दिव्यांगों के लिए वरदान बनेंगे कृत्रिम हाथ
विकास अबरोल, जम्मू : दुनिया में ऐसी तमाम मिसाल हमें पढ़ने, देखने व सुनने को मिल जाती हैं, जिनम
विकास अबरोल, जम्मू : दुनिया में ऐसी तमाम मिसाल हमें पढ़ने, देखने व सुनने को मिल जाती हैं, जिनमें दिव्यांग कड़ी चुनौती का सामना करते हुए सफलता की बुलंदी छूते हैं। ऐसे में दिव्यांगों की मदद कर उन्हें स्वाभिमान से जीने की राह दिखाने के लिए देश में पहली बार ऐसा कैंप आयोजित किया जा रहा है, जिसमें हाथ गंवाने वालों को अमेरिका निर्मित कृत्रिम हाथ लगाया जाएगा। कृत्रिम हाथ से दिव्यांग आम नागरिक की तरह अपने कामकाज, दिनचर्या पूरी कर सकेंगे।
रोटरी क्लब जम्मू आस्था, रोटरी क्लब पुणे डाउनटाउन और एलेन मीडोज प्रोथास्टेटिक हैंड्स फाउंडेशन के तत्वावधान से 26 अगस्त को शहर के अग्रवाल धर्मशाला में निशुल्क शिविर लगेगा। इसमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए जाएंगे। दुर्घटना में हाथ गंवाने वाला दिव्यांग अमेरिका में निर्मित कृत्रिम हाथ लगवाने के बाद हाथों से आसानी से कर सकेगा। लिखना, खेतीबाड़ी और अन्य सामान्य कामकाज कर सकेगा। प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमिल गोयल ने बताया कि भारत में पहली बार इस तरह का अनूठा शिविर आयोजित किया जा रहा है। अमेरिका निर्मित कृत्रिम हाथ प्लास्टिक और धातु के मिश्रण से तैयार किया गया है। इसका वजन काफी कम। इसके आगे बनी अंगुलियों और हाथ को आसानी से मोड़ा जा सकेगा। शिविर में कृत्रिम हाथ लगाने के बाद इसके प्रयोग के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के 80 देशों में अब तक 30 हजार कृत्रिम हाथों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम ईस्ट अफ्रीका, कोलंबिया, वियतनाम, जोर्डन और भारत में देखने को मिल रहे हैं।
इस कृत्रिम हाथ को लगाने के लिए दिव्यांग के बाजू की कोहिनी के आगे चार इंच की जगह होना चाहिए तभी इसको स्थापित किया जा सकेगा। अपनी तरह का पहला एवं अनूठा निशुल्क शिविर का लाभ उठाने वाले दिव्यांगों को पंजीकरण करवाना होगा। कैंप में लगाए जाने वाले कृत्रिम हाथ पुणे से मंगवाए जाने हैं। करीब 15 हजार रुपये की लागत से एक कृत्रिम हाथ अमेरिका में तैयार किया जाता है लेकिन कैंप में इसे निशुल्क दिव्यागों को लगाया जाएगा। देश में इससे पहले कैंप रायपुर, छत्तीसगढ़, इलाहाबाद और चेन्नई में आयोजित किया जा चुका है। -पूरे विश्व में लगाते हैं शिविर
अमेरिका के कैलिफोर्निया के मार्ज मीडोज और उनकी पत्नी अर्नी मीडोज अपनी इकलौती बेटी एलेन को करीब 10 साल पहले सड़क दुर्घटना में गंवा बैठे थे। पेशे से डिजाइनर मीडोज और उनकी पत्नी इस हादसे के बाद सदमे में थे। सदमे से उबरने के बाद दंपती ने बेटी की स्मृति में कुछ ऐसा करने की ठानी ताकि पूरे विश्व में बेटी के नाम से कुछ मदद की जा सके। उन्होंने हाथ गंवाने वाले कुछ लोगों को चुना और प्रोथास्टेटिक हैंड फाउंडेशन संस्था का गठन किया। धीरे-धीरे सभी का सहयोग मिलता गया और आज पूरे विश्व में इसे निशुल्क बांटा जा रहा है। भारत में रोटरी क्लब की मदद से सभी को इसका लाभ दिया जा रहा है। अमेरिका से यह दंपती भारत में इन कृत्रिम हाथों को निशुल्क भेजने का पूरा खर्च उठा रहा है ताकि उनकी बेटी का नाम अमर रहे।