Jammu Kashmir: बर्फबारी के बीच देवदूत बने सेना व पुलिस के जवान, मुगल रोड पर फंसे 19 लोगों को बचाया
बर्फबारी शुरू होने के बाद से ही ये जवान हाईवे से गुजर रहे यात्री वाहनों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए दिन-रात ड्यूटी पर तैनात हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान सेना और पुलिस के जवानों ने बर्फ में फंसे करीब तीस से अधिक लोगों की जानें बचाई हैं।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू संभाग व कश्मीर घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी का सिलसिला शुरू होते ही सेना और पुलिस पर आम लोगों की सुरक्षा का जिम्मा और बढ़ गया है। प्रदेश में आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ रहे भारत के ये वीर जवान पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए देवदूत से कम नहीं हैं। हिमस्खलन की घटना, स्वास्थ्य सुविधाएं या फिर खाद्य सामग्री बचाने की बात हो, सूचना मिलते ही ये जवान अपनी जान की परवाह न करते हुए मदद को लोगों के सामने होते हैं। भारी बर्फबारी हो रही हो या फिर बारिश, लोगों की मदद को ये जवान हर दम तैयार रहते हैं।
गत रविवार रात को भी ऐसा ही देखने को मिला। पीरपंजाल पर्वत श्रृंखला पर बर्फबारी के बाद वाहनों की आवाजाही बंद करनी पड़ी। ऐसे में कश्मीर घाटी के शोपियां से जिला पुंछ की ओर आ रहे करीब 19 लोग रविवार रात को बर्फबारी में फंस गए। पुलिस को सूचित किया गया। सेना व पुलिस के बचाव दल में शामिल जवान बिना समय गवाएं लोगों को बचाने के लिए निकल पड़े। घंटों पैदल चलने के बाद रात करीब 2 बजे बचाव दल में शामिल जवान लोगों तक पहुंचे और उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। ये लोग दो से तीन वाहनों में सवार थे। इनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। लोगों का कहना था कि जब उन्होंने जवानों को अपने सामने देखा तो वे देवदूत से कम नहीं लग रहे थे।
एसएसपी पुंछ रमेश कुमार अंगराल ने बात की पुष्टि की कि बचाव दल ने 19 लोगों को बचाया। ये लोग मुगल रोड पर पीर की गली के पास फंसे हुए थे। ये सभी लोग स्थानीय थे, जो शोपियां से पुंछ वापस आ रहे थे।
बर्फबारी शुरू होने के बाद से ही ये जवान हाईवे से गुजर रहे यात्री वाहनों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए दिन-रात ड्यूटी पर तैनात हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान सेना और पुलिस के जवानों ने बर्फ में फंसे करीब तीस से अधिक लोगों की जानें बचाई हैं। इनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल हैं।
ऊंची पहाड़ियों व हाईवें के बीचों-बीच फंसे इन लोगों को बचाने के लिए कई घंटों का पैदल सफर तय कर इन जवानों न सिर्फ इन लोगों को मुख्य कस्बों तक पहुंचाया बल्कि उनके रहने व खाने-पीने का बंदोबस्त भी किया। आपको जानकारी हो कि कश्मीर घाटी में बर्फबारी के बाद नियंत्रण रेखा पर आतंकियों की घुसपैठ में कमी आती है। परंतु सेना, सीआरपीएफ या जम्मू-कश्मीर पुलिस पर इस दौरान आतंकवादियों के साथ-साथ बर्फबारी वाले इलाकों में रहने वाले लोगों की जिम्मेदारी पड़ जाती है। प्रदेश में अशांति फैला रहे आतंकियों को मारने के साथ-साथ आम लोगों की जिंदगी को बचाने का जिम्मा भी इन्हीं जवानों पर हैं। भारत के यह वीर सपूत अपना ये दायित्व बखूबी निभा रहे हैं।