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कुपवाड़ा हिमस्खलन : सामने दिख रही थी मौत, तभी देवदूत बनकर पहुंच गए सेना के जवान

उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा के टंगडार चौकीबल राजमार्ग पर अचानक से दो जगह हिमस्खलन हुआ। निजी वाहनों पर इस मार्ग से गुजर रहे करीब 14 नागरिक जिनमें बड़े-बुजुर्ग व बच्चे भी शामिल थे फंसकर रह गए।जवानों ने हम सभी को गाड़ियों से बाहर निकाल लिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 12:55 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 01:05 PM (IST)
कुपवाड़ा हिमस्खलन : सामने दिख रही थी मौत, तभी देवदूत बनकर पहुंच गए सेना के जवान
सामने से कुछ सेना के जवान देवदूत की तरह हमारी ओर आते दिखे।

श्रीनगर, जेएनएन : कश्मीर में आतंकवाद का सामना कर रही सेना के जवानों को आम नागरिकों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रहता है। बर्फबारी के बाद कश्मीर घाटी में अक्सर हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सर्द मौसम में सेना केे जवान हिमस्खलन प्रभावित इलाकों में अक्सर नजर रखे हुए होते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वे आम नागरिकों तक समय पर पहुंच सकें। ऐसी ही एक घटना आज मंगलवार को देखने को मिली।

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उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा के टंगडार चौकीबल राजमार्ग पर अचानक से दो जगह हिमस्खलन हुआ। निजी वाहनों पर इस मार्ग से गुजर रहे करीब 14 नागरिक जिनमें बड़े-बुजुर्ग व बच्चे भी शामिल थे, फंसकर रह गए। इन नागिरकों का कहना है कि हिमस्खलन के बाद चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आ रही थी। सभी गाड़ियां बुरी तरह से बर्फ में फंस गई थी। यह तो साफ हो गया था कि यहां से सुरक्षित बाहर निकलना संभव नहीं है। हमारी मौत पक्का है, परंतु तभी सामने से कुछ सेना के जवान देवदूत की तरह हमारी ओर आते दिखे। गाड़ियों के पास पहुंचते ही जब जवानों ने कहा कि घबराएं नहीं, हम सभी को सुरक्षित निकाल लेंगे। घबराना नहीं। इन शब्दों को सुनकर हमारी जान में जान आई और कुछ ही समय में सेना के जवानों ने हम सभी को गाड़ियों से बाहर निकाल लिया। 

उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे टंगडार कुपवाड़ा सेक्टर में मंगलवार को हिमस्खलन में फंसे 14 नागरिकों को सेना के बचावकर्मियों ने समय रहते बचा लिया। हिमस्खलन आज तड़के हुआ है।

यहां मिली जानकारी के अनुसार, आज तड़के टंगडार से चौकीबल की तरफ से कुछ लोग अपने वाहनों में आ रहे थे। उस समय हिमपात भी होरहा था।रास्ते में अचानक एक जगह हिमस्खलन हो गया और वाहन उसमें फंस गए। सड़क भी पूरी तरह बंद हो गई। गनीमत रही कि वाहन पूरी तरह बर्फ के नीचे नहीं दबे थे। जिस जगह यह हिमस्खलन हुआ है, वहां से कुछ ही दूरी पर सेना की नीलम कंपनी की एक एवालांच रेस्क्यू टीम भी तैनात थी। हिमस्खलन और उसमें कुछ लोगों के फंसे होने की सूचना जैसे ही नीलम कंपनी में पहुंची, कैप्टन कुलजोत सिंह के नेतृत्व में बचावकर्मी मौके पर पहुंच गए। उनके साथ सेना की जनरल रिजर्व इंजीनियरिंग फोर्स का भी एक दस्ता मौके पर पहुंचा। उन्होंने बर्फ को हटाते हुए वाहनों में ठंड से ठिठुर रहे सभी लोगों को बाहर निकाला औरअपने शिविर में पहुंचाया। इनमें कुछ बच्चे और महिलाएं भी शामिल थी।

सैन्य शिविर में इन सभी लोगों को प्राथमिक उपचार प्रदान किया गया। इसके साथ ही उन्हें कंबल व खाने-पीने का सामान भी प्रदान किया गया। संबधित अधिकारियों ने बताया कि यह लोग करीब तीन घंटे तक बर्फ में फंसे रहे थे। अगर समय बचावकर्मियों को पहुंचने में कुछ और देरी हो जाती तो कई लोगों की जान भी जा सकती थी।


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