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Kashmir: कोरोना मृतकों की कब्र खोदकर पुण्य कमा रहा जमील, स्वास्थ्य विभाग ने किया सम्मानित

श्रीनगर के बरबरशाह इलाके के रहने वाले जमील स्वास्थ्य विभाग में एंबुलेंस चालक है। वह न सिर्फ कोरोना मृतकों के शवों को कब्रिस्तान में ले जाते हैं बल्कि उनकी कब्र भी खुद खोदते है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 05:43 PM (IST)
Kashmir: कोरोना मृतकों की कब्र खोदकर पुण्य कमा रहा जमील, स्वास्थ्य विभाग ने किया सम्मानित
Kashmir: कोरोना मृतकों की कब्र खोदकर पुण्य कमा रहा जमील, स्वास्थ्य विभाग ने किया सम्मानित

श्रीनगर, रजिया नूर।कोरोना वायरस के संक्रमण काल में जब जिंदगी के तार टूटते हैं तो अपने ही गैरों जैसा आचरण करने लगते हैं। वह अपनों को अपनाने से कतराने लगते हैं। अंतिम संस्कार करने से दूर भागने लगते हैं। तभी समाज के इस बिखरते तानेबाने के बीच से ऐसे लोग निकलकर सामने आते हैं, जो इंसानियत का सिर ऊंचा कर देते हैं। ऐसे ही एक युवक हैं जमील अहमद। वह न सिर्फ कोरोना के मृतकों के शवों को कब्रिस्तान में ले जाते हैं, बल्कि उनकी कब्रगाह भी खुद खोदकर मानवीयता का पुण्य कमाता है। अब उन्हें स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के वित्त आयुक्त अटल ढुल्लू ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। उनकी सेवाओं को सराहा है। यह उत्कृष्ट सेवाएं हर व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश में यह पहला अवसर है, जब इस तरह से किसी कर्मचारी को सम्मानित किया है।

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38 वर्षीय जमील श्रीनगर के बरबरशाह इलाके के रहने वाले हैं। वह स्वास्थ्य विभाग में एंबुलेंस चालक है। मुख्य चिकित्सा कार्यालय श्रीनगर के तहत 30 एंबुलेंस चालकों में जमील ऐसे युवक हैं जो कोरोना का पहला मामला सामने आने के बाद से अब तक सेवाओं में जुटे हैं। वह कोरोना संक्रमितों को उनके घर से अस्पताल तक ले जाते हैं तो किसी संक्रमित मरीज के मरने पर उसे खुद ही दफन करते हैं। उन्होंने अब इसे अपनी ड्यूटी का हिस्सा बना लिया है। जमील बताते हैं कि उन्होंने देखा कि कोरोना से मरने वालों को उनके अपने ही दफनाने से कतरा रहे हैं। कब्रिस्तान तक ले जाने के लिए न तो कोई कंधा देता था और न ही कब्र में लिटाने के लिए सहारा दे रहा था। रिश्तेदार व पड़ोसी भी पास नहीं जाते थे।  

मोबाइल की रोशनी में खोदी कब्र: श्रीनगर के जोगीलंकर इलाके की 73 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी। उसके परिवार के लोग भी अस्पताल में भर्ती थे। जमील बताते हैं कि यह सोचकर कि रिश्तेदार और पड़ोसी कंधा देने के लिए आए जाएंगे, इसलिए शव को लेकर कब्रिस्तान पहुंच गया। पर वहां कोई नहीं था। मोहल्ले के इमाम ने भी मना कर दिया। इस बीच मोहल्ले के दो लोग मदद को आ गए। कब्रिस्तान में अंधेरा था। मोबाइल के फ्लैश की रोशनी में कब्र खोदी। इसके बाद महिला को दफनाया। जनाजा पढ़े बगैर।

घर से दफ्तर तक पड़ गया था अलग-थलग: जमील ने बताया कि जब उन्होंने कोरोना संक्रमितों को खुद की दफनाना शुरू कर दिया तो मेरे खुद के परिवार के लोग, सहकर्मी, पड़ोसियों तक ने दूरियां बना लीं। घर जाता था तो पत्नी व बच्चे तक दूर रहने लगे। ऑफिस में सहकर्मी यहां तक कि अधिकारी भी रास्ता बदल लेते थे। मैं घर से लेकर दफ्तर तक अलग-थलग हो गया। पर मैं टूटा नहीं।

पॉजिटिव रहो, नेगेटिव आएगी रिपोर्ट: कोरोना संदिग्धों को को जब वह घर से क्वारंटाइन ले जाते हैं तो इसी दौरान रास्ते में वह समझाते हुए जाते हैं। वह बताते हैं कि लोग अक्सर डरे हुए होते हैं। मैं उन्हें समझाता हूं कि पॉजिटिव सोच रखें, डॉक्टर साथ हैं, कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें, रिपोर्ट जरूरत नेगेटिव आ जाएगी।

  • जमील हमारा रोल मॉडल है। जिस तरह से यह अपनी ड्यूटी निभा रहा है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वह कम है।- डॉ. जहांगीर बख्शी, सीएमओ श्रीनगर

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