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अमरनाथ यात्रियों का पांचवां जत्था रवाना, 46 हजार से अधिक श्रद्धालुअों ने किया दर्शन

गुफा एक चंद्रमा के आकार के साथ घटता और बढ़ता जाता है। लोगों का मानना है कि यह संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 03 Jul 2017 12:21 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jul 2017 12:21 PM (IST)
अमरनाथ यात्रियों का पांचवां जत्था रवाना, 46 हजार से अधिक श्रद्धालुअों ने किया दर्शन
अमरनाथ यात्रियों का पांचवां जत्था रवाना, 46 हजार से अधिक श्रद्धालुअों ने किया दर्शन

जम्मू।  कड़े सुरक्षा प्रबंध के बीच बाबा अमरनाथ की यात्रा के लिए जम्मू के यात्री निवास भगवती नगर से श्रद्धालुओं का पांचवां जत्था पहलगाम व बालटाल के लिए रवाना किए गए। जत्थे में शामिल थे 3133 यात्री। सोमवार को जम्मू से लगभग 3,133 तीर्थयात्रियों के नए जत्थे को अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना किया गया। अधिकारी ने बताया, सभी तीर्थयात्रियों को भगवती नगर यात्री से कश्मीर घाटी के लिए 88 वाहनों में भेजा गया है। बताया जाता है कि पिछले चार दिनों में 46,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने अमरनाथ मंदिर गुफा मंदिर के दर्शन किये।

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अधिकारी ने बताया, सोमवार को 2,081 तीर्थयात्री पहलगाम बेस कैंप से रवानगी शुरी की वहीं 1,052 ने बालटाल बेस कैंप के लिए यात्रा शुरू की। 40 दिन की लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा जो 29 जून को शुरू हुई थी, वह 7 अगस्त के दिन रक्षा बंधन त्यौहार के साथ श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त हो जाएगी। अब तक, 46,795 तीर्थयात्रियों ने अब तक इस यात्रा में शामिल हुए हैं और इसकी आंकड़े बढ़ने की उम्मीद है।

अमरनाथ यात्रा को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, इंडो-तिब्बती सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बाल और जम्मू और कश्मीर पुलिस सहित कई बहुस्तरीय सुरक्षा ग्रिड मार्ग, संक्रमण शिविर, बेस कैंप, पहाड़ ट्रैक्स और गुफा मंदिर पर तैनात किए गए हैं।

सीसीटीवी खुफिया रिपोर्टों के आधार पर खतरे का आकलन करने के लिए इन सुरक्षा बलों द्वारा कैमरों, ड्रोन, बुलेट प्रूफ मोबाइल बंकरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस साल की यात्रा के लिए 40,000 अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र बलों को शांतिपूर्ण ढंग से संचालित करने के लिए राज्य प्रशासन को सहायता प्रदान की है।

मालूम हो कि, हिमालय में समुद्र के स्तर से 12,756 फीट ऊपर स्थित, गुफा एक चंद्रमा के आकार के साथ घटता और बढ़ता जाता है। लोगों का मानना है कि यह संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है।


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