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Amshipora Fake Encounter: सेना के कैप्टन ने 20 लाख का इनाम पाने के लिए रची थी अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़

जम्मू-कश्मीर पुलिस की सिट की तरफ से पेश की गई चार्ज शीट में 75 गवाहों का जिक्र और तकनीकी सबूत पेश किए गए है जिसमें आरोपित लोगों का काल डाटा रिकार्ड है। चार्ज शीट में सेना के चार कर्मियों के बयानों का भी जिक्र है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 08:15 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 01:43 PM (IST)
Amshipora Fake Encounter: सेना के कैप्टन ने 20 लाख का इनाम पाने के लिए रची थी अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़
मामले में एक व्यक्ति गवाह बन गया और उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज करवाया है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: शोपियां में पिछले साल जुलाई में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में शामिल सेना के कैप्टन ने बीस लाख रुपये की राशि का पुरस्कार हासिल करने के लिए दो लोगाें के साथ मिल कर साजिश रची थी। इस मुठभेड़ में तीन लाेग मारे गए थे। पुलिस चार्ज शीट के अनुसार सेना के जवानों ने क्षेत्र को घेरा हुआ था लेकिन इस के बावजूद पीड़ितों पर गोली चलाई गई थी। कैप्टन इस समय सेना की हिरासत में है ।

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सूत्रों के अनुसार सेना के कैप्टन के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई हो सकती है। यह मामला 18 जुलाई 2020 का है जब शोपियां के अमशीपोरा में मुठभेड़ हुई थी जिसमें राजौरी के तीन लोग मारे गए थे। मरने वालों में इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार शामिल थे। शोपियां के चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्ज शीट दाखिल हुई है जिसमें कैप्टन के अलावा दो अन्य लोगों की भूमिका भी है। मामले में एक व्यक्ति गवाह बन गया और उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज करवाया है।

सोशल मीडिया पर रिपोर्ट आने के बाद की मुठभेड़ में मारे गए तीनों युवक आतंकवादी नहीं थे, के बाद सेना ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। सेना की जांच पिछले साल सितंबर में पूरी हो गई थी। प्रारंभिक सबूतों में यह पाया गया था कि सेना ने आमर्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट का अधिक इस्तेमाल किया था। मुठभेड़ में मारे गए तीनों युवाओं के डीएनए टेस्ट किए गए थे और संबंधित परिवारों को शव सौंप दिए गए थे।

सेना की 15 वी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा था कि सबूतों की कार्रवाई पूरी हो गई है और कानून के तहत अगली कार्रवाई की जाएगी। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी बताते है कि अफस्पा 1990 के तहत मिले अधिकारों का सेना के कैप्टन ने उल्लंघन किया है और सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से चीफ आफ स्टाफ के क्या करें और क्या न करें संबंधी मंजूर किए गए प्रावधानों का पालन नहीं किया।

जम्मू-कश्मीर पुलिस की सिट की तरफ से पेश की गई चार्ज शीट में 75 गवाहों का जिक्र और तकनीकी सबूत पेश किए गए है जिसमें आरोपित लोगों का काल डाटा रिकार्ड है। चार्ज शीट में सेना के चार कर्मियों के बयानों का भी जिक्र है जो घटना के समय कैप्टन की टीम में शामिल थे।

चार्ज शीट के अनुसार कैप्टन सहित दो अन्य लोगों ने अपराध के सबूत मिटा दिए और गलत जानकारियां को आगे लाया। मकसद बीस लाख रुपये की धनराशि का इनाम हासिल करना था।


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