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Indian Air Force Day 2020: चीन ने की हरकत तो हमारे फाइटर दो मिनट में करेंगे वार, लगातार 10 घंटे चलेगा प्रहार

Indian Air Force Day 2020 एलएसी पर चीन की हर चाल का जवाब देने के लिए वायुसेना अलर्ट मोड में है। दुश्मन की जरा सी हरकत का इशारा मिलते ही वायुसेना के लड़ाके दो मिनट से भी कम समय में उसके इरादों को ध्वस्त करने को तैयार बैठे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 09:49 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 10:02 PM (IST)
Indian Air Force Day 2020: चीन ने की हरकत तो हमारे फाइटर दो मिनट में करेंगे वार, लगातार 10 घंटे चलेगा प्रहार
चीन की हर चाल का जवाब देने के लिए हमारी वायुसेना हर समय अलर्ट मोड में है।

विवेक सिंह, जम्मू। Indian Air Force Day 2020: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की हर चाल का जवाब देने के लिए हमारी वायुसेना हर समय अलर्ट मोड में है। दुश्मन की जरा सी हरकत का इशारा मिलते ही हमारे वायुसेना के लड़ाके दो मिनट से भी कम समय में उसके इरादों को ध्वस्त करने को तैयार बैठे हैं। देशवासी जब चैन से सो रहे होते हैं तो उस समय एयरबेस पर हमारे लड़ाके अपने फाइटर जेट के साथ कॉकपिट में उड़ने के इशारे का इंतजार कर रहे होते हैं। उधर, राडार और आधुनिक निगरानी उपकरणों से सुसज्जित एयर डिफेंस नेटवर्क का इशारा होगा, मिसाइल और गोला बारूद से लैस हमारे लड़ाकू विमान आसमां को छू लेंगे।

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एक बार उड़ान भरने के बाद वह दुश्मन को दफन करके ही लौटेंगे। चूंकि अधिकतर विमान 10 घंटे तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम हैं। आवश्यकता पड़ी तो हवा में ही ईंधन भरकर वह दोबारा हमले की तैयार हो जाएंगे। वायुसेना के बेड़े में शामिल मिग 27 को छोड़ राफेल, मिराज 2000, सुखोई, मिग 29, जगुआर व एलसीए (हल्के युद्धक विमान) हवा में ईंधन भरने की क्षमता से लैस हैं। वायुसेना के पूर्व अधिकारी ने बताया कि सूचना मिलते ही ऑपरेशन रेडिनेस प्लटफार्म (ऑपरेशन के लिए तैयार) से 30 से 40 सेकेंड में विमान स्टार्ट हो जाता है। दस से बीस सेकेंड में रनवे पर दौड़ने के बाद अगले 30 से 40 सेकेंड में टेकऑफ कर हवा में प्रहार करने के मिशन पर तैयार होता है। पूरी प्रक्रिया को ओआरपी कहा जाता है। इसके अलावा वायुसेना के विमान रात में अपनी उड़ान के दौरान भी दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

इसी रणनीति से वर्धमान ने मार गिराया था पाक का एफ-16

बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद कंट्रोल रूम से महिला स्कवाड्रन लीडर का संदेश मिलते ही ङ्क्षवग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भारतीय क्षेत्र में हमला करने के लिए आए पाकिस्तान के विमानों को खदेड़ दिया था और उसके एक एफ-16 विमान को मार गिराया था।

पूर्वी लद्दाख में हर मौसम में करेंगे मार

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राफेल समेत वायुसेना के सभी फाइटर विमान पूर्वी लद्दाख के विपरीत हालात में लडऩे को तैयार हैं। लद्दाख के माहौल में ढालने के लिए फाइटर विमान नियमित रूप से क्षेत्र की उड़ानें भर रहे हैं। राफेल जैसे नए विमानों की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए आसमान से लेकर जमीन तक ट्रेनिंग चल रही है, ताकि हमारे लड़ाके चुनौतियों का आकलन कर उसके लिए तैयार रहें।

बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख की ऊंचाइयों पर कड़ी ठंड और कम ऑक्सीजन में दुश्मन से लडऩे के लिए मिग 29, मिग 27 जैसे विमानों के इंजन में बदलाव भी किए गए हैं। ऐसे विमानों का इस्तेमाल वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में भी किया गया था। राफेल, सुखोई, मिराज जैसे लड़ाकू विमान में हर क्षेत्र में दुश्मन पर गहरा आघात करने में सक्षम है।

कारगिल युद्ध में सुखोई विमान से चोटियों पर बैठे दुश्मन को गहरा आघात देने वाले सेवानिवृृत्त एयर कोमोडोर निर्मल सिंह का कहना है कि हमारे पास दुश्मन का सामना करने के लिए आधुनिकतम विमान, साजोसामान उपकरण हैं। उच्च पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण हमारी चुनौतियां अन्य देशों से भिन्न हैं। आधुनिक विमान बनाने वाले अधिकतर देशों के सामने दस हजार की फीट से ऊंचे एयरबेस से विमान उड़ाने की चुनौती नहीं है। हम कारगिल में यह कर चुके हैं और अब भी कर दिखाने को तैयार हैं।

युद्ध में वायुसेना की ताकत सबसे अहम होती है। सेना को यहां एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में जाकर युद्ध लडऩे के लिए एक महीने का समय लग सकता है तो वहीं वायुसेना के विमान कुछ ही समय में पाकिस्तान और चीन दोनों देशों के ठिकाने पर हमला करने की क्षमता रखते हैं और ऐसा बार-बार किया जा सकता है।

मैदानों से उड़कर बरपाएंगे कहर

लद्दाख के मुकाबले मैदानों से उड़ने वाले वायुसेना के विमान दुश्मन पर अधिक कहर बरपाएंगे। लद्दाख में कम ऑक्सीजन के कारण विमान एक-दो टन गोला बारूद लेकर उड़ सकते हैं। वहीं मैदानों से बारूद लेकर उडऩे की क्षमता करीब चार गुणा बढ़ जाती है। स्टार्टर में बदलाव के बावजूद लद्दाख में इंजन स्टार्ट होने में अधिक वक्त लगता है। युद्ध के दौरान फाइटर विमान की कार्रवाई के लिए एक-एक सेकेंड मायने रखता है। ऐसे में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी से भी बहुत जल्द युद्ध मैदान तक पहुंचता है।

वायुसेना तबाह करती है तो सेना करती है कब्जा

युद्ध के दौरान वायुसेना के विमान दुश्मन के इलाकों पर गोलों, मिसाइलों से तबाही करेंगे तो वहीं सेना के पैदल सैनिक वहां पर पहुंचकर तिरंगा फहराएंगे। वायुसेना व थलसेना बेहतर समन्वय से दुश्मन को धूल में मिलाते हैं। आम तौर पर किसी इलाके में वायुसेना द्वारा की गई तबाही का दुश्मन कुछ घंटे में भरपाई कर सकता है। ऐसे हालात में वायुसेना के हमले के बाद जीत को पक्का करने के लिए सेना के जवान उस जगह पर पहुंच कर दुश्मन पर घातक प्रहार कर उसे पीछे हटने को मजबूर कर देते हैं। दुश्मन से युद्ध के हालात में जीत हमेशा पैदल सैनिक ही सुनिश्चित करते हैं।

कारगिल में वायुसेना ने दिखाया था दुश्मन को दम

21 साल पहले लड़े गए कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के विमानों ने अपना दम दिखाया था। हमारे विमानों ने नियंत्रण रेखा को पार किए बिना दुश्मन पर आघात किया था। उस समय भारतीय सेना के बेड़े में शामिल सुखोई विमान 40 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकते थे। पाकिस्तान के 36 एफ-16 विमानों से में से 15, 16 ही बचे थे। ऐसे में दुश्मन से बहुत मजबूत होने के बाद भी हमारी वायुसेना ने पाकिस्तान पर सीमित प्रहार किए थे। 

वायुसेना दिवस

-इशारा मिलते ही हमारे फाइटर दो मिनट में करेंगे वार, लगातार 10 घंटे चलेगा प्रहार

- चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए हमारे जांबाज फाइटर विमान के साथ हर समय हैं तैयार

यह लगता है समय

 30 से 40 सेकेंड विमान को स्टार्ट करने में

10 से 20 सेकेंट हवाई पट्टी पर दौड़ता है विमान

30 से 40 सेकेंड में टेकऑफ कर दुश्मन से मुकाबले के लिए तैयार।


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