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JK: गोल्डन कार्ड से ‘आयुष्मान’ हुई जिंदगी, हजारों गरीबों के लिए वरदान बन रही आयुष्मान भारत योजना

आयुष्मान भारत योजना में अभी तक 55 हजार लोगों का जम्मू-कश्मीर में इलाज हो चुका है। इनमें से 2257 का सिर्फ मेडिकल कॉलेज जम्मू में इलाज हुआ है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 11:21 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 06:38 PM (IST)
JK: गोल्डन कार्ड से ‘आयुष्मान’ हुई जिंदगी, हजारों गरीबों के लिए वरदान बन रही आयुष्मान भारत योजना
JK: गोल्डन कार्ड से ‘आयुष्मान’ हुई जिंदगी, हजारों गरीबों के लिए वरदान बन रही आयुष्मान भारत योजना

राज्य ब्यूरो, जम्मू: आयुष्मान भारत योजना जम्मू कश्मीर के गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है। योजना से गरीबों की जिंदगी संवर रही है। जिन्होंने रुपयों की कमी के चलते स्वस्थ होने की आस छोड़ दी थी, उनका जीवन भी आयुष्मान हो गया है। लोग अब गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए जागरूक हुए हैं।

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आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को अभी राज्य में लागू हुए करीब सवा साल ही हुआ है और 55 हजार लोगों को जम्मू-कश्मीर के विभिन्न अस्पतालों में इसका लाभ मिल चुका है। जम्मू कश्मीर में यह योजना एक दिसंबर 2018 में लागू हुई थी। लाभार्थियों में राजौरी जिले के कालाकोट के रहने वाले 60 साल के अब्दुल रहमान भी हैं। इनकी भी कुछ दिन पूर्व ही मेडिकल कॉलेज जम्मू में सर्जरी हुई है। इसमें करीब अस्सी हजार रुपये खर्च आया। इस तरह के कई लाभार्थी हैं, जिनके पास इलाज करवाने के लिए रुपये नहीं थे, लेकिन आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड बना और उनका इलाज हो गया।

31 लाख से अधिक हैं लाभार्थी : आयुष्मान भारत योजना को लेकर जम्मू कश्मीर के लोगों में अच्छा खासा उत्साह है। जम्मू कश्मीर में इस योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या 31 लाख से अधिक है। योजना में काम कर रहे डॉ. वसीम के अनुसार अभी तक 11 लाख 37 हजार लोगों के गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। अन्य का काम तेजी के साथ चल रहा है।

केस एक: जम्मू संभाग के पुंछ की रहने वाली 49 साल की सकीना बानो कई महीनों से दर्द से परेशान थी। अस्पताल में कई बार जांच कराई। डॉक्टरों ने हिप रिप्लेसमेंट करवाने के लिए कहा। इसमें करीब एक लाख रुपये खर्च आना था। बेटा दुकान चलाता है। आय का अन्य कोई साधन नहीं होने से इलाज नहीं हो पाया। कुछ महीने पहले आयुष्मान भारत योजना के बारे में पता चला। सूची में देखा कि उनका नाम भी था। गोल्डन कार्ड बनवाया और फिर जीएमसी जम्मू में भर्ती हो गई। 24 जनवरी को जीएमसी जम्मू में हिप रिप्लेसमेंट हुआ। अब धीरे-धीरे उसकी तबीयत में सुधार हो रहा है। उनका कहना है कि बिना आयुष्मान भारत योजना के यह संभव नहीं था।

केस दो: सुरनकोट के रहने वाले शम्सदीन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनके मैदे (आमाशय) में बीमारी थी। खेतीबाड़ी से जो बचता था, उससे जितना बनता था उतना इलाज करा लेते थे। नियमित सही से इलाज न हो से से बीमारी दूर नहीं हो रही थी। पैसे की तंगी जान निकाले दे रही थी। पिछले महीने ही उन्हें आयुष्मान भारत योजना की जानकारी मिली तो उनका कार्ड बना और फिर मेडिकल कॉलेज जम्मू में भर्ती हो गए। उनकी सर्जरी की गई है और तबीयत सुधर रही है। उनके बेटे शौकत हुसैन का कहना है कि उनके पास आय का कोई भी स्नोत नहीं है। अगर गोल्डन कार्ड न बनता तो शायद इलाज नहीं हो पाता।

सभी दवाइयां उपलब्ध नहीं

योजना के तहत अस्पतालों को सरकार द्वारा तय दाम अनुसार दवाइयां खरीदनी होती थी। संयोग और अमृत स्टोर से दवाइयां खरीदने की इजाजत है। जीएमसी जम्मू में संयोग फार्मेंसी की दुकान बंद हो गई है। अमृत स्टोर के पास सभी दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में कई बार दवाइयां खरीदने में दिक्कत आती है। यही नहीं, कुछ बीमारियों के इलाज के लिए पैकेज बहुत कम हैं। यह निजी अस्पतालों को रास नहीं आते और लाभार्थियों को इस योजना के तहत इलाज करने में उनकी कोई रुचि नहीं दिखती। निजी अस्पताल अगर बढ़-चढ़कर रुचि दिखाएं तो योजना और तेजी से गति पकड़ सकती है।

55 हजार मरीजों का हो चुका इलाज

आयुष्मान भारत योजना में अभी तक 55 हजार लोगों का जम्मू-कश्मीर में इलाज हो चुका है। इनमें से 2257 का सिर्फ मेडिकल कॉलेज जम्मू में इलाज हुआ है। एक समस्या यह है कि इस योजना का लाभ अभी गरीबी रेखा से नीचे रह रहे कई लोगों को नहीं मिल पा रहा है। उनके कार्ड ही नहीं बन पाए हैं। साल 2011 में हुए सर्वेक्षण के आधार पर ही कार्ड बनाए जा रहे हैं। परंतु जो उस सर्वे में नहीं थे, उनके कार्ड बनाने का कोई प्रावधान नहीं है। पूर्व स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डॉ. बीएस पठानिया का कहना है कि यह योजना गरीबों के लिए लाभदायक है। 


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