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पुलवामा हमले के बाद सुरक्षाबल जैश कमांडर अबु बकर को भी ढेर करने की बना रहे रणनीति

पुलवामा हमले के मास्टर मांइड कामरानी व गाजी रशीद को मार गिराने के बाद सुरक्षाबलों ने अब जैश ए मोहम्मद के नये कमांडर अबु बकर व अबु हुरैरा को भी ढेर करने की बना रहे रणनीति।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 09:34 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 09:34 AM (IST)
पुलवामा हमले के बाद सुरक्षाबल जैश कमांडर अबु बकर को भी ढेर करने की बना रहे रणनीति
पुलवामा हमले के बाद सुरक्षाबल जैश कमांडर अबु बकर को भी ढेर करने की बना रहे रणनीति

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पुलवामा हमले के मास्टर मांइड कामरानी और गाजी रशीद को मार गिराने के बाद सुरक्षाबलों ने अब जैश ए मोहम्मद के नये कमांडर अबु बकर व अबु हुरैरा को भी ढेर करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। दोनों कमांडरों के ठिकानों और ओवरग्राउंड नेटवर्क की निशानदेही की जा रही है।

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संबंधित खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, 18 फरवरी को कामरान के मारे जाने के बाद जैश ने अबु बकर को कश्मीर में नया कमांडर बनाया है। जबकि डिप्टी अबु हुरैरा बताया जा रहा है। दोनों पाकिस्तानी मूल के हैं और आइईडी बनाने में माहिर हैं। वे शातिर जिहादी माटीवेटर भी माने जाते हैं।

अबु के बारे में कहा जाता है कि वह भी कामरान व गाजी रशीद की तरह अफगानिस्तान में जैश, अल-कायदा व तहरीके तालीबान के संयुक्त ट्रेनिंग कैंप में ट्रेनिंग करने के अलावा अमेरिकी फौजों के खिलाफ लड़ चुका है। वह 14 साल की उम्र में जैश के साथ जुड़ा था। इस समय उसकी उम्र 28-30 साल बताई जा रही है। अबु बकर और हुरैरा अक्टूबर-नवंबर 2015 से कश्मीर में हैं। दोनों के बारे में दावा किया जाता है कि यह पहले उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में ही सक्रिय रहे हैं। बाहर निकले तो मार गिराएंगे।

आइजीपी रैंक के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अबु बकर या हुरैरा को जैश द्वारा कमांडर बनाए जाने के बारे में किसी तरह की जानकारी से इनकार किया है। हमारे लिए कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन कमांडर है यह सिर्फ आतंकी हैं और आतंकियों से निपटना हमें आता है। हमने कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने और लोगों को सुरक्षित एवं विश्वासपूर्ण शांत माहौल देने का अभियान शुरू कर रखा है।

सुरक्षाबलों ने पूरी वादी में आतंकियों के खिलाफ अभियान चला रखा है,जो भी आतंकी होगा, मारा जाएगा। आतंकियों के ठिकानों और उनके ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क की लगातार निशानदेही कर उसे नेस्तनाबूद किया जा रहा है। ठिकानें तबाह होने से ओवरग्रांउड वर्करों के पकड़े जाने से विदेशी आतंकी हताश होंगे। वह अपनी मांद से बाहर आकर कोई बड़ा हमला करने की कोशिश करेंगे और मारे जाएंगे। 


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