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15 अगस्त 2023 तक जम्मू-कश्मीर में मनाया जाएगा आजादी का अमृत महोत्सव, इस तरह होगा आयोजन

जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी 15 अगस्त 2023 तक लगातार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर जम्मू-कश्मीर के हर गांव में भारत की गौरवशाली संस्कृति के माध्यम से ऐसी सांस्कृतिक छटा बिखेरेगी कि वर्षों आजादी के अमृत महोत्सव की यादें लोगों के दिलों दिमाग में रहें।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 03:35 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 03:35 PM (IST)
15 अगस्त 2023 तक जम्मू-कश्मीर में मनाया जाएगा आजादी का अमृत महोत्सव, इस तरह होगा आयोजन
हर कार्यक्रम पूरी योजना के साथ लाेगों तक पहुंचेगा। इसमें स्थानीय कलाकारों की भागेदारी सबसे ज्यादा रहेगी।

जम्मू, अशोक शर्मा : मां भारती के वीर सपूतों का इतिहास देश के कोने-कोने में, गांव-गांव में है। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव की खुशियां भी हर गांव-गांव तक पहुंचे। इतिहास के इस गौरव को जन-जन तक पहुंचाया जाए। इसके लिए जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी 15 अगस्त 2023 तक लगातार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर जम्मू-कश्मीर के हर गांव में भारत की गौरवशाली संस्कृति के माध्यम से ऐसी सांस्कृतिक छटा बिखेरेगी कि वर्षों आजादी के अमृत महोत्सव की यादें लोगों के दिलों दिमाग में रहें।

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सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी संस्कृति भी जन-जन तक पहुंचेगी

जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के अतिरिक्त सचिव संजीव राणा ने कहा कि आज़ादी के असंख्य आंदोलनों में ऐसे कितने ही सेनानी, संत आत्माएं, ऐसे अनेक वीर बलिदानी हैं। जिनकी एक-एक गाथा अपने आप में इतिहास का एक-एक स्वर्णिम अध्याय हैं। हमें इन महानायकों का जीवन भी लाेगों के सामने पहुंचाना है। इन लोगों की जीवन गाथाएं, उनके जीवन का संघर्ष, हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के उतार-चढ़ाव, कभी सफलताएं कभी असफलताएं हमारी आज की पीढ़ी को जीवन का हर पाठ सिखाएगी। एकजुटता क्या होती है। लक्ष्य को पाने की जिद क्या क्या होती है। जीवन का हर रंग, वो और बेहतर तरीके से समझेंगे।इसके लिए शिक्षा विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी संस्कृति भी जन-जन तक पहुंचेगी।हर कार्यक्रम पूरी योजना के साथ लाेगों तक पहुंचेगा। इसमें स्थानीय कलाकारों की भागेदारी सबसे ज्यादा रहेगी।

लोक कलाकारों को मिलेंगे भरपूर मौके 

आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में लोक कलाकारों को भरपूर मौके मिलेंगे। लोक कलाकार अपने अंदाज में स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों को जन-जन तक पहुंचाएंगे। हरण, जात्तर, कारक, भाख, छज्जा, फुंमनियां, गगैल, कुड, रौफ, उंडरारस, भांड पाथुर आदि सभी नाट्य शैलियों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन भी होगा और जन जागरूकता का काम भी। लगभग हर शहर, तहसील, ब्लाक स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना है।सभी योजनाएं तैयार हैं बस इंतजार है कि कब कोरोना ठीक हो और लोगों के बीच जाकर अधिक से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सके। इस राष्ट्र यज्ञ में हर कलाकार अपनी आहुति डालने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।सिर्फ इंतजार है मौका मिलने का।सिर्फ अकादमी ही नहीं दूसरे कई संगठन भी अपने तौर पर कई कार्यक्रम करने को तैयार है। कह सकते हैं आने वाले समय में शायद ही कोई कलाकार होगा जिसे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका न मिले। अब जरूरत इस बात की है कि जो भी प्रस्तुति हो ऐसी हो कि देखने वाले देखते ही रह जाएं।

आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान सभी की भागेदारी जरूरी

वरिष्ठ कलाकार सुरेंद्र सिंह मन्हास ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान सभी की भागेदारी जरूरी है। कोई भी ऐसा नहीं होना चाहिए जो इस अमृत महोत्सव का हिस्सा ना हो। सभी स्कूल, कालेजों को आजादी से जुड़ी घटनाओं का संकलन कर उन्हें प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए। स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के मुकाबले भी संभव हैं। मोहल्ले स्तर पर भी अगर कार्यक्रम हों तो अच्छा लगेगा। जम्मू में ही अगर सभी कारपारेटर तय कर लें कि उन्हें अपने क्षेत्र में बेहतर से बेहतर कार्यक्रम पेश करना है तो अपने आप एक सांस्कृतिक माहौल बनेगा। प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत है, उसे मार्ग दर्शन देने की। वरिष्ठ कलाकारों, कोरियोग्राफरों का सहयोग लेकर कई कार्यक्रम संभव हैं।

अतीत से सीखकर भविष्य के निर्माण की जिम्मेदारी हमारे युवाओं को ही उठानी है

युवा निर्देशक मोहम्मद यासीन का कहना है कि अगर युवा तय कर ले कि आजादी के आंदोलन में और उसके बाद हमारे समाज की जो उपलब्धियां रही हैं। उन्हें दुनिया के सामने और प्रखरता से लाएंगे। कला-साहित्य, नाट्य जगत, फिल्म जगत और डिजिटल इंटरनेटनमेंट से जुड़े लोगों को चाहिए कि वह बहुत सी ऐसी कहानियां, जो हमारे अतीत में बिखरी पड़ी हैं। इन्हें तलाशिए, इन्हें जीवंत कीजिए। आने वाली पीढ़ी के लिए तैयार कीजिए। अतीत से सीखकर भविष्य के निर्माण की जिम्मेदारी हमारे युवाओं को ही उठानी है। साइंस हो, टेक्नोलॉजी हो, मेडिकल हो, पॉलिटिक्स हो, कला संस्कृति हो। आप जिस क्षेत्र में हैं। उस क्षेत्र में ही बेहतर से बेहतर करके दिखाएंगे तो आजादी का अमृत महोत्सव अपने आप यादगार बन जाएगा।


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