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सेना दिवस पर जम्मू से सियाचिन तक देश पर मर मिटने के जज्बे ने जोश मारा

जम्मू कश्मीर काे पाकिस्तानी सेना, कबायली हमले से बचाने के लिए सेना ने 26 अक्टूबर को यहां कदम रखा था। सियाचिन को पाकिस्तान से बचाने के लिए सेना 1984 से वहां पर डेरा डाले हुए है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 06:09 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 06:09 PM (IST)
सेना दिवस पर जम्मू से सियाचिन तक देश पर मर मिटने के जज्बे ने जोश मारा
सेना दिवस पर जम्मू से सियाचिन तक देश पर मर मिटने के जज्बे ने जोश मारा

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू से लेकर बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख के सियाचिन में पाकिस्तान, चीन जैसे देशों के सामने खड़े सैनिकों के देश पर मर मिटने के जज्बे ने मंगलवार को सेना दिवस पर जोश मारा। आज से ठीक 71 साल पहले 15 जनवरी 1948 को जनरल केएम करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने थे। उन्होंने सेना के अंतिम अंग्रेज जनरल फ्रांसिस बुचर से सेना की कमान संभाली थी। जम्मू कश्मीर काे पाकिस्तानी सेना, कबायली हमले से बचाने के लिए ने 26 अक्टूबर को यहां कदम रखा था। वहीं सियाचिन को पाकिस्तान से बचाने के लिए वर्ष 1984 से भारतीय सेना वहां पर डेरा डाले हुए है। मंगलवार को लद्दाख के सियाचिन में सेना के बर्फीले चीताओं ने अपने शहीदों को याद कर अपने इस प्रण को दोहराया कि वे दुश्मन के साथ साथ निष्ठुर मौसम को भी मात देकर मातृभूमि की रक्षा करेंगे।

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सियाचिन में दुश्मन के सामने सीना तान खड़ी है सेना

सियाचिन ग्लेशियर की कुछ चौकियां बीस हजार फीट की उंचाई पर हैं व सर्दियों में यहां पर तापमान शून्य से 60 डिग्री तक कम हाे जाता है। ऐसे दुर्गम हालात में भारतीय सेना की चौदह कोर दुश्मन के सामने सीना ताने खड़ी है। लद्दाख में सियाचिन की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की चौदह कोर के लेह स्थित मुख्यालय के साथ कारगिल व अन्य दुगर्म इलाकों में भी बर्फ के बीच सेना दिवस का जोश दिखा। कोर मुख्यालय में कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी की देखरेख में सेना दिवस के कार्यक्रम हुए।

शहीदों को याद कर दुश्मन को नाकाम बनाने का प्रण लिया

वहीं राज्य में आतंकवाद से लड़ रही सेना ने मंगलवार को सेना दिवस पर अपने शहीदों को याद कर दुश्मन को नाकाम बनाने का प्रण लिया। सेना की उत्तरी व पश्चिमी कमान की विभिन्न सैन्य फारमेशनों ने मंगलवार को राज्यभर में कार्यक्रमों का आयोजन कर पाकिस्तान से युद्धों, सैन्य अभियान, आतंकवाद विरोधी अभियानों में शहादत देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि दी। जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना वर्ष 1947 से आज तक पड़ोसी देश की ओर से पैदा की जा रही चुनौतियों का सामना कर रही है। पाकिस्तान से हुए युद्धों व तीन दशक से जारी परोक्ष युद्ध में सेना ने हजारों कुर्बानियां दी हैं।

वीरता का लोहा मनवाने की परंपरा को कायम रखें जवान

मुख्य कार्यक्रम उत्तरी कमान मुख्यालय ऊधमपुर में हुआ जहां आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने ध्रुव वार मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने उत्तरी कमान के जवानों को संदेश दिया कि वे वीरता का लोहा मनवाने की परंपरा को हमेशा कायम रखें। उत्तरी कमान मुख्यालय की सोलह कोर में कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह, पंद्रह कोर में कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट की अध्यक्षता में सेना दिवस के कार्यक्रम हुए।

देश के लिए हर चुनौती का सामना करने को तैयार सेना

सेना की पश्चिमी कमान की टाइगर डिव के वार मेमोरियल पर सेना की 9 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नैन व डिव के जीओसी मेजर जनरल शरद कपूर ने सेना दिवस पर देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए सेना के जवानों व अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर जवानों ने प्रण लिया कि वे देश के लिए किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे। 


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