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कश्मीर के युवाओं का आतंक को ठेंगा, कहा- यहां से मिलने वाली बंदूक ही कश्मीर में लाएगी अमन

कश्मीरी युवकों को फौजी बनने का मौका देने के लिए भारतीय सेना ने भर्ती रैली शुरू की जो 16 जुलाई तक चलेगी। वादी के सभी 10 जिलों के योग्य युवक इसमें भाग ले सकते हैं

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 10:00 AM (IST)
कश्मीर के युवाओं का आतंक को ठेंगा, कहा- यहां से मिलने वाली बंदूक ही कश्मीर में लाएगी अमन
कश्मीर के युवाओं का आतंक को ठेंगा, कहा- यहां से मिलने वाली बंदूक ही कश्मीर में लाएगी अमन

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। अलकायदा का कमांडर अल-जवाहिरी बुधवार को जिस समय एक वीडियो के जरिए कश्मीरियों को भड़काते हुए उन्हें भारतीय फौज पर हमले करने के लिए उकसा रहा था, उस समय उत्तरी कश्मीर के हैदरबेग, पट्टन (बारामुला) में सैकड़ों स्थानीय युवक फौजी बनने के लिए एक स्टेडियम में जमा हो रहे थे। किसी के चेहरे पर आतंकवाद का कोई खौफ नहीं था। सभी एक सम्मान जनक जिंदगी और रोशन मुस्तकबिल की उम्मीद लिए आए थे। युवाओं का जोश हाई था और यह आतंकवाद और अलगाववाद पर गहरी चोट है।

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कश्मीरी युवकों को फौजी बनने का मौका देने के लिए भारतीय सेना ने हैदरबेग में बुधवार को एक भर्ती रैली शुरू की, जो 16 जुलाई तक चलेगी। वादी के सभी 10 जिलों के योग्य युवक इसमें भाग ले सकते हैं। अब तक करीब 5366 युवक रैली के लिए अपना पंजीकरण करा चुके हैं।

सुबह सैन्य भर्ती रैली स्थल के बाहर बड़ी संख्या में घाटी के विभिन्न हिस्सों से आए युवकों की भीड़ जमा थी। कइयों ने रात पट्टन और बारामुला के होटलों या अपने परिचितों के घरों में बिताई, ताकि रैली में शामिल होने में देर न हो जाए। कुलगाम के अशमुजी से आए निसार वानी ने कहा कि शहीद लांसनायक नजीर वानी हमारे गांव के हैं। उनकी शहादत से मुझे भी फौजी बनने का हौंसला मिला है। उनके नाम पर एक स्कूल भी है। शरीरिक टेस्ट मैंने पास कर लिया है। उम्मीद है कि लिखित परीक्षा भी पास कर लूंगा।

दक्षिण कश्मीर में जिहादी तत्वों द्वारा फौज और पुलिस के खिलाफ फरमान जारी करने पर निसार ने कहा कि इस तरह के फरमान चलते रहते हैं। बता दें कि शहीद नजीर वानी बीते साल आतंकियों को मार गिराते शहीद हुए थे। उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। फौजी बनने से पहले नजीर भी एक आतंकी कमांडर थे।

भर्ती होने आए एक अन्य युवक ने अपना नाम तो नहीं बताया, लेकिन यह जरूर कहा कि मैं बीते दो वर्षों से यहां भर्ती का मौका तलाश रहा था। मैंने आज पहली ही कोशिश में दौड़ और शारीरिक दमखम का इम्तिहान पास कर लिया है। उसने कहा कि फौज और फौज की नौकरी बहुत अच्छी है।

सोपोर से आए युवक अरशद खान ने कहा कि मैंने एक बार पहले भी बांडीपोरा में भर्ती रैली मे हिस्सा लिया था, लेकिन लिखित परीक्षा में पास नहीं हो सका था। इस बार मैंने पूरी तैयारी की है। फौज में भर्ती होने संबंधी सवाल पर उसने कहा कि यहां जो आता है, वह हमें आतंकियों और उनके फरमान की बात सुनाता है, लेकिन मेरी बात आप जरूर उन लोगों तक पहुंचाना, जो फौज के खिलाफ यहां फरमान सुनाते हैं।

अगर यह फौज कश्मीरियों की दुश्मन होती तो मैं यहां कभी इसका हिस्सा बनने नहीं आता। यहां जितने लड़के फौजी बनने आए हैं, उनमें से 80 प्रतिशत के आसपास में एक या दो आतंकी रहते हैं। फिर भी ये लोग बेखौफ होकर आए हैं, क्योंकि इन्हें पता है कि कश्मीर को जिस बंदूक और जिहाद की जरूरत है, उसका रास्ता इसी मैदान से निकलता है। यहां से मिलने वाली बंदूक ही हम कश्मीरियों की हिफाजत करेगी, कश्मीर में अमन और खुशहाली लेकर आएगी।

भर्ती रैली में मौजूद कर्नल रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि 16 जुलाई तक फिजिकल टेस्ट चलेंगे, दस्तावेजों की जांच होगी। इसके बाद 28 जुलाई से 25 अगस्त तक फिजिकल टेस्ट में सफल रहने वाले अभ्यार्थियों की लिखित परीक्षा होगी। उसमें सफल रहने वालों की मेरिट लिस्ट बनेगी और उसके आधार पर उन्हें फौज में भर्ती करते हुए ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा।

सैन्य भर्ती जम्मू कश्मीर उप महानिदेशक ब्रिगेडियर जगदीप दाहिया-

'जवान और अवाम, अमन है मुकाम का नारा यहां लोगों के दिल में बैठ चुका है। भर्ती रैली में स्थानीय लड़कों के जोश को देखकर इसका यकीन हो जाता है। मेरी यहां के युवाओं से गुजारिश है कि वे किसी के बहकावे में न आएं। भर्ती को लेकर बिचौलियों के चक्कर में भी न फंसे। जो योग्य होगा, उसका ही चयन होगा। यह रैली तो शुरुआत है, आने वाले दिनों में इस तरह की रैलियां पूरे कश्मीर में आयोजित की जाएंगी। 


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