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Jammu Kashmir : बर्बाद फसल का मुआवजा पाने को आज हर हाल में बीमा कंपनी को करें फोन

बीमा कंपनी के अधिकारी विकास भगत ने बताया कि उन्होंने कई टीमें बनाकर सर्वे का काम शुरू करवा दिया है। जल्द से जल्द सर्वे का काम पूरा कर लिया जाएगा। जो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत हैं उन्हें इसका लाभ मिलेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 07:47 AM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 07:47 AM (IST)
Jammu Kashmir : बर्बाद फसल का मुआवजा पाने को आज हर हाल में बीमा कंपनी को करें फोन
कामर्सियल और बागवानी के लिए किसानों को पांच प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर में शनिवार तड़के उच्च पर्वतीय इलाकों में जमकर बर्फबारी हुई, जबकि मैदानी इलाकों खासकर जम्मू संभाग के विभिन्न जिलों में ओलावृष्टि के साथ भारी बारिश हुई थी। इससे जम्मू, सांबा, कठुआ आदि जिलों में धान, मक्की, दालों के अलावा अन्य फसलें बर्बाद हो गईं। कश्मीर संभाग में बर्फबारी से सबसे ज्यादा नुकसान बागवानी को हुआ।

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अब कृषि एवं राजस्व विभाग के साथ ही बीमा कंपनियों की तरफ से भी फसल के नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा (पीएमएफबीवाई) के तहत फसल का बीमा करवा रखा है, उन्हें मंगलवार को हर हाल में संबंधित बीमा कंपनी को सूचित करना होगा, क्योंकि प्राकृतिक आपदा से फसल नष्ट होने के 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को सूचित करना जरूरी होता है। इसके बाद सूचना देने पर क्लेम मिलने में दिक्कत आ सकती है। बीमा कंपनी के पास किसान का जो रजिस्टर्ड नंबर है, उसी से फोन करने पर शिकायत स्वीकार की जाएगी। इसके बाद बीमा कंपनी अपनी तरफ से सर्वे करवाएगी। कृषि विभाग व राजस्व विभाग के सर्वे को भी बराबर महत्व दिया जाता है।

जानकारी के मुताबिक, जिन किसानों ने फसल बोने के दस दिन के भीतर उसका बीमा करवाया होगा, उन्हें प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कंपनी की तरफ से मुआवजा दिया जाता है। यदि फसल काटे जाने के 14 दिन के अंदर व बारिश, बाढ़ या आग में नष्ट हो जाए तब भी बीमा कंपनी उसका मुआवजा देती है। इस बार जो प्राकृतिक आपदा जम्मू कश्मीर में आई है, वह इस प्रावधान के अंदर आएगी, क्योंकि 14 दिन में किसानों की धान की फसल कट जानी थी। इसलिए बीमा कंपनियों ने अपनी तरफ से भी सर्वे का काम शुरू कर दिया है। कई बार पहले ऐसा हुआ है, जब फसल बर्बाद होने पर किसानों को मुआवजा नहीं मिला। दरअसल, प्राकृतिक आपदा से पूरे तहसील स्तर पर नुकसान होता है तो बीमा कंपनी आसानी से मुआवजा जारी कर देती है, लेकिन यदि तहसील के कुछ पाकेट में ही नुकसान होता है, तो इसमें दिक्कत आती है। इस बार नुकसान तहसील ही नहीं, जिलास्तर पर है। इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि जिले के सभी किसानों को बीमा कंपनियों और राजस्व विभाग की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा।

देश में अनंतनाग जिले के धान उत्पादक किसानों को मिलता है सबसे ज्यादा क्लेम : प्राकृतिक आपदा आने पर देश के न सिर्फ अलग-अलग राज्यों, बल्कि अलग-अगल जिलों में भी बीमा कंपनी की तरफ से दिया जाने वाला क्लेम अलग-अलग होता है। देश में प्रति हेक्टेयर धान की फसल का सबसे ज्यादा प्रीमियम जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के किसानों को भरना पड़ता है। इसलिए वे क्लेम भी सबसे ज्यादा पाते हैं। यहां प्रति हेक्टेयर धान की फसल के लिए 10,560 रुपये सरकार प्रीमियम भरती है, जबकि किसानों को 2640 रुपये जमा करवाना होता है। यदि फसल बर्बाद होती है तो किसान को प्रति हेक्टेयर एक लाख 32 हजार रुपये तक बीमा कंपनी किसान को क्लेम देगी। प्रीमियम की दर जिला तकनीकी समिति तय करती है। इसका अध्यक्ष डीएम या जिला आयुक्त (डीसी) होता है। जिला कृषि अधिकारी, मौसम विभाग और इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी समित के सदस्य होते हैं। हर फसली सीजन में विभिन्न फसलों की प्रीमियम की दर तय की जाती है, जिसके मुताबिक राज्य व केंद्र सरकार और किसान को प्रीमियम जमा करवाना होता है। आमतौर पर खरीफ सीजन की फसल के लिए किसान को दो फीसद, जबकि रबी की फसल के लिए डेढ़ फीसद प्रीमियम देना होता है। प्रीमियम की शेष राशि केंद्र और राज्य सरकारें वहन करती हैं। कामर्सियल और बागवानी के लिए किसानों को पांच प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होता है।

बीमा कंपनियों ने विभिन्न इलाकों के लिए टीमें गठित कर शुरू किया सर्वे : बीमा कंपनी के अधिकारी विकास भगत ने बताया कि उन्होंने कई टीमें बनाकर सर्वे का काम शुरू करवा दिया है। जल्द से जल्द सर्वे का काम पूरा कर लिया जाएगा। जो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत हैं, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। यदि किसी इलाके में बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि या आग लगने से सौ फीसद धान की फसल बर्बाद हो जाती है तो किसानों को प्रति कनाल 5000 रुपये की दर से मुआवजा दिया जाता है। इसके लिए किसानों को नियमत: प्राकृतिक आपदा आने के 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को फोन करना होता है, लेकिन कंपनी अपनी पहलकदमी लेकर स्वयं भी सर्वे करती है। उनकी कोशिश है कि बीमा करवाने वाले हर प्रभावित किसानों को मुआवजा मिले, ताकि वे अपनी अगली फसल की तैयारी में जुट जाएं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जोडऩे के लिए किसानों से लिए जा रहे कागजात : कृषि विभाग के असिस्टेंट सर्किल आफिसर (एएसओ) सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि विभाग की तरफ से विभिन्न क्षेत्रों के सर्वे के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है। बारिश और ओलावृष्टि से कई गांवों में सौ प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है। सोमवार को बिश्नाह तहसील के शाहपुर, रेहाल, खैरी आदि गांवों में सर्वे का काम किया गया। जिन किसानों ने बीमा करवा रखा है, उनको मंगलवार को हर हाल में संबंधित बीमा कंपनी को फोन करने के लिए कहा गया है, क्योंकि प्राकृतिक आपदा आने के 72 घंटे के अंदर सूचना देनी होती है। इसके साथ ही जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है, उनको इससे जोडऩे के लिए जरूरी कागजात लिए जा रहे हैं। ऐसे लोगों को राजस्व विभाग की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा।

  • हर किसान को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवेदन करना चाहिए, ताकि कोई प्राकृतिक आपदा आए तो उनको नुकसान का मुआवजा मिल सके। शनिवार को बारिश और ओलावृष्टि के बाद कृषि विभाग ने अपनी तरफ से सर्वे का काम शुरू कर दिया है। किसानों को 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को फोन करने के लिए कहा गया है, साथ ही जो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत नहीं हैं, उनके दस्तावेज लेकर प्रक्रिया पूरी की जा रही है। जिन्होंने फसल बीमा नहीं करवाया है, उनको स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड से राहत राशि दी जाती है। - अरविंद बारू, मुख्य कृषि अधिकारी, जम्मू  

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