने सपनों का दिया बलिदान :

स्नोई व ऐश के पिता रमण गोस्वामी व मां सोनिया गोस्वामी ने बताया कि उन्होंने बच्चों की खातिर अपने सपने त्याग दिए। रमण ने बताया कि वह दस से पांच बजे वाली सरकारी नौकरी आराम से कर सकते थे, लेकिन तब बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते इसलिए वह दोपहर बाद ट्यूशन सेंटर में पढ़ाते हैं, ताकि सुबह छह से सात घंटे बच्चों को समय दे सकें। शाम को उनकी मां सोनिया समय देती हैं। बच्चों की डाइट से लेकर उनकी खेल की हर जरूरत को पूरा करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को यदि हमें किसी अच्छी एकेडमी में भेजना है तो प्रति माह खर्च करीब 50 हजार तक आएगा, जिसे उठाना हमारे बस में नहीं। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन की एक ही ख्वाहिश है कि दोनों देश के लिए खेलें। सेल्फी खिंचवाने के साथ नकद पुरस्कार देते हैं दर्शक :

स्नोई व ऐश के पिता रमण गोस्वामी ने कहा कि जब भी बच्चों का मैच अन्य राज्यों में होता है तो इनके खेल से प्रभावित दर्शक इनके साथ सेल्फी लेने के साथ खुद से नकद पुरस्कार भी देते हैं। दर्शक हैरान होते हैं कि छोटी सी बच्ची सीनियर्स को हरा रही है। उन्होंने कहा कि पैसा मायने नहीं रखता, लेकिन यह देखकर बेहद खुशी मिलती है। डीजीपी कर चुके स्पांसर करने की घोषणा :

वर्ष 2017 में पुलिस लाइन जम्मू में स्नोई का फाइनल मैच देखने आए जम्मू कश्मीर पुलिस के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक डॉ. एसपी वैद उसके खेल से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एलान किया कि इस बच्ची को जम्मू कश्मीर पुलिस स्पांसर करेगी। उसके आगे की खेल की पूरी जिम्मेदारी जम्मू कश्मीर पुलिस लेगी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी वादा पूरा नहीं हुआ। दोनों बच्चों के लिए ऐसी घोषणाएं कई बार हो चुकीं। स्नोई अभी भी जम्मू कश्मीर पुलिस के दावे के पूरे होने के इंतजार में है। उसे उम्मीद है कि नए डीजीपी दिलबाग सिंह उसकी मदद जरूर करेंगे। युवाओं को दिया संदेश, नशे से दूर रहो : ऐश और स्नोई ने कहा कि जब वे किसी युवा को नशा करते देखते हैं तो उन्हें काफी दुख होता है। वे चाहते हैं कि युवाओं को नशे से दूर रहना चाहिए। अपनी प्रतिभा को खेल में लगाना चाहिए। स्नोई व ऐश का ट्रायल 21 को :

21 सितंबर से नार्थ जोन राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता के लिए जम्मू पुलिस लाइन में ट्रायल हो रहे हैं। स्नोई ने कहा कि वह सीनियर वूमेंन स्पर्धा और ऐश पुरुष वर्ग में ट्रायल देंगे। इसमें चयन के बाद राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिलेगा। ऐसा हुआ तो नौ साल की बच्ची वूमेन सिंगल के लिए कोट में उतरेगी।

स्नोई को मिले पुस्कार :

-डिस्ट्रिक चैंपियनशिप 2015 : अंडर 10 : गोल्ड मेडल सिंगल

-स्टेट चैंपियनशिप 2015 : अंडर 10 : गोल्ड मेडल सिंगल

-डिस्ट्रिक चैंपियनशिप 2016 : अंडर 10 : गोल्ड मेडल सिंगल, अंडर 13 : सिल्वर मेडल

-स्टेट चैंपियनशिप 2016 : अंडर 10 : गोल्ड मेडल सिंगल

-डॉ. प्रदीप मेमोरियल चैंपियनशिप 2017 : अंडर 10 गोल्ड मेडल डब्ल्स, अंडर 10 गोल्ड मेडल सिंगल

-जेबीसी-3 पीएनबी मेटलाइफ चंडीगढ़ 2017 : अंडर 9 : सिल्वर मेडल सिंगल, अंडर 11 : क्वार्टर फाइल सिंगल

-ओपन प्राइज मनी बैडमिंटन जालंधर 2017 : अंडर 11 : ब्रांज मेडी सिंगल

-डिस्ट्रिक चैंपियनशिप 2017 : अंडर 10 : गोल्ड मेडल सिंगल, अंडर 13 : सिल्वर मेडल सिंगल, अंडर 15: सिल्वर मेडल सिंगल

-स्टेट चैंपियनशिप 2017 : अंडर 10 : गोल्ड मेडल सिंगल, अंडर 13 : गोल्ड मेडल सिंगल, अंडर 15: सिल्वर मेडल सिंगल

-पीएनबी मेटलाइफ दिल्ली 2018 : ब्रांज मेडल

-ओपन टूर्नामेंट फिरोजपुर : अंडर 15 : गोल्ड मेडल

-जेएंडके ओपन शहीद प्रतियोगिता : गोल्ड व सिल्वर

-डिस्ट्रिक चैंपियनशिप 2018 : अंडर 10 : गोल्ड सिंगल, अंडर 13 : गोल्ड सिंगल, अंडर 15: गोल्ड सिंगल, अंडर 17 : गोल्ड सिंगल

ऐश को मिले पुस्कार :

-स्टेट चैंपियनशिप 2012 : अंडर 10 : सिल्वर सिंगल

-स्टेट चैंपियनशिप 2013 : अंडर 10 : गोल्ड सिंगल, अंडर 13 : गोल्ड मेडल

-स्टेट चैंपियनशिप 2014 : अंडर 13 : सिल्वर सिंगल, अंडर 15 : सिल्वर सिंगल

-स्टेट चैंपियनशिप 2015 : अंडर 13 : गोल्ड सिंगल, अंडर 15 : गोल्ड सिंगल व डब्ल्स, अंडर 17 : सिल्वर सिंगल व सिल्वर डब्ल्स

-स्टेट चैंपियनशिप 2016 : अंडर 13 : गोल्ड सिंगल व डब्ल्स, अंडर 15 : सिल्वर सिंगल, अंडर 17 : सिल्वर सिंगल

-केवीएस रीजनल 2016 हिमाचल : गोल्ड

-ओपन टूर्नामेंट नार्थ जोन 2016 : अंडर 13 : सिल्वर मेडल

-पीएनबी मेटलाइफ चंडीगढ़ : क्वार्टर फाइनल

-जेएंडके ओपन टूर्नामेंट : दो गोल्ड

-ओपन टूर्नामेंट जालंधर : ब्रांज

-ओपन टूर्नामेंट फिरोजपुर : दो गोल्ड

-रीजनल टूर्नामेंट : गोल्ड

-नेशनल केवी भोपाल : सिल्वर

-डिस्ट्रिक चैंपियनशिप 2017 : चार गोल्ड, एक सिल्वर

-स्टेट चैंपियनशिप 2017 : दो गोल्ड

-नेशनल चैंपियनशिप 2017 : सहभागिता

-एसजीएफआइ 2018: आंध्र प्रदेश : सहभागिता

-पीएनबी मेटलाइफ दिल्ली : क्वार्टर फाइनल

-ओपन टूर्नामेंट फिरोजुपर 2018 : दो गोल्ड, एक सिल्वर

-जेएंडके ओपन शहीद प्रतियोगिता 2018 : दो गोल्ड

-डिस्ट्रिक चैंपियनशिप 2018 : पांच गोल्ड, एक सिंगल, मेंस सिंगल : गोल्ड


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