इस्लामिक बैंक शुरू कराने के लिए याचिका पर जवाब तलब
खंडपीठ ने इस्लामिक बैंकिंग के संदर्भ में दायर जेएंडके पीपुल्स फोरम की जनहित याचिका स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में शरिया (इस्लामिक) बैंकिंग सेवा को शुरू करने के लिए दायर एक जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, जम्मू कश्मीर बैंक और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में पक्ष रखने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति मोहम्मद याकूब मीर और न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने सोमवार को इस्लामिक बैंकिंग के संदर्भ में दायर जेएंडके पीपुल्स फोरम की जनहित याचिका स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है। एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऑफ इंडिया ताहिर माजिद शमसी ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय व आरबीआइ की तरफ से, जबकि एडवोकेट शेख उमर ने राज्य सरकार की तरफ से नोटिस प्राप्त किया है। सुनवाई के दौरान एडवोकेट अल्ताफ हक्कानी ने जेएंडके पीपुल्स फोरम की पैरवी की।
इस मौके पर फोरम के महासचिव एमएम शुजा भी मौजूद रहे।याचिका में उच्च न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वह जम्मू कश्मीर में जेके बैंक द्वारा शरिया बैंकिंग सुविधा को बहाल करने के लिए आरबीआइ व जम्मू कश्मीर सरकार को सही और व्यावहारिक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दे। याचिका में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर बैंक न सिर्फ राज्य के भीतर, बल्कि देश-विदेश में अपनी सभी शाखाओं में यह सेवा प्रदान करे।ब्याज मुक्त बैंकिंग के नतीजे अच्छेपीपुल्स फोरम ने याचिका में कहा कि दुनिया के जिस भी हिस्से में ब्याज मुक्त बैंकिंग व्यवस्था है, वहां उसके सकारात्मक परिणाम नजर आए हैं। दुनिया के प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थानों जैसे मॉनेटरी फंड, विश्व बैंक व अन्य ने इसकी महत्ता को स्वीकारा है।
राज्य के भीतर और देश के विभिन्न हिस्सों में देश के गणमान्य प्रभावशाली लोगों ने इस्लामिक बैंकिंग व्यवस्था को शुरू करने में कई बार सहयोग व समर्थन का यकीन दिलाया है। इनमें आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, केरल के वित्तमंत्री थामस इसाक के अलावा देश में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन के नाम उल्लेखनीय हैं।फोरम ने जम्मू कश्मीर बैंक को सभी नॉन परफार्मिग अकाउंट्स (एनपीए) और इन खातों के तहत दिए गए कर्ज की वसूली के लिए उठाए गए कदमों का पूरा ब्योरा भी पेश करने की मांग की है। फोरम के मुताबिक बैंकों में पैसा जनता का है और इस पैसे को न खाता धारक और न बैंक प्रबंधन उड़ा सकता है।फोरम ने बताया है कि जम्मू कश्मीर बैंक के मौजूदा चेयरमैन ने पदभार ग्रहण करने के बाद कहा था कि इस्लामिक बैंकिंग व्यवस्था शुरू करना भी उनके एजेंडे का हिस्सा है।
संबंधित प्रशासन और अधिकारी शरिया बैंकिंग व्यवस्था की बहाली के लिए कोई भी कदम उठाने में असमर्थ रहे है। इसलिए उसके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा है। कुरान में ब्याज हराम फोरम ने अपनी याचिका में कहा है कि जम्मू कश्मीर मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य है। इसलिए संवैधानिक तौर पर भी उनके पास विकास व सभी अवसरों का लाभ लेने का पूरा अधिकार है जो उनके मजहब की मर्यादा के खिलाफ न हों। पवित्र कुरान और पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने ब्याज हराम करार दिया है। अन्य मजहबों में भी सूदखोरी को अनुचित माना जाता है।