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बड़ा मुद्दा: प्रोजेक्ट बनने के बाद भी क्या निर्मल हो पाएगी देविका

लोगों की आस्था का केंद्र यह नदी सरकार प्रशासन और लोगों की लापरवाही के कारण इस कद्र प्रदूषित हो चुकी है कि इसके अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 11:09 AM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 11:09 AM (IST)
बड़ा मुद्दा: प्रोजेक्ट बनने के बाद भी क्या निर्मल हो पाएगी देविका
बड़ा मुद्दा: प्रोजेक्ट बनने के बाद भी क्या निर्मल हो पाएगी देविका

ऊधमपुर, अमित माही। ऊधमपुर को पहचान देने वाली देविका अपने लोगों द्वारा दिए गए जख्मों के कारण बिलख रही हैं। दशकों से उपेक्षित रवैये के कारण देविका मैली होने के साथ ही उनका स्वरूप भी बदल चुका है। शहर में तो यह नाला बन चुकी है। अब राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल कर इसके लिए प्रोजेक्ट बनाकर सर्वे तो शुरू कर दिया गया है। मगर प्रोजेक्ट के बाद भी देविका का उसका पुराना स्वरूप लौट पाने को लेकर लोग के मन में आज भी संशय बरकरार है। क्योंकि अतिक्रमण और देविका में पानी की व्यवस्था ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें जानकारों के मुताबिक प्रोजेक्ट में दरकिनार किया गया है।

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देविका मां गांगा की बड़ी बहन होने के कारण पावन देविका ऊधमपुर के लोगों की आस्था का केंद्र है। तकरीबन साढ़े पांच लाख की आबादी वाले ऊधमपुर को देवकनगरी के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम यहां बहने वाली देविका नदी के कारण मिला है। देविका का शास्त्रों में मां पार्वती तथा गंगा की बड़ी बहन के रूप में उल्लेख है। नदी का उद्गम चनैनी विधानसभा के सुद्धमहादेव स्थित बेणिसंगम में हुआ है। चनैनी के बाद इसके साक्षात दर्शनों का सौभाग्य जिन चंद स्थानों पर होता है,उसमें से एक ऊधमपुर है। लेकिन लोगों की आस्था का केंद्र यह नदी सरकार, प्रशासन और लोगों की लापरवाही के कारण इस कद्र प्रदूषित हो चुकी है कि इसके अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

प्रदूषण का मुख्य कारण सीवरेज व्यवस्था न होना

देविका में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह ऊधमपुर में सीवरेज व्यवस्था न होना है। जिस वजह से 30 फीसद से ज्यादा घरों के शौचालयों की गंदगी नालों में गिरती है। ऐसे दर्जन भर नाले पवित्र देविका और उसके सहायक दूधगंगा में गिरते हैं। देविका की बदहाली के साथ यह राजनीति का केंद्र भी बनी रही।

प्रोजेक्ट की राह में अतिक्रमण चुनौती

देविका और उसे प्रदूषण मुक्त बनाने की राह में सबसे बड़ी चुनौती अतिक्रमण है। जानकारों के अनुसार देविका का 70 प्रतिशत क्षेत्र पर अतिक्रमण है, जिस कारण देविका का आकार काफी सिकुड़ चुका है। देविका के अस्तित्व की लड़ाई लडऩे वाले समाज सेवी अनिल पाबा के अनुसार राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम के तहत देविका के लिए तैयार प्रोजेक्ट में अतिक्रमण हटाने की व्यवस्था नहीं है। जबकि जानकारों के मुताबिक देविका को उसका पावन और पुराना स्वरूप लौटाने के लिए अतिक्रमण को हटाना अनिवार्य है। इसके साथ ही देविका की जमीन कितनी है, इसे लेकर निशानदेही भी अभी तक नहीं करवाई गई है।

प्रोजेक्ट बनाने में हुई अनदेखी

अब राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल कर पावन देविका नदी के साथ सूर्यपुत्री तवी नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 186.74 प्रोजेक्ट बना कर मंजूरी दे गई है। इसका शिलान्यास भी प्रधानमंत्री ने कर दिया है और निर्माण एजेंसी ने मैङ्क्षपग के लिए सर्वे भी शुरू कर दिया है। मगर इस प्रोजेक्ट को क्रियान्यवय करने से पहले कई अहम चीजों को नजरंदाज करने से देविका को खास फायदा होने की उम्मीद नहीं है। जानकारों का मानना है कि जिस तरह का प्रोजेक्ट बनाया गया है। वह सीवरेज व्यवस्था पर केंद्रित है। जबकि देविका को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए समग्र प्रोजेक्ट बनाने की जरूरत है। इस प्रोजेक्ट से सीवरेज देविका में गिरना तो बंद होगा, लेकिन देविका पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त शायद ही हो सकेगी।

पहले बने प्रोजेक्टों से फायदे से अधिक हुआ नुकासान

देविका नदी को प्रदूषण मुक्त बना कर उसका पुराना स्वरूप लौटाने के लिए कई प्रोजेक्ट बने हैं। मगर हर प्रोजेक्ट ने फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। देविका में सांई मंदिर के पिछले हिस्से में लाखों रुपये खर्च कर सेनिमेंटेशन प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट बना, कुछ काम शुरू भी हुआ, मगर बीच में ही बंद हो गया। इसके बाद यूईईडी ने दूषित नालों के पानी को मोडऩे के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया। इसके लिए बनाए गए नाले की खोदाई से देविका की प्राकृतिक कोरजें नष्ट हो गई। इसके साथ ही देविका नदी के स्नान कुंडों को कंक्रीट से पक्का कर दिया गया, जिससे प्राकृतिक कोरजों से पानी आना बंद हो गया। फिर करोड़ों रुपये खर्च कर देविका में सुरक्षा दीवार बनवाई गई। इससे देविका नदी का प्राकृतिक स्वरूप एक दूषित नाले में तब्दील हो गया। एक दशक से ज्यादा समय पहले नगर परिषद 74 करोड़ का एसटीपी प्रोजेक्ट बनवाया और आइडीएसएसएमटी के तहत सीवरेज के लिए प्रस्ताव बना, मगर यह भी फाइलों में गुम हो गए। इकनॉमिक आपचरुनिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम(ईओडीपी) के तहत सीवरेज के लिए सर्वे कर प्रोजेक्ट बना, जिसे आज तक मंजूरी नहीं मिली। यूआइडीएसएसएमटी के तहत बनने वाला प्रोजेक्ट निर्माण एजेंसी को लेकर खींचतान में उलझ कर अटक गया।

- देविका नदी ऊधमपुर की पहचान है। इसके लिए प्रोजेक्ट पहले भी बने हैं, मगर उनसे फायदे होने के बजाय काफी नुकसान हुआ है। यह प्रोजेक्ट भी देविका को उसका पुराना निर्मल स्वरूप नहीं लौटा पाएगा। क्योंकि इस प्रोजेक्ट में भी नदी से अवैध कब्जे हटाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। सौंदर्यीकरण भले ही हो जाएगा। मगर देविका को पवित्र बनाना दूर की कौड़ी है। इस प्रोजेक्ट का लाभ देविका और ऊधमपुर से ज्यादा इंजीनियरों व ठेकेदार को फायदा होगा। देविका नदी से अतिक्रमण हटाने के सख्त कदम उठाने की जरूरत है जिस पर अभी तक काम नहीं हो पाया है। - अश्विनी खजूरिया, पैथर्स कांग्रेस जिला कार्यकारी प्रधान ऊधमपुर

- देविका प्रोजेक्ट की आज तक बनाई गई डीपीआर सार्वजनिक नहीं की गई जिससे पता चल सके कि क्या होगा और कैसे होगा। पानी कहां से आएगा, क्योंकि सीवरेज को मोड़ कर 2002 में देखा जा चुका है। देविका में पानी ही सूख गया था। एसटीपी लगाने की बात है, मगर इनको संचालित करने के लिए जो मासिक खर्च हैं, वह कहां से और कैसे प्राप्त होंगे। क्या व्यवस्था है स्पष्ट नहीं है। संचालित करने की पूरी व्यवस्था न होने से एसटीपी चल नहीं पाएंगे। यह एक और बड़ी समस्या हो जाएगी। देविका का 70 फीसद के करीब इलाके में अतिक्रमण है। इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है और न ही पूरी देविका को प्रेजेक्ट में शामिल किया है। जिस वजह से नैनसू क्षेत्र के कई गांव नाराज हैं और चुनाव बहिष्कार तक करने की बात कर रहे हैं। - बलवंत सिंह मनकोटिया, पैथर्स पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष

- नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के बाद देविका का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ है। यह आईआईटी से अप्रूव है। राष्ट्रीय प्रोजेक्टों को हर पहलु पर विचार कर बनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय प्रोजेक्ट है। आवश्कयता के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को बेहतर बनाने के लिए जो भी चीजें जरूरी होंगी। वह निर्माण के दौरान भी शामिल हो सकेंगी। इस प्रोजेक्ट से देविका का पुराना स्वरूप लौटने के साथ ही सौंदर्य भी बढ़ेगा। ऊधमपुर के लोगों के लिए देविका आस्था का केंद्र है। इसे विकसित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। - पवन गुप्ता. भाजपा नेता व पूर्व विधायक ऊधमपुर 


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