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सामाजिक-आध्यात्मिक लोकाचार का प्रतीक है एम्स जम्मू का लोगो, वैष्णो देवी-रघुनाथ मंदिर को भी मिली जगह

डा. शक्ति ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे मंजूरी दे दी है। अब अधिकारिक पत्राचार में भी इसका इस्तेमाल होगा। देश के कई भागों में बने अखिल भाारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों ने अपनेे लोगो में स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देते स्थानों का इस्तेमाल किया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 08:41 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 12:52 PM (IST)
सामाजिक-आध्यात्मिक लोकाचार का प्रतीक है एम्स जम्मू का लोगो, वैष्णो देवी-रघुनाथ मंदिर को भी मिली जगह
डा. शक्ति गुप्ता ने बताया कि हमारे मन में लोगो बनाने का विचार इसेे अलग पहचान दिलाने के लिए आया।

जम्मू, रोहित जंडियाल : जम्मू के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इसी साल से ओपीडी सेवाएं शुरू करने की तैयारी है। इसे देश के अन्य एम्स से अलग पहचान बनाने के लिए भी काम हो रहा है। इसी क्रम में एम्स जम्मू का अपना लोगो तैयार हो गया है। इसे स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। यह लोगो जम्मू क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक और आध्यात्मिक लोकाचार को दर्शाता है। जम्मू एम्स के कार्यकारी निदेशक डा. शक्ति गुप्ता ने इसे अन्य साथियों की मदद सेे तैयार किया है।

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जम्मू एम्स के लोगो में त्रिकुटा पहाडिय़ों पर बसे माता वैष्णो देवी के स्थान (वैष्णो देवी भवन) को जगह दी गई है। ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर का चित्र भी है। जम्मू की लाइफलाइन तवी नदी और इस पर बने पहले पुल को भी लोगो में जगह दी गई है। इस लोगो को गोल्डन ङ्क्षरग में बनाया गया है। इसके बीच में लिखा है- आरोग्यं परमं भाग्यं, स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम् यानी निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

इस लोगो को तैयार करने वाले एम्स जम्मू के कार्यकारी निदेशक डा. शक्ति गुप्ता ने बताया कि हमारे मन में लोगो बनाने का विचार इसेे अलग पहचान दिलाने के लिए आया। हमने उन स्थानों को लोगो में शामिल किया जिनसे जम्मू की पहचान है। रघुनाथ मंदिर, वैष्णो देवी के अलावा तवी नदी से ही जम्मू की पहचान है। इसे गोल्डन ङ्क्षरग में इसलिए तैयार किया है कि गोल्डन ङ्क्षरग पवित्रता और खुशहाली की प्रतीक है। इसमें एक छड़ पर सर्प को दिखाया गया है। इसे अस्क्लेपियस की छड़ कहा जाता है। ग्रीक पौराणिक कथाओं में अस्क्लेपियस चिकित्सा और उपचार के देवता है। सर्प कायाकल्प का प्रतीक है।

डा. शक्ति ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे मंजूरी दे दी है। अब अधिकारिक पत्राचार में भी इसका इस्तेमाल होगा। यहां यह बताना भी जरूरी है कि देश के कई भागों में बने अखिल भाारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों ने अपनेे लोगो में स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देते स्थानों का इस्तेमाल किया है। जम्मू एम्स ने भी सभी प्रमुख स्थानों को लोगो में जगह दी है।

मीरा साहिब के पास लगेंगी कक्षाएं : जम्मू एम्स में पहले से ही एमबीबीएस के पहले बैच की पढ़ाई चल रही है। कोविड के कारण इसकी कक्षाएं आनलाइन हैं। इसके बाद पहले जीएमसी कठुआ और फिर जीएमसी जम्मू में इसकी कक्षाएं लगाने पर सहमति बनी थी, लेकिन अब इन दोनों में से किसी भी जगह पर एम्स की कक्षाएं नहीं लग रही हैं। एम्स जम्मू की कक्षाएं इस साल मीरां साहिब में एयरपोर्ट रोड पर एक किराये की इमारत में लगेंगी। एमबीबीएस पहले वर्ष के अलावा दूसरे वर्ष की कक्षाएं भी इस साल लगनी है। दोनों के लिए पर्याप्त जगह का प्रबंध है।  


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