Army in Kashmir: बर्फ में भी आतंक पर प्रहार और लोगों की खैरियत ले रही सेना, 100 सैन्य पार्टियां घरों में दे रही दस्तक
इस समय सेना की हर पेट्रोलिंग पार्टी के साथ मेडिकल कोर का एक व्यक्ति भी रहता है ऐसे में चिकित्सा संबंधी छोटी परेशानियों का इलाज मौके पर हो जाता है। कोई बड़ी समस्या हो तो पेट्रोलिंग पार्टी अपनी आपरेटिंग बेस को सूचित कर मदद भेजने का आग्रह करती है।
जम्मू, विवेक सिंह: बर्फबारी के बीच बांडीपोरा जिले में दूर पहाड़ी पर बने एक घर में दस्तक होती है। बुजुर्ग गुलाम नबी दरवाजा खोलते हैं तो सामने बर्फ से सने कपड़ों में खड़ा युवा सैन्य अधिकारी मुस्कुराकर पूछता है, चचा आप खैरियत से हैं, सब ठीक है ना, किसी को कोई परेशानी तो नहीं? कोई मदद चाहिए तो बताओ। शून्य से नीचे माइनस तापमान और बर्फ से ढके रास्ते। इंसान तो क्या, पंछी भी घौंसलों से बाहर नहीं दिखाई देते। ऐसे विपरीत हालात में सेना संकट में फंसे लोगों के लिए उम्मीद बनकर सामने आ रही है।
घाटी के दूरदराज के इन क्षेत्रों में जहां सेना आतंकियों के सफाए में जुटी हुई है, वहीं आम लोगों की खैर खबर भी ले रही है। सेना ने बर्फ से ढके गांव-गांव में जाकर ग्रामीणों की मदद के लिए खैरियत पेट्रोल मुहिम चला रखी है। ऐसे इलाकों में करीब सौ सैन्य चौकियों की पेट्रोलिंग पार्टियां हर रोज करीब 250 गांवों में लोगों के घरों में दस्तक देकर मेडिकल, अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है।
इस समय सेना की हर पेट्रोलिंग पार्टी के साथ मेडिकल कोर का एक व्यक्ति भी रहता है, ऐसे में चिकित्सा संबंधी छोटी परेशानियों का इलाज मौके पर हो जाता है। कोई बड़ी समस्या हो तो पेट्रोलिंग पार्टी अपनी आपरेटिंग बेस को सूचित कर मदद भेजने का आग्रह करती है। इस मुहिम के तहत सेना कश्मीर के हजारों लोगों के दिलों को छू चुकी है। शुक्रवार को सेना की खैरियत पेट्रोल की एक पार्टी बांडीपोरा के परिबल इलाके के गांवों में लोगों के घरों में पहुंची। सैनिकों ने ब्लाक के आलूसा व आसपास के गांवों में लोगों की सुध लेने के साथ बीमार बुजुर्गों के स्वास्थ्य की जांच करने के बाद उन्हें दवाईयां दी। आलूसा इलाका बर्फ से कटे होने के कारण बुजुर्गों को स्वास्थ्य सुविधाएं नही मिल रही है। इससे पहले रफियाबाद में भी ऐसा अभियान चलाया गया था।
मदद के लिए बुलाने पर सेना हर समय हाजिर: बृजेश पांडे
सेना की उत्तरी कमान के ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ बृजेश पांडे का कहना है कि बर्फ के मौसम में आवाम की मुश्किलों दूर करना सेना की पहली प्राथमिकता है। सेना हर दूरदराज इलाके के चप्पे चप्पे से वाकिफ है। ऐसे में हर पेट्रोलिंग पार्टी गांवों वासियों को अपने परिवार का हिस्सा मानते हुए उनके बारे में सारी जानकारी रखती है। ऐसे में पेट्रोलिंग पार्टी हर रोज 2-3 गांवों में जाकर मेडिकल सुविधाएं देने के साथ लोगों में कोरोना की रोकथाम संबंधी सामग्री भी देती है। कोई और मुश्किल हो तो उसका भी समाधान होता है। ब्रिगेडियर पांडे ने जागरण को बताया कि इस समय उत्तरी कमान का खैरियत पेट्रोल जम्मू-कश्मीर के साथ केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भी जारी है। इसे छोड़कर गांव वासियों के मदद के लिए बुलाने पर सेना हर समय हाजिर है।
सड़क हादसे के घायलों को भी बचाया: प्रदेश में कड़ी ठंड से लोगों को बचाने के साथ सड़क हादसों के घायलों की भी मदद की जा रही है। ऐसे में जम्मू संभाग के रामबन में ही सेना ने अब तक 8 सड़क हादसों का शिकार हुए लोगों को बचाया है। जैसे ही जवानों को अपने इलाके में सड़क हादसों, हिमस्खलन आदि के बारे में पता चलता है तो वे हरकत में आ जाती है। इसके साथ बर्फ में बीमार हो रहे लोगों को अस्पताल पहुंचने मेें भी मदद दी जा रही है।
वर्ष 2014 से जारी है खैरियत पेट्रोल: कश्मर में सेना का खैरियत पेट्रोल वर्ष 2014 से काम कर रहा है। वर्ष 2014 में कश्मीर में विनाशकारी बाढ़ आने के बाद कश्मीर के दूरदराज इलाकों में भू स्खलन से बहुत नुकसान हुआ था। इस दौरान सेना ने लोगों को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था। उसके बाद से सेना मौसम की चुनौतियां का सामना करने के साथ लोगों को बचाने के लिए भी लगातार कार्रवाई करती है। इसके लिए सेना ने अपनी बटालियनों के जवानों को आपदा प्रबंधन के लिए भी तैयार किया है।
बर्फ से सेना एवलांच पैंथर्स भी सक्रिय: जम्मू, बर्फ के दिनों में सेना के लिए काम करना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उच्च पर्वतीय इलाकों में कई भी सेना के जवान हिमस्खलन की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में इन दिनों सेना ने अपने एवलांच पैंर्थस भी सक्रिय किए हैं। उत्तरी कमान के क्षेत्राधिकार में जम्मू कश्मीर व लद्दाख में एवलांच पैंर्थस हिमस्खलन होने की स्थित में त्वरित कार्रवाई करते हैं। हिमस्खलन की चपेट में आए सैनिकों को बचाने के लिए सेना के माउंटेन रेस्क्यूर्स भी सक्रिय हैं। सैनिकों के साथ लोगों की जानों को भी बहुमूल्य मानने वाली सेना के एवलांच पैंथर्स के पास आधुनिक यंत्र भी हैं, जिससे वह ग्लेशियरों की हरकत पर नजर रखते हैं।