Move to Jagran APP

केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख को नई पहचान मिली, लद्दाख सेना के लिए रणनीति रूप से अहम : आर्मी कमांडर

भारतीय सेना के लिए लद्दाख रणनीतिक रूप से अहम है। यह इकलौता प्रदेश है जहां आजादी के बाद पड़ोसी देशों से कई युद्ध लड़़े गए। लेह में शुक्रवार को आर्मी कमांडर लद्दाख के इतिहास कला व संस्कृति पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में विचार व्यक्त कर रहे थे।

By vivek singhEdited By: Lokesh Chandra MishraPublished: Fri, 30 Sep 2022 09:10 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 09:10 PM (IST)
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख को नई पहचान मिली, लद्दाख सेना के लिए रणनीति रूप से अहम : आर्मी कमांडर
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि आज देशी-विदेशी भी लद्दाख में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख को नई पहचान मिली है। भारतीय सेना के लिए लद्दाख रणनीतिक रूप से अहम है। यह इकलौता प्रदेश है जहां आजादी के बाद पड़ोसी देशों से कई युद्ध लड़़े गए। लेह में शुक्रवार को आर्मी कमांडर लद्दाख के इतिहास, कला व संस्कृति पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में विचार व्यक्त कर रहे थे।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि आज देशी-विदेशी भी लद्दाख में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ऊंचे पास, बौद्ध मठ, महायना बौद्ध धर्म के साथ इस्लामिक परंपरा को आकर्षित करते हैं। लद्दाख के लोगों का सेना के साथ बहुत जुड़ाव रहा है। हर परिवार लद्दाख स्काउट्स से जुड़ा है। खासी संख्या में युवा सैनिक बनने के लिए सामने आते हैं। दो बार महावीर चक्र जीतने वाले लद्दाख के रक्षक कर्नल छिवांग रिनचिन ने सभी युद्धों में हिस्सा लिया है। आर्मी कमांडर ने कहा कि जब पाकिस्तान ने गिलगित पर कब्जा किया था तब स्थानीय लोगों ने नोबरा गार्डस में भर्ती होकर दुश्मन के साथ मोर्चा लिया था।

आज नोबरा गार्ड्स भारतीय सेना के सबसे ज्यादा वीरता पदक हासिल करने वाली रेजीमेंट है। सेमिनार में लद्दाख आटोनमस हिल कांउसिल लेह के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर ताशी ग्यालसन के साथ जम्मू विश्वविद्यालय के प्रो. शाम नारायण लाल, दिल्ली विश्वविद्यालय की डा. रितिका जोशी, डा रागिनी, सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ बुद्धिस्ट स्टडीज के वाइस चांलसर प्रो. वैद्यनाथ लाभ, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा, डा. अजय शर्मा, प्रो निधि बहुगुणा, डा. अर्जुन त्यागी, डा. नीरज गुप्ता व अन्य कई बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।

सेमिनार का आयोजन इंडियन काउंसिल आफ हिस्टोरिकल रिसर्च दिल्ली, जम्मू कश्मीर सेंटर ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सहयोग से किया है। वक्ताओं ने लद्दाख के इतिहास, गिलगित-बाल्तिस्तान, रूस-युक्रेन युद्ध व इसके प्रभाव, लद्दाख के कुछ हिस्सों पर चीन के कब्जे जैसे कुछ मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.