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Jammu Kashmir: आजादी के 73 साल बाद किश्तवाड़ में चिनाब दरिया के किनारे बसे गांवों में ग्रिड से पहुंची बिजली

बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किश्तवाड़ जिले के छातरु तहसील के पेठगाम बुनगाम चिनाब डिंडू और वतसार गांव की भौगोलिक परिस्थितियां अत्यंत कठिन हैं। यह चारों गांव साल में पांच से छह माह तक बर्फ से ढके रहते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 23 Mar 2021 07:38 AM (IST)Updated: Tue, 23 Mar 2021 08:49 AM (IST)
Jammu Kashmir: आजादी के 73 साल बाद किश्तवाड़ में चिनाब दरिया के किनारे बसे गांवों में ग्रिड से पहुंची बिजली
बीते साल कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा के साथ सटे गांव में ग्रिड से बिजली आपूॢत सुनिश्चित बनाई गई है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : किश्तवाड़ जिले में चिनाब दरिया के किनारे बसे चार गांव के लोग सोमवार से नई जिंदगी जीने लगे हैं। आजादी के 73 साल बाद इनके घरों में नई रोशनी आई है। सोमवार को जब बिजली का स्विच दबाया गया तो बल्ब ही रोशन नहीं हुए, बल्कि सुनहरे भविष्य के सपने के साथ चेहरे भी खिल उठे। बिजली विभाग के अथक प्रयास से इन गांवों को ग्रिड से जोड़ दिया गया है।

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जम्मू कश्मीर समेत देश के विभिन्न हिस्सों को रोशन करने वाली बिजली के उत्पादन का चिनाब दरिया एक बड़ा स्रोत है। किश्तवाड़ जिले में ही दुलहस्ती पनबिजली परियोजना है। इसके अलावा 850 मेगावाट की रतले परियोजना पर भी अगले कुछ दिनों में काम शुरू हो जाएगा। चिनाब दरिया पर ही बगलियार, सावलकोट और सलाल परियोजना भी है। इसके बावजूद जिले के गांव बिजली से महरूम थे।

ये हैं चार गांव: बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किश्तवाड़ जिले के छातरु तहसील के पेठगाम, बुनगाम, चिनाब डिंडू और वतसार गांव की भौगोलिक परिस्थितियां अत्यंत कठिन हैं। यह चारों गांव साल में पांच से छह माह तक बर्फ से ढके रहते हैं। किश्तवाड़ के जिला उपायुक्त अशोक शर्मा ने सोमवार को स्थानीय लोगों की मौजूदगी में बिजली का स्विच दबाकर इन गांवों को सौ फीसद रोशन कर दिया।

उपराज्यपाल के पास पहुंचे थे ग्रामीण: गांवों के लोगों ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बिजली सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की थी। हालांकि, इन गांवों में बीते कुछ सालों से जेनरेटर सेट के जरिए रात में चंद घंटों के लिए बिजली दी जा रही थी, लेकिन ग्रिड के जरिए अब बिजली मिली है। इस साल की शुरुआत में डोडा जिले के गनौरी-टैंटा गांव में बिजली पहुंचाई गई है, जबकि बीते साल कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा के साथ सटे गांव में ग्रिड से बिजली आपूॢत सुनिश्चित बनाई गई है।

शुक्रिया, अब नहीं जलानी पड़ेगी लालटेन: वतसार गांव के युवा अजय ने इसके लिए केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि आज हमारे गांव में सही मायनों में बिजली पहुंची है। अब यहां दिन-रात बिजली मिलेगी। पहले हम जेनरेटर पर निर्भर थे, वह भी कुछ घंटों के लिए। बाकी रात लालटेन के सहारे रहती थी। अब लालटेन नहीं जलानी पड़ेगी।

घर ही नहीं, भविष्य भी होगा रोशन: बुनगाम के अख्तर ने कहा कि ग्रिड की बिजली से सिर्फ हमारे घर ही रोशन नहीं होंगे, बल्कि हमारा भविष्य भी रोशन होगा। हमारे बच्चे सिर्फ अब तक सिर्फ दिन के उजाले में ही पढ़ सकते थे, लेकिन अब रात के एकांत में भी अध्ययन कर सकेंगे। असुविधाओं के चलते गांव के कई बच्चे किश्तवाड़, डोडा और जम्मू में पढ़ाई करने गए हैं। अब यहां भी तरक्की और खुशहाली होगी। जेनरेटर से यहां शोर भी बहुत होता था, धुआं भी खूब निकलता था, अब इससे भी निजात मिलेगी।

चारों गांवों को ग्रिड से जोडऩे के लिए बिजली विभाग ने बुनियादी ढांचा नया तैयार किया है। प्रत्येक गांव में 25 केवीए का ट्रांसफार्मर लगाया गया है। प्रत्येक गांव में 13.5 किलोमीटर लंबी एचटी और 3.3 किलोमीटर लंबी एलटी लाइन को बिछाया गया है। लाइन बिछाने पर करीब 60.32 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इन चार गांवों में ग्रिड से बिजली आपूॢत की प्रक्रिया स्थानीय लोगों की मांग का संज्ञान लेते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा जारी निर्देशानुसार शुरू की गई थी। -अशोक शर्मा, जिला उपायुक्त, किश्तवाड़ 


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