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DDC Poll: गुलाम कश्मीर की महिला की डीडीसी चुनाव में उम्मीदवारी समाप्त, द्रगमुला सीट पर फिर होगा चुनाव

चुनाव आयोग के फैसले से स्थानीय कानूनविद् भी दो गुटों में बंटते नजर आ रहे हैं। एडवोकेट नीरज दुबे ने कहा कि पहले यह देखना चाहिए कि क्या सोमिया सदफ ने भारतीय नागरिकता प्राप्त की है अगर की है तो फिर उसके चुनाव लड़ने पर कोई एतराज नहीं होना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 12:56 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 03:07 PM (IST)
DDC Poll: गुलाम कश्मीर की महिला की डीडीसी चुनाव में उम्मीदवारी समाप्त, द्रगमुला सीट पर फिर होगा चुनाव
जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है, इसका मतलब गुलाम कश्मीर के नागरिक भी हमारे नागरिक हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। प्रदेश चुनाव आयोग ने एक अहम फैसला लेते हुए गुलाम कश्मीर से आकर कश्मीर में बसी एक महिला का नाम मतदाता सूची से हटाने के साथ उस पर चुनाव लड़ने पर भी राेक लगा दी है। उक्त महिला ने एलओसी के साथ सटे जिला कुपवाड़ा में द्रगमुला निर्वाचन क्षेत्र से जिला विकास परिषद के चुनाव में हिस्सा लिया था। उसकी उम्मीदवारी चुनौती देते हुए उसके विरोधियों ने एक याचिका दायर की थी, जिसके कारण द्रगमुला सीट पर हुए मतदान की गणना नहीं हो पायी थी। अब इस सीट के लिए दोबारा चुनाव होगा।

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उल्लेखनीय है कि जिला विकास परिषद से पूर्व 2018 में हुए पंचायत चुनावों में भी गुलाम कश्मीर से आकर कश्मीर में बसी दो महिलाआें आरिफा आैर दिलशादा ने चुनाव लड़ा था। दोनों के पति पूर्व आतंकी हैं। दोनों ने चुनाव जीता था और आज पंच हैं।

चुनाव आयोग के फैसले से स्थानीय कानूनविद् भी दो गुटों में बंटते नजर आ रहे हैं। एडवोकेट नीरज दुबे ने कहा कि पहले यह देखना चाहिए कि क्या सोमिया सदफ ने भारतीय नागरिकता प्राप्त की है, अगर की है तो फिर उसके चुनाव लड़ने पर कोई एतराज नहीं होना चाहिए। उसने जब नामांकन जमा कराया था, उस समय यह मामला उठाया जाना चाहिए था। उस समय भी मीडिया में खूब बातें हुई कि गुलाम कश्मीर की महिला चुनाव लड़ रही है। उसकी नागरिकता पर सवाल नहीं उठाया गया, वोटों की गिनती से पहले शिकायत आती है और फिर दो माह से ज्यादा समय लेकर उसकी उम्मीदवारी समाप्त कर दी जाती है। उसका पक्ष सुना जाना चाहिए था। इसके अलावा गुलाम कश्मीर को हम जम्मू9कश्मीर का हिस्सा मानते हैं। संसद में प्रस्ताव पारित है कि गुलाम कश्मीर भी हमारा हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है, इसका मतलब गुलाम कश्मीर के नागरिक भी हमारे नागरिक हैं।

एडवोकेट वसीम ने कहा कि साेमिया सदफ का पति एक पूर्व आतंकी था। वह नेपाल के रास्ते कश्मीर आया। मेरी जानकारी के मुताबिक, पूर्व आतंकियों की पुनर्वास नीति के लिए नेपाल के रास्ते कश्मीर लौटने वाले आतंकियों के लिए राहत का कोई प्रविधान नहीं है। इसलिए उसकी पत्नी को यहां नागरिकता नहीं मिल सकती।

प्रदेश चुनाव आयुक्त ने अपने एक आदेश में कहा है कि मतदान प्राधिकारियों को 20 दिसंबर 2020 को वोटों की गिनती से पहले सौमिया सदफ नामक एक महिला उम्मीदवार के खिलाफ शिकायत मिली थी। वह द्रगमुला सीट पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थी। शिकायत में बताया गया था कि वह भारतीय नागरिक नहीं है और वह गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद की रहने वाली है। उसका पति एक पूर्व आतंकी था और वह उसके साथ वह गुलाम कश्मीर में शादी करने के बाद इस तरफ अवैध रुप से आयी है।वह भारतीय नागरिक नहीं है।

21 दिसंबर 2020 का वोटों की गिनती शुरु होनी थी,लेकिन उससे पहले ही मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) पंचायत (जिला पंचायत अधिकारी कुपवाड़ा) ने एक आदेश जारी कर सौमिया सदफ का नाम हल्का बत्रागम की पंचायत मतदाता सूची से हटा दिया। इसके बाद जिलाउपायुक्त कुपवाड़ा ने चुनाव आयोग से भी इस संदर्भ में राय मांगी। चुनाव आयोग ने वोटों की गिनती को कुछ समय तक स्थगित रखने की सलाह देते हुए जिला उपायुक्त कुपवाड़ा से पूछा था कि क्या संबधित उम्मीदवार ने पंचायत मतदाता सूची से अपना नाम हटाए जाने पर कोई अपील की है या एतराज जताया है।

जिला पंचायत चुनावाधिकारी जो जिला उपायुक्त कुपवाड़ा हैं, ने 24 फरवरी 2021 को चुनाव आयाेग काे एक पत्र लिखकर सूचित किया कि ऐसी कोई याचिका प्राप्त नहीं हुई है। इसके बाद प्रदेश चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर पंचायत राज अधिनियम 1989 के तहत प्राप्त आने अधिकारों का प्रयाेग करते हुए जिला विकास परिषद कुपवाड़ा के द्रगमुला निर्वाचन क्षेत्र में हुए मतदान काे खारिज करते हुए साेमिया सदफ की उम्मीदवार कोभी समाप्त कर दिा है। इसके साथ ही चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची नए सिरे से तय कर द्रगमुला में चुनाव कराने का निर्देश दिया है। 


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