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Amarnath Yatra: शिवभक्तों का इंतजार कर रहे घाटी के लोग

यात्र राज्य की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने में भी अपना योगदान देती है बशर्ते यात्र अवधि के दौरान राज्य में हालात सामान्य रहें।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 11:54 AM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 11:54 AM (IST)
Amarnath Yatra: शिवभक्तों का इंतजार कर रहे घाटी के लोग
Amarnath Yatra: शिवभक्तों का इंतजार कर रहे घाटी के लोग

जम्मू, राज्य ब्यूरो : बाबा अमरनाथ यात्र के दौरान श्रद्धालुओं को सुविधाएं उपलब्ध करवाने में कश्मीर के स्थानीय लोगों की भूमिका अहम होती है। पहलगाम, बालटाल से यात्र मार्गों पर पड़ने वाले आधार शिविरों में टेंट और दुकानें लगाकर स्थानीय लोग रोजगार कमाते हैं। उन्हें बेसब्री के साथ यात्र का इंतजार रहता है। काफी संख्या में लोगों ने टेंट व दुकानें लगाने के लिए आवेदन किया है। अब जिला प्रशासन लाटरी के जरिए टेंट और दुकानें आवंटित करेगा।

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बाबा अमरनाथ की वार्षिक यात्र एक जुलाई से शुरू हो रही है। यात्र 46 दिन की होगी और रक्षाबंधन वाले दिन 15 अगस्त को संपन्न होगी। टेंट व दुकानें अलाट करने की प्रक्रिया जून के पहले सप्ताह में शुरू हो जाएगी। इनमें से 400 टेंट व 35 दुकानें नुनवन कैंप में, 800 टेंट व 50 दुकानें शेषनाग में, 900 टेंट व 50 दुकानें पंचतरणी और पवित्र गुफा के पास 180 टैंट व 35 दुकानें स्थापित की जा रही हैं। यात्र के दौरान श्रद्धालुओं को आधार शिविरों नुनवान, बालटाल, पहलगाम, चंदनवाड़ी में क्लाक भी उपलब्ध करवाए जाते है।

क्लाक रूम के लिए अमरनाथ श्रइन बोर्ड पहले ही टेंडर जारी कर चुका है। यह टेंडर जून के पहले व दूसरे सप्ताह में खुल जाएंगे और साथ ही काम शुरू हो जाएगा। कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर बसीर अहमद खान नियमित तौर पर अनंतनाग और गांदरबल जिलों के डिप्टी कमिश्नरों के साथ बैठकें कर प्रबंधों का जायजा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि घोड़े और पिट्ठ वालों का पंजीकरण किया जाए। घोड़े वाले और पिट्ठू वाले स्थानीय लोग ही होते हैं, जो डेढ़ महीने की यात्र के दौरान गुजारे के लिए पैसे कमा लेते हैं। इतना ही नहीं बाबा अमरनाथ यात्र के लिए आने वाले श्रद्धालु कश्मीर में घूम भी लेते हैं।

कई श्रद्धालु जम्मू और साथ लगते पर्यटन स्थलों का रुख भी करते हैं। यात्र राज्य की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने में भी अपना योगदान देती है, बशर्ते यात्र अवधि के दौरान राज्य में हालात सामान्य रहें। टेंट के लिए आवेदन करने वाले गुलाम अहमद ने कहा कि वह पहले भी टेंट लगाते आ रहे हैं। यात्र के दौरान चार पैसे कमा कर उनका गुजारा हो जाता है। अब लाटरी से टेंट वालों का नंबर आएगा। इसलिए इंतजार में हैं कि लाटरी में नाम आता है या नहीं। दुकान के लिए आवेदन करने वाले शौकत ने कहा कि यात्र के दौरान अधिक श्रद्धालुओं के आने का इंतजार रहता है। इससे हमें रोजगार मिलता है।

40 हजार जवान होंगे तैनात, 32 हजार सैनिक करेंगे यात्र मार्ग की रखवाली

बाबा अमरनाथ यात्र को सुरक्षित, शांत और विश्वासपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने के लिए सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए गए हैं। पवित्र गुफा की तरफ आने जाने वाले यात्रियों की गणना और उनकी निगरानी को यकीनी बनाने के लिए बारकोड पर्चियां भी जारी करने का फैसला लिया गया है। यात्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य रूप से सीआरपीएफ जवानों के पास रहेगी। वह यात्र से जुड़े नागरिक वाहनों और श्रद्धालुओं के वाहनों की निगरानी व पहचान के लिए उन पर उन्नत विद्युत चुंबकीय चिप या आरएफआइडी (रेडियो-फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग लगाएगी। महानिदेशक सीआरपीएफ आरआर भटनागर ने बताया कि यात्र की सुरक्षा में केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस बल के 40,000 से ज्यादा जवानों को तैनात करने का फैसला लिया गया है। इनमें से 32 हजार जवान सिर्फ यात्र मार्ग और श्रद्धालुओं की सुरक्षा में तैनात रहेंगे।

हम इस बार एक पायलट प्रोजेक्ट लेकर आएंगे और तीर्थ यात्रियों को बारकोड युक्तयात्र पर्चियां दी जाएंगी। इससे हमें पवित्र गुफा से आने-जाने वालों की वास्तविक संख्या पर नजर रखने और सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इन पर्चियों पर श्रद्धालुओं के बारे में पूरी जानकारी होगी। उनकी तस्वीर व संपर्क नंबर भी होंगे। महानिदेशक ने बताया कि श्रइन बोर्ड, राज्य प्रशासन व विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों समेत सभी पक्षों के साथ मिलकर यात्र को सुरक्षित बनाने के लिए एक सुरक्षा कवच की योजना को तैयार किया गया है।

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