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Jammu Kashmir: घरानों से निकलकर अब आम जनता के हाथ आएगी विकास की कुंजी, ग्रामीण नुमाइंदे स्वयं खींचेंगे विकास का खांचा

गांव मजबूत होगा तो जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। ग्रामीण आबादी के हाथ में सत्ता की कुंजी सौंपने का जोखिम पूर्व की सरकारें नहीं लेना चाहती थी। राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो. विरेंद्र गुप्ता के अनुसार यह सही मायनों में सत्ता का विकेंद्रीकरण है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 02:44 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 03:49 PM (IST)
Jammu Kashmir: घरानों से निकलकर अब आम जनता के हाथ आएगी विकास की कुंजी, ग्रामीण नुमाइंदे स्वयं खींचेंगे विकास का खांचा
गांव मजबूत होगा तो जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

जम्मू, विवेक सिंह: जम्मू कश्मीर में पहली बार जिला विकास परिषदों (डीडीसी) के गठन की घोषणा से लोकतंत्र की मजबूती और ग्राम स्वराज की राह में प्रदेश सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। अनुच्छेद 370 के खात्मे के साथ पहली बार ग्रामीण विकास की चाबी चुनिंदा घरानों से निकल सीधे आम आदमी के हाथ में होगी और चुने हुए प्रतिनिधि अपनी मर्जी से कार्य करवा सकेंगे। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू से सत्ता का विस्तार होगा। विधानसभा की अनुपस्थिति में यह चुने हुए प्रतिनिधि आमजन की आवाज को मजबूती से उठा सकेंगे।

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जिला विकास परिषदों के पास वित्तीय शक्तियों के साथ कार्यपालिका का भी अधिकार रहेगा। ब्लॉक परिषद और पंचायतों को भी जिला विकास परिषद के माध्यम से बजट मिलेगा। निश्चित तौर पर आम लोगों के कार्यों को प्राथमिकता मिलेगी। प्रदेश सरकार त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था बहाल करने में जुटी है। 2018 में नवंबर-दिसंबर में पंचायत चुनाव के बाद पिछले वर्ष पहली बार प्रदेश में ब्लॉक विकास परिषदों का गठन किया गया था। अब अंतिम चरण में जिला विकास परिषदों का गठन किया जाना है। प्रदेश में पंचायतों का उपचुनाव जल्द घोषित होने वाले हैं। बहुत संभव है कि उनके तुरंत बाद डीडीसी चुनाव भी घोषित कर दिए जाएं। इससे एक बार प्रदेश की ग्रामीण आबादी को अपने नुमाइंदे चुनने का अवसर मिलेगा। इसे विधानसभा चुनाव का ट्रायल भी कहा जा सकता है।

पंचायती राज व्यवस्था होगी तो गांव मजबूत होगा। गांव मजबूत होगा तो जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। ग्रामीण आबादी के हाथ में सत्ता की कुंजी सौंपने का जोखिम पूर्व की सरकारें नहीं लेना चाहती थी। राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो. विरेंद्र गुप्ता के अनुसार यह सही मायनों में सत्ता का विकेंद्रीकरण है। कश्मीर केंद्रित सरकारों ने कभी नहीं चाहा कि ग्रामीण प्रतिनिधि सशक्त हों। जिला विकास परिषदों के गठन से लोगों के प्रतिनिधि चुनकर आगे आएंगे। वह सीधे आमजन के प्रति उत्तरदायी होंगे। पहले ऐसा नहीं होता और ग्रामीण आबादी उपेक्षित रह जाती थी।

यह हुआ है बदलाव: जम्मू कश्मीर में निर्वाचित जिला विकास परिषदों के गठन और उनके निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए शनिवार को जम्मू कश्मीर पंचायत राज नियम 1989 में संशोधन किया दिया। इसके साथ ही जल्द जिला विकास परिषदों के गठन का रास्ता साफ हो गया। डीडीसी चुनाव के साथ जम्मू कश्मीर में 73वां संशोधन भी पूरी तरह लागू हो जाएगा। यह संशोधन त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली की वकालत करता है।

अब आमजन को ध्यान में रखकर बनेंगी विकास योजनाएं: जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा का कहना है कि जिला विकास परिषद के गठन की मांग बड़ी पुरानी थी। इसके पूरा होने से ग्रामीण अपने विकास के फैसले खुद कर पाएंगे। पहले उनके फैसले दूसरे करते थे। चुने गए नुमाइंदे लोगों के प्रति जवाबदेह होंगे। यदा-कदा पंचायत चुनाव करवाकर ही खानापूर्ति की जाती थी और उन्हें भी अपने फायदे के अनुसार भंग कर दिया जाता। ऐसे में जिला विकास बोर्ड का प्रभारी कैबिनेट मंत्री करता था। यह मंत्री आमजन के नुमाइंदों की तरह नहीं कुछ लोगों की कठपुतली की तरह काम करते। अब उम्मीद है कि जल्द जिला विकास परिषदों के गठन की प्रक्रिया को अंतिम रुप दिया जा सकता है।

यह होगा डीडीसी का स्वरूप: 

  • प्रत्येक जिले में जिला विकास परिषद के 14 सदस्य सीधे चुने जाएंगे।
  • यह सदस्य डीडीसी के प्रधान और उपप्रधान का चयन करेंगे
  • बीडीसी चेयरपर्सन और भविष्य में विधायक भी इसके सदस्य होंगे।
  • निर्वाचित सदस्य ही प्रधान और उपप्रधान चुनाव में वोट डाल सकेंगे।
  • एडीसी प्रत्येक डीडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे।

यह होंगे अधिकार: प्रत्येक डीडीसी के पास अपना जिला विकास फंड होगा और उसके माध्यम से ही गांवों और अपने प्रभाव क्षेत्रों के लिए योजनाएं बना सकेंगे। इसके अलावा डीडीसी के पास अपने क्षेत्र में कृषि, पशुधन विकास, मत्स्य पालन, सिंचाई, बागवानी, पीडब्ल्यूडी, समाज कल्याण व अन्य विभागों की योजनाओं के क्रियान्वयन की देखरेख का भी अधिकार होगा। इस तरह पंचायती प्रतिनिधि अपनी योजनाओं पर सतत निगरानी कर सकेंगे।

जिला योजना समिति तय करेंगी बजट: प्रत्येक जिले में जिला योजना समितियों का भी गठन किया जाएगा। इसमें क्षेत्र का सांसद इसका अध्यक्ष होगा और इसमें जिला परिषदों के सदस्य, बीडीसी चेयरपर्सन, शहरी निकायों के अध्यक्ष इसके सदस्य होंगे। इसके अलावा कियान्वयन में सहयोग के लिए जिला स्तरीय अधिकारी इसमें शामिल रहेंगे।

भाजपा ने कहा- जो 70 साल में नहीं हुआ अब हो रहा; कांग्रेस बोली- विधानसभा चुनाव टालने की रणनीति

जम्मू कश्मीर में विधानसभा सभा भंग होने से सुस्त हो गई राजनीतिक सरगर्मियों को डीडीसी के चुनाव गरमाएंगे। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां अपरोक्ष रूप से अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। इस समय जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग है ऐसे में राजनीतिक पार्टियों प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी सतह पर सशक्त होने की पूरी कोशिश करेंगे। जम्मू कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था प्रभावी बनाने को एतिहासिक फैसला करार देने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना का कहना है कि प्रदेश में जो 70 सालों में नही हुआ, वह अब होने जा रहा है। उन्होंने कहा कहा भाजपा ने ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत करने का अपना वादा पूरा दिखाया है। इससे जम्मू कश्मीर में ग्रामीण विकास की दिशा में तेजी आएगी। वहीं प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि सरकार 73वें संशोधन को पूरी तरह से प्रभावी नहीं बना रही है। छोटे जिलों में से भी 14 उम्मीदवार चुने जाएंगे व बड़े जिलों से भी। इसके साथ वित्त आयोग का गठन किए बिना किसी निष्पक्ष व्यक्ति की अध्यक्षता में चुनाव करवाने के बजाय सरकारी अधिकारी चुनाव करवाएंगे। फिलहाल ऐसा लग रहा है कि सरकार विधानसभा चुनाव को टालने के लिए ही डीडीसी चुनाव करवा रही है। सरकार ने बीडीसी अध्यक्ष चुनने के बाद उन्हें भी ख्वाब दिखाए थे। उन्हें कहा गया था कि उन्हें विकास बोर्ड का सदस्य बनाया जाएगा। 


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