जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के बाद दिहाड़ीदारों के भी सुधरेंगे हालात, अन्य राज्यों की तुलना यहां न्यूनतम वेतन है कम
अगर जम्मू और श्रीनगर में पुडुचेरी की तर्ज पर न्यूनतम वेतन कानून लागू होता है तब भी दिहाड़ीदारों को लाभ होगा। वहां दिहाड़ीदारों को न्यूनतम वेतन के साथ मासिक डीए का लाभ भी मिलता है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से सरकारी कर्मचारियों को तो कई तरह के अतिरिक्त लाभ मिलेंगी ही, राज्य के दिहाड़ीदारों के हालात भी सुधरने की उम्मीद है। जम्मू-कश्मीर न्यूनतम वेतन कानून के तहत इस समय दिहाड़ीदारों का न्यूनतम दैनिक वेतन अन्य राज्यों की तुलना में कम है। केंद्र शासित प्रदेश बनने से इन्हें दूसरे राज्यों की तर्ज पर न्यूनतम दैनिक वेतन मिलेगा। इस समय दिहाड़ीदारों के साथ उद्योग जगत भी बदलाव पर नजर रख रहा है।
जम्मू-कश्मीर की अगर दिल्ली से तुलना की जाए तो दिहाड़ीदारों का न्यूनतम वेतन लगभग दोगुना हो जाएगा, लेकिन इसकी संभावनाएं काफी कम हैं। दिल्ली देश की ए श्रेणी शहरों की सूची में आता है और जम्मू व श्रीनगर बी श्रेणी में। जानकारों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर को पुडुचेरी की तर्ज पर केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा क्योंकि दोनों बी श्रेणी शहरों की सूची में आते हैं। अगर जम्मू और श्रीनगर में पुडुचेरी की तर्ज पर न्यूनतम वेतन कानून लागू होता है, तब भी दिहाड़ीदारों को लाभ होगा। पुडुचेरी में दिहाड़ीदारों को न्यूनतम वेतन के साथ मासिक डीए का लाभ भी दिया जाता है। यह तय है कि दिहाड़ीदारों के न्यूनतम वेतन में वृद्धि होगी।
जम्मू-कश्मीर में मौजूदा न्यूनतम वेतन
- अकुशल : 225 रुपये प्रति दिन
- कुशल : 350 रुपये प्रति दिन
- अत्याधिक कुशल : 400 रुपये प्रति दिन
- प्रबंधन स्टॉफ : 325 रुपये प्रति दिन
दिल्ली में मौजूदा न्यूनतम वेतन
- अकुशल : 538 रुपये प्रति दिन
- कुशल : 592 रुपये प्रति दिन
- अत्याधिक कुशल : 652 रुपये प्रति दिन
पुडुचेरी में मौजूदा न्यूनतम वेतन
- अकुशल : 320 रुपये प्रति दिन
- कुशल : 350 रुपये प्रति दिन