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बाबा अमरनाथ यात्रा पर आना चाहते हैं तो रखे इन बातों का ख्याल, नहीं होगी कोई परेशानी Jammu News

यात्रा मार्ग पर मौसम कभी भी बिगड़ सकता है लिहाजा अपने साथ छाता विंड चीटर रेनकोट व वाॅटरप्रूफ जूते लेकर जाएं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 11:19 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 07:35 AM (IST)
बाबा अमरनाथ यात्रा पर आना चाहते हैं तो रखे इन बातों का ख्याल, नहीं होगी कोई परेशानी Jammu News
बाबा अमरनाथ यात्रा पर आना चाहते हैं तो रखे इन बातों का ख्याल, नहीं होगी कोई परेशानी Jammu News

जम्मू, जेएनएन। श्री बाबा अमरनाथ यात्रा पर आज से श्रद्धालुओं का पहुंचना आरंभ हो गया है। जम्मू से श्रद्धालुओं का पहला जत्था रविवार 30 जून को आधार शिविर भगवती नगर यात्री निवास से रवाना होगा। भगवान शिव के हिमलिंग के दर्शन करने के इच्छुक श्रद्धालु देश भर से पहुंचेंगे। जो श्रद्धालु हर साल इस यात्रा में आते हैं, उन्हें इससे संबंधित सभी जानकारी होती है परंतु कई ऐसे भी श्रद्धालु हैं, जो पहली बार इस दुर्गम यात्रा पर आ रहे होंगे। ऐसे में श्रद्धालुओं को बस इन बातों का ध्यान रखना है ताकि वे यात्रा को सफलतापूर्वक पूरी कर पवित्र गुफा में विराजमान भगवान शिव के दिव्य दर्शन कर सकें। आइए जानिए यात्रा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी।

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क्या करें :

1. अपने साथ पर्याप्त गर्म कपड़े रखें क्योंकि तापमान एकदम से पांच डिग्री तक गिर सकता है।

2. यात्रा मार्ग पर मौसम कभी भी बिगड़ सकता है, लिहाजा अपने साथ छाता, विंड चीटर, रेनकोट व वाॅटरप्रूफ जूते लेकर जाएं।

3. बारिश में सामान गीला न हो, इसके लिए कपड़े व अन्य खाने-पीने की चीजें वाॅटरप्रूफ बैग में ही रखें।

4. आपात स्थिति के लिए अपने किसी साथी यात्री का नाम, पता व मोबाइल नंबर लिखकर एक पर्ची अपनी जेब में रखें।

5. अपने साथ पहचान पत्र या ड्राइविंग लाइसेंस या यात्रा पर्ची जरूर रखें।

6. हमेशा ग्रुप में चले और कोशिश करें कि आपके सामान को लेकर जा रहे पिट्ठू/घोड़े वाले के साथ चलें।

7. अपने ग्रुप से अलग न हों।

8. यात्रा करने के बाद आधार शिविर से लौटते समय भी अपने ग्रुप के साथ ही निकले।

9. ग्रुप के किसी भी सदस्य के लापता होने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें। इसके अलावा यात्रा कैंप से इसकी घोषणा भी करवाए।

10. शांति से यात्रा करें और अपने साथी यात्रियों की भी यात्रा करने में मदद करें।

11. यात्रा प्रबंधन की ओर से समय-समय पर दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करें।

12. पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि व आकाश भी भगवान शिव के अंश है। लिहाजा ऐसा कोई काम न करें जिससे यात्रा क्षेत्र में किसी तरह का प्रदूषण पैदा हो।

13. पानी की बोतल, टार्च, मेवे, रोस्टेड चने, चाॅकलेट आदि अपने साथ रखें। यात्रा के दौरान इनकी जरूरत पड़ सकती है।

14. अपने साथ कोल्ड क्रीम, वैसलीन या सनस्क्रीन रखे। इससे सनबर्न से बचा जा सकेगा।

क्या न करें :-

1. महिलाएं साड़ी पहनकर यात्रा न करें। यात्रा करने के लिए सलवार-कमीज, पेंट-शर्ट या ट्रेक सूट सबसे आरामदायक रहता है।

2. छह माह से अधिक की गर्भवती महिलाएं किसी भी सूरत में यात्रा न करें।

3. तेरह वर्ष से नीचे के बच्चों व 75 साल से अधिक के बुजुर्गों को यात्रा करने की अनुमति नहीं है।

4. जिन क्षेत्रों में चेतावनी सूचना हो, वहां न रूके।

5. यात्रा मार्ग में काफी उतार-चढ़ाव हैं, इसलिए चप्पल पहनकर यात्रा न करें। केवल ट्रेकिंग जूते ही पहनकर यात्रा करें।

6. यात्रा के दौरान किसी तरह का शार्टकट न ले क्योंकि यह खतरनाक व जानलेवा हो सकता है।

7. खाली पेट कभी भी यात्रा न करें। ऐसा करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो सकती है।

8. ऐसा कोई कार्य न करें जिससे यात्रा मार्ग पर प्रदूषण फैलता हो या पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हो।

9. पालीथिन का इस्तेमाल न करें क्योंकि जम्मू-कश्मीर में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है और उल्लंघन करने पर सजा भी हो सकती है।

स्वास्थ्य परामर्श :-

1. श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए 14000 फुट की ऊंचाई तक ट्रेकिंग करनी पड़ती है।

2. ऊंचाई पर यात्रियों में निम्न बीमारियों के लक्षण पाए जा सकते है :- मन घबराना, उल्टी, थकान, कमजोरी, चक्कर आना, हल्की सिरदर्द, सोने में दिक्कत, दृष्टि दुर्बलता, मूत्राशय का काम न करना, शोक क्रिया में बाधा, शारीरिक अंगों के आपसी समन्वय का तालमेल बिगड़ना, पक्षघात होना, बेहाेश, मानसिक अवस्था का बिगड़ना, बेसुधी, सांस लेने में दिक्कत होना, सांस फूलना, सांस चढ़ना, हृदयगति बढ़ना।

3. ऊंचाई पर होने वाली इन बीमारियों का अगर समय रहते उपचार न किया जाए तो कुछ ही घंटों में जानलेवा साबित हो सकती है।

ऊंचाई वाले क्षेत्र में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए क्या करें :-

1. यात्रा के लिए शारीरिक तौर पर स्वस्थ बने। इसके लिए यात्रा आरंभ करने से एक माह पूर्व रोजाना चार-पांच किलोमीटर सुबह या शाम को सैर करे।

2. शरीर में आॅक्सीजन की क्षमता बढ़ाने के लिए लंबी सांस लेने का व्यायाम करें। योगा में प्राणयाम करें।

3. अगर आप किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त है तो यात्रा से पूर्व डाक्टर से जांच अवश्य करवाएं।

4. नए वातावरण के प्रति अनुकूल होने के लिए रूक-रूक कर यात्रा करें। अधिक चढ़ाई वाले क्षेत्र में चलने से पहले थोड़ा विराम कर ले।

5. अपनी क्षमता के विपरीत अधिक चलने करने का प्रयास न करे।

6. कोई भी दवा खाने से पहले डाक्टर की सलाह अवश्य ले।

7. पानी की कमी व सिरदर्द से निपटने के लिए खूब पानी पियें। प्रतिदिन पांच लीटर पानी पीना फायदेमंद रहता है।

8. यात्रा मार्ग के दौरान भोजन करते समय श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की वेबसाइट 'श्रीअमरनाथजीश्राइन.काम' पर दिए फूड मेन्यू का पालन करे।

9. कम ब्लड शूगर व थकावट से बचने के लिए कारबोहाइड्रेट्स युक्त भोजन का सेवन करे।

10. अपने साथ छोटा आक्सीजन सिलेंडर ले ताकि सांस लेने में दिक्कत होने की सूरत में तत्काल राहत मिल सके।

11. अधिक ऊंचाई पर जाने से अगर आपको बीमारियों के लक्षण मिलते है तो तत्काल निचले इलाके में वापिस लौट आए।

ऊंचाई वाले क्षेत्र में होने वाली बीमारियों के लक्षण पाए जाने पर क्या न करे :-

1. इन लक्षणों को नजरअंदाज न करे।

2. शराब, सिगरेट या किसी नशीली चीज का सेवन न करे।

3. बीमारी का कोई भी लक्षण पाए जाने पर आगे बढ़ने की बजाय नजदीकी समतल इलाके (बेस कैंप) में लौट आए जहां आप कुछ देर आराम कर सके।

4. बीमार यात्री की हर बात न माने क्योंकि ऐसी सूरत में वे उचित फैसला लेने में योग्य नहीं रहते।

पवित्र गुफा तक पहुंचने के दो मार्ग हैं। पहलगाम रूट और बालटाल रूट। इन दोनों स्थानों पर आधार शिविर है जहां श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा जम्मू के भगवती नगर स्थित यात्री निवास में भी श्रद्धालुओं के लिए आधार शिविर बनाया गया है। जम्मू-कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से कश्मीर स्थित इन दो यात्रा आधार शिविर का कुल सड़क मार्ग करीब 490 किलोमीटर है।

  • लखनपुर से जम्मू : 90 किलोमीटर
  • जम्मू से श्रीनगर : 300 किलोमीटर
  • श्रीनगर से पहलगाम : 95 किलोमीटर
  • श्रीनगर से बालटाल : 98 किलोमीटर

यात्रा का पहला रूट : पहलगाम

इस रूट से यात्रा पांच दिनों में पूरी होती है। पहलगाम से चंदनवाड़ी का सफर गाड़ी से तय होता है जिसके पश्चात पद्यात्रा करनी पड़ती है। चंदनवाड़ी के बाद शेषनाग व उसके पश्चात पंजतरणी में रात गुजारनी पड़ती है जिसके बाद पवित्र गुफा के दर्शन होते है। वापिस बालटाल के रास्ते से भी आया जा सकता है।

  • पहलगाम से चंदनवाड़ी : 16 किलोमीटर
  • चंदनवाड़ी से शेषनाग : 12 किलोमीटर
  • शेषनाग से पंजतरणी : 12 किलोमीटर
  • पंजतरणी से पवित्र गुफा : 6 किलोमीटर

दूसरा रूट : बालटाल

बालटाल से पवित्र गुफा 12 किलोमीटर है लेकिन यह मार्ग काफी दुर्गम व कठिन है।

श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था

सर्वप्रथम जम्मू में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए भगवती नगर में यात्रा आधार शिविर 'यात्री निवास' बनाया गया है। इसके अलावा कुछ मंदिरों व धर्मशाला में भी ठहरने की व्यवस्था है।

क्षमता :

  • यात्री निवास : इस आधार शिविर में करीब 2000 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है।
  • पुरानी मंडी का राम मंदिर : करीब 500
  • परेड का गीता भवन : 1000-1500
  • ज्यूल क्षेत्र की विनायक धर्मशाला : 200-300
  • गुरुद्वारा सुंदर सिंह मार्ग पर अग्रवाल धर्मशाला : 300-400
  • पहलगाम : इस आधार शिविर में करीब 5000 श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है।
  • बालटाल : यहां पर भी करीब 4000-5000 श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है।
  • इसके अलावा शेषनाग व पंजतरणी व भवन(पवित्र गुफा) पर भी श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए व्यवस्था रहती है।

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