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Article 370 happiness in Ladakh: केंद्रित शासित प्रदेश बनने से हर तरफ खुशी व उत्साह का माहौल

happiness in Ladakh केंद्रित शासित (यूटी) प्रदेश का सपना साकार होने से लद्दाख में हर तरफ खुशी और उत्साह का माहौल है। तेज विकास से पर्यटन आश्रित लद्दाख का कायाकल्प होगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 07:56 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 03:01 PM (IST)
Article 370 happiness in Ladakh: केंद्रित शासित प्रदेश बनने से हर तरफ खुशी व उत्साह का माहौल
Article 370 happiness in Ladakh: केंद्रित शासित प्रदेश बनने से हर तरफ खुशी व उत्साह का माहौल

जम्मू, राज्य ब्यूरो। happiness in Ladakh: केंद्रित शासित (यूटी) प्रदेश का सपना साकार होने से लद्दाख में हर तरफ खुशी और उत्साह का माहौल है। पर्यटन आश्रित लद्दाख में पांच अगस्त के बाद से मानों हर दिन त्योहार मन रहे हों। लद्दाख को उम्मीद है कि अब तेज विकास से लद्दाख का कायाकल्प होगा। वहीं लेह के साथ कारगिल जिला भी यूनियन टेरेटरी बनने से खुश है।

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जोजिला टनल का निर्माण जल्द होने की स्थिति में पूरा साल पर्यटन लद्दाख की कायाकल्प कर देगा। सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत बनाना संभव हो जाएगा। जंस्कार के निवासी सीवांग चोस्तर का कहना है कि पहला सारा ध्यान कश्मीर के पर्यटन पर केंद्रित होने के कारण लद्दाख को पीछे छोड़ दिया गया। नए लद्दाख में बदलाव का दौर शुरू हो गया है। कारगिल में कश्मीर केंद्रित क्षेत्रीय दलों का प्रभाव कम होने लगा है। ऐसे हालात में विधान परिषद के चेयरमैन हाजी इनायत अली के नेतृत्व में पीडीपी की जिला इकाई के पदाधिकारियों के साथ भाजपा में शामिल होने के बाद नेशनल कांफ्रेंस के कुछ नेताओं, कार्यकर्ताओं के भी भाजपा में आने के आसार हैं।

कारगिल का विकास चाहने वाले लोग खुश है कि अब केंद्र उनके विकास के फैसले करेगा। इससे पुरानी समस्याएं दूर हो पाएंगी।हर लद्दाखी को बेहतर भविष्य की उम्मीद भाजपा के सांसद बने जामियांग त्सीरिंग नांग्याल का कहना है कि पहली बार लद्दाखियों को लगा है कि कोई दिल से उनकी बेहतरी के लिए काम कर रहा है। मोदी सरकार ने पहले लद्दाख को अलग डिवीजन बनाया गया। अब यूनियन टेरेटरी की मांग पूरी हो गई। जम्मू कश्मीर का 70 प्रतिशत क्षेत्र लद्दाख में होने के बाद कश्मीर केंद्रित सरकारें नजर अंदाज करती थी। उनकी राजनीति सिर्फ कश्मीर व जम्मू तक ही केंद्रित होने के कारण लद्दाख पिछड़ता गया।

सरकार बनाने की प्रक्रिया में लद्दाख को कमजोर करने के लिए क्षेत्र में विधानसभा की सीटों को चार तक सीमित रखा गया। लद्दाख में और ताकतवर हुए सेना, सुरक्षाबल लद्दाख में चीन, पाकिस्तान जैसे नापाक मंसूबे रखने वाले देशों से निपटने के लिए सेना पहले से अधिक ताकतवर होगी। केंद्र द्वारा सीधे शासित होने वाले प्रदेश में सेना, सुरक्षाबलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए त्वरित कार्रवाई संभव होगी। पहले सेना, सुरक्षाबलों संबंधी मुद्दों में कश्मीर केंद्रित सरकारों का हस्तक्षेप रहता था।

ऐसे हालात में अकसर सेना के लिए राज्य सरकार से चांदमारी के लिए जमीन हासिल करना मुश्किल हो जाता था। हथियारों का प्रशिक्षण लेने के लिए सरकार द्वारा जगह न देने के कारण कई बार तोपों, टैंकों से गोला, बारूद चलाने का प्रशिक्षण लेने के बाद सेना को राज्य से बाहर जाना पड़ता था। अब हालात और हैं, केंद्र की ओर से सेना, सुरक्षाबलों का सशक्त बनाने की मुहिम जारी है। ऐसे हालात में सेना की जरूरत को पूरा करने में कोई बाधा नही आएगी। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले से क्षेत्र में जान हथेली पर रखकर देश सेवा कर रहे जवानों का मनोबल बढ़ा है।

लद्दाख में सेना चुनौतीपूर्ण हालात में दुश्मन का सामना कर रही है। लेह के सियाचिन में दुर्गम हालात में सेना के जवान सियाचिन में पाक के सामने सीना ताने खड़े हैं। भारतीय सेना बीस साल पहले लद्दाख के कारगिल में भी पाक सेना को शिकस्त देने के बाद अब पूरी चौकसी बरत रही है। लद्दाख की एकजुटता से साकार हुआ सपना लद्दाख की एकजुटता के कारण क्षेत्र का दशका पुराना सपना साकार हो पाया है।

लेह जिले को कश्मीर केंद्रित सरकार की दमनकारी नीतियां मंजूर नहीं थी। ऐसे में लेह ने ऑटोनमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल बनने के बाद ही सिर्फ तिरंगे को लहराने का फैसला कर जम्मू कश्मीर सरकार का झंडा उतार दिया था। लेह जिले के साथ कारगिल के अधिकतर इलाकों में केंद्र शासित प्रदेश की मांग को लेकर कभी भी विरोध के स्वर नही उभरे। सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने लद्दाख के हितों को पहले व राजनीतिक एजेंडो को बाद में देखा। यही कारण था कि कई बार पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस को पार्टी एजेंडे के खिलाफ काम करने वाले लद्दाखी नेताओं, कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर निकालना पड़ा।

यूटी के फैसले के बाद कारगिल में कुछ लोगों का प्रदर्शन भी महज दिखावा है। पिछले चालीस साल से बुलंद की जा रही आवाजचालीस वर्षो से यूनियन टेरेटरी की मांग को लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन ने बुलंद किया। वर्ष 2002 में लद्दाख यूनियन टेरेटरी फ्रंट बना था। इस मांग को भाजपा का समर्थन मिलने के बाद वर्ष 2010 में फ्रंट ने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। भाजपा में आने के बाद वर्ष 2014 में सांसद के रूप में भी थुप्स्तन छिवांग यूटी के लिए पार्टी पर दवाब बनाते आए।

ऐसे में जब एनडीए के पहले कार्यकाल में उन्हें यह मांग पूरी होती नही दिखी तो उन्होंने विरोध में सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया। काफी कोशिशों के बाद भी वह 2019 में भाजपा के उम्मीदवार बनने के लिए तैयार नही हुए। लद्दाख को यूनियन टेरेटरी बनाने के केंद्र सरकार के फैसले से बहुत खुश हुए छिवांग का कहना है कि भाजपा ने अपना वादा पूरा कर सत्तर साल पुरानी मांग पूरी कर दी । लद्दाख के लोगों को इस जीत के जिम्मेवार हैं। उन्होंने एकजुटता से मुहिम को निर्णायक दौर तक पहुंचाया। 

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