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राष्ट्र विरोधी तत्वों ने जम्मू की शांति को बिगाड़ने के लिए हमेशा रची है साजिश

वर्ष 2008 में कांग्रेस-पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड को 99 एकड़ जगलात की भूमि दे दी। जिस पर अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए स्थायी हट बनाए जाने का निर्णय हुआ।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 05:29 PM (IST)
राष्ट्र विरोधी तत्वों ने जम्मू की शांति को बिगाड़ने के लिए हमेशा रची है साजिश
राष्ट्र विरोधी तत्वों ने जम्मू की शांति को बिगाड़ने के लिए हमेशा रची है साजिश

जम्मू, जागरण संवाददाता। आंतकवाद से जूझ रहे कश्मीर के मुकाबले जम्मू संभाग एक शांतप्रिय क्षेत्र है, लेकिन इस क्षेत्र काे सुलगाने की हमेशा से ही राष्ट्रविरोधी तत्वों की कोशिश रही है। कश्मीर में हुक्मरान जब भी जम्मू के लोगों को नजरअंदाज किया या फिर वहां सुरक्षाबलों को पाकिस्तानी इशारों पर श्रति पहुंचाई गई हो, तब तब जम्मू के लोगों को खून खोला। श्री बाबा अमरनाथ भूमि आंदोलन भी कश्मीरी हुकुमरानों की ही देन थी।

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वर्ष 2008 में कांग्रेस-पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड को 99 एकड़ जगलात की भूमि दे दी। जिस पर अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए स्थायी हट बनाए जाने का निर्णय हुआ। इसका कश्मीर में काफी विरोध शुरू हो गया और सरकार ने भी इस आदेश को वापस लेते हुए जमीन बोर्ड को देने के बजाय अपने पास रख ली लेकिन जम्मू वासियों को यह नागवार गुजरा और कश्मीर के बाद जम्मू में आंदोलन शुरू हो गया। बाबा अमरनाथ भूमि आंदोलन 63 दिन चला। जिसके 12 लोग ने शहादत दे दी जहां तक कि पीडीपी जो हमेशा से ही कश्मीर के हितों और अपने वोट बैंक को देखती रही है, उसने भी कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया। करीब 57 दिन तक कर्फ्यू रहा।

वर्ष 2018 में पहली नवंबर को जम्मू संभाग के किश्तवाड़ इलाके में भाजपा नेता और उसके भाई की हत्या कर दिए जाने के कारण किश्तवाड़ में कर्फ्यू लगा दिया गया था। इन परिहार बंधुओं की हत्याओं में आतंकवादियों का हाथ रहा। जम्मू में भी इसका असर रहा और धरने-प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया।

वर्ष 2017 में शहर के जानीपुर इलाके में आपशम्भु मंदिर में एक मुस्लिम व्यक्ति ने घुसकर मूर्ति को खंडित किए जाने के विरोध में जम्मू में आक्रोश फैल गया था। प्रशासन को एहतियात के तौर पर शहर के संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। वर्ष 2013 के मार्च माह में ही राजौरी में परवीन तोगड़िया के भाषण के बाद मुस्लिम बहुल इलाकों में 16 दिन कर्फ्यू लगाना पड़ा था। वर्ष 2017 में राजोरी में बकर इद पर ऊंट की कुर्बानी के बाद मीट लेकर जार रहे बर्मा नागरिक के पकड़े जाने के बाद कस्बे में हालात बिगड़ गए थे। राज्य प्रशासन को 7 दिनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा।

वर्ष 2016 में भिंडरा वाले के पोस्टर को पुलिस द्वारा हटाए जाने के विरोध में जम्मू में सिख समुदाय भड़क गया था। प्रदर्शन कर रहे सिख समुदाय पर पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने के विरोध में प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा था।


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